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अमृत और जहर

अमृत और जहर

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भारत की राजधानी दिल्ली में निजामुद्दीन क्षेत्र मेंं निजामुद्दीन बस स्टैंड है। निजामुद्दीन बस स्टैंड से रोड आगे की तरफ इंंडिया गेट की तरफ जाती है। रास्ते में सबसे पहले एक गोलंबर आता है। उसी गोलंबर के पास किसी फ़कीर का मकबरा है। यहाँ से रोड आगे बढ़ती है तो एक बहुत बड़ा पुल आता है जो कि लगभग 1.50 किलोमीटर लंबा है। उसके बाद अगला बस स्टैंड आता है जोकि गोल्फ कोर्स के पास है। सड़क आगे बढ़ती है और फिर वह दाहिने तरफ मुड़ जाती है और लगभग 2 किलोमीटर के बाद चिड़िया घर का बस स्टैंड आता है।

दिल्ली में साधारण तरीके से हर एक किलोमीटर पर बस स्टैंड मिल जाता है लेकिन निजामुद्दीन के पास इस तरह की परिस्थितियां हैं कि निजामुद्दीन बस स्टैंड के पास गोलंबर होते हुए पूर्व क्रॉस करने के बाद लगभग 2 किलोमीटर के बाद बस स्टैंड है और फिर गोल्फ कोर्स के बस स्टैंड से 2.5 किलोमीटर आगे चिड़िया घर का बस स्टैंड है। गोल्फ कोर्स का बस स्टैंड पर यात्री लगभग ना के बराबर ही उतरते हैं। इस कारण से देखा जाए तो निजामुद्दीन के बाद चिड़िया घर के पास ही यात्री उतरते हैं। इन दोनों जगहों के बीच कम से कम 4 किलोमीटर 5 किलोमीटर का फासला है।

निजामुद्दीन बस स्टैंड से गोलंबर लगभग 1 किलोमीटर दूर है और उसी मुहाने पर किसी फकीर का मक़बरा है । इस फ़कीर के मकबरे के आस-पास कोई भी बस स्टैंड नहीं है ,इसीलिए साधारणतः जिसको भी उस फ़कीर के मक़बरे पर जाना होता है वह निजामुद्दीन बस स्टैंड पर रुक के वहीं से पैदल लगभग 1 किलोमीटर की दूरी तय करता है।

जून का महीना था। दिल्ली में बहुत ही भीषण गर्मी पड़ रही थी। मैं भी बस पर चढ़ा हुआ था और आगे जा रहा था चिड़िया घर की तरफ। इस भयंकर गर्मी में बस में बैठना बड़ा मुश्किल हो रहा था इसीलिए मैं ड्राइवर के पास ही खड़ा था। बस वहां पर निजामुद्दीन स्टैंड पर रूकती है और वहां पर लगभग 50-55 वर्ष का एक बुड्ढा फ़कीर, जिसकी दाढ़ी बहुत लंबी, कपड़े फटे हाल, बाल बेतरतीब थे, वह चढ़ा। उस फ़कीर ने टिकट भी नहीं लिया और वह मेरे आस पास आकर खड़ा हो गया। मैंने उसकी उम्र का ध्यान रखते हुए जगह दे दिया । वह मेरे आगे खड़ा हो गया बस ड्राइवर के पास और वह धीरे-धीरे बस ड्राइवर से बात करने लगा।

भाई साहब बड़ी भीषण गर्मी है। हालत खराब हो गई है ।ड्राइवर ने गाड़ी चलाना जारी रखा। ड्राइवर ने फ़कीर की तरफ देखा और अपनी सहमति दे दी। फकीर ने फिर कहा भाई साहब आप लोगों को गर्मी नहीं लगती है क्या? इतनी भीषण गर्मी में गाड़ी चलाना पड़ता है।

ड्राइवर ने कहा क्या करें नौकरी का सवाल है। पेट का सवाल है। गाड़ी चलाना ही पड़ता है। परेशानी तो है लेकिन जिंदगी यही है। फ़कीर ने उस ड्राइवर को अपनी बातों में उलझाए रखा और उसके प्रति सहानुभूति दिखाते रहा ।ड्राइवर भी फ़कीर की बात से सहमत था और वह भी बोल रहा था भाई साहब आप बहुत अच्छे हैं और आप बिल्कुल सही फरमा रहे हैं।

गाड़ी धीरे-धीरे आगे बढ़ती जा रही थी। उस फ़कीर ने ड्राइवर से कहा भाई यह जो मकबरा है जरा यहां पर गाड़ी थोड़ी देर के लिए रोक देना मुझे वही उतरना है। अल्लाह आपको बहुत दुआ देगा। ड्राइवर ने उसकी बात अनसुनी कर दी। गाड़ी और आगे बढ़ती जा रही थी। धीरे-धीरे वह गोलंबर नजदीक आते जा रहा था।फकीर ने उसे याचना करना जारी रखा। ड्राइवर साहब आप दिखने में बड़े भले मानस हो। बड़े अच्छे इंसान हो । इस फकीर पर कृपा कर दो गाड़ी थोड़ी देर के लिए रोक दो। बार-बार याचना करने पर ड्राइवर बोला बाबा बात सही बोल रहे हैं लेकिन यह मेरी भी नौकरी का सवाल है। इस गोलंबर पर ट्रैफिक पुलिस हमेशा रहती है । पकड़े जाने पर चालान हो जाएगा।

फ़कीर अपनी विनती जारी रखा। उसने कहा बच्चे थोड़ी देर के लिए रोक दोगे तो इस फकीर की दुआएं आपके काम आएगी। तुम गाड़ी रोकना मत, धीमा ही कर देना, मैं उतर जाऊँगा । इसके बाद बहुत आगे बस स्टैंड है, वहां से आने में मेरी हालत खराब हो जाएगी, ऊपर से इस गर्मी की मार देख रहे हो ।अल्लाह आपका बहुत भला करेगा। आप बड़े नेक बंदे हो। गाड़ी रोक देना भाई। फकीर के मुंह से अमृत जैसी मीठी वाणी निकल रही थी। वह बार-बार ड्राइवर की खुशामद कर रहा था और उसे रोकने की विनती कर रहा था।

ड्राइवर को गुस्सा आने लगा। इस फ़कीर को बात समझ में नहीं आ रही है ट्रैफिक पुलिस से पकड़े जाने के बाद चालान हो जाता है। वह फ़कीर की बात को अनसुनी करने लगा। फकीर लगातार अपनी खुशामद जारी रखा। वह ड्राइवर की लगातार बड़ाई कर रहा था, कि वह अल्लाह का बड़ा नेक बंदा है, दिखने में बड़ा अच्छा है और उसे फकीर पर उसे कृपा करनी चाहिए, इस फकीर की दुआएं उसकी बड़ी काम आएगी। और यह जो मजार के फकीर बाबा है उनकी भी दुआ उसको लगेगी । गाड़ी जरा थोड़ी देर के लिए रोक देना भाई।

मैंने देखा कि ड्राइवर ने उस फकीर की बात बिल्कुल अनसुनी कर दी और गाड़ी जैसे ही मक़बरे के पास आई उसने गाड़ी की रफ्तार उसने थोड़ी तेज कर दी। फकीर बहुत जोर-जोर से विनती करने लग , अरे अल्लाह के नेक बंदे अल्लाह ,तुझे दुआ देगा, मैं भी तुझे दुआ दूंगा, थोड़ी देर के लिए गाड़ी रोक देगा तो क्या होगा, देख यहां पर कोई ट्रैफिक पुलिस भी नहीं है , जरा गाड़ी रोक दें । ड्राइवर और तेज चला कर गाड़ी भगाने लगा । फकीर ने देखा कि उस का मकबरा का स्टैंड छूट गया है। फकीर ने विनती की भाई, मैं अब थोड़ा सा आगे आ गया हूं, अब तो रोक दो। कम से कम यहां से तो लौट जाऊंगा। लेकिन ड्राइवर ने उसकी बात नहीं सुनी और गाड़ी पुल पर चढ़ा दी। बस लगभग 1 किलोमीटर आगे निकल चुकी थी। धीरे-धीरे फकीर का गिड़गिड़ाना गुस्सा में बदलने लगा। अरे भाई तू मुझे इतना आगे लेकर आ गया है। यहां से तो पीछे जाने में मेरी हालत खराब हो जाएगी। यह गर्मी देख, यह धूप देख, अब तो यहां पर रोक दे। तू ने वैसे ही मेरा काम इतना खराब कर दिया। बदतमीज इंसान मुझे यहां तो उतार दे।

उसके बदतमीज शब्द का संबोधन करने पर ड्राइवर पर बड़ा प्रतिकूल असर पड़ा और ड्राइवर ने गाड़ी को और तेज़ कर दिया। फकीर ने देखा कि गाड़ी लगभग 2 किलोमीटर आगे आ चुकी है। वह फिर गिड़गिड़ाने लगा, अरे ड्राइवर साहब गोल्फ कोर्स के बस स्टैंड पर तो रोक दो, मैं वैसे ही इतना आगे आ चुका हूं।

ड्राइवर नहीं माना। फकीर की आवाज़ तेज़ हो उठी। तूने मेरा दिमाग खराब कर रखा है बेवकूफ़ इंसान। बस स्टैंड पार हो गया। इसका नतीजा यह हुआ कि जो फकीर के मुंह से अब तक जो अमृत की वाणी निकल रही थी, वह बिल्कुल बदल गई और उसने ड्राइवर को गाली देना शुरु कर दिया।

अरे बदतमीज, कमबख्त, बेवकूफ़, मूर्ख इंसान ,अल्लाह तुझे नरक में डालेगा, तेरे लिए नरक में भी जगह नहीं मिलेगी, तेरे शरीर से खून फूटेंगे, नीच आदमी तूने इस बूढ़े फकीर को सताया है, कितनी दूरी तक ले कर आ गया, क्या मिलेगा तुझे।

ड्राइवर को गुस्सा आ गया और बोला कि तूने तो टिकट भी नहीं लिया है। तुझे जेल में जाना चाहिए। मूर्ख अनपढ़ गवार बेतरतीब आदमी , खुद टिकट नहीं ले रहा है और मुझे बोल रहा है। और फ़कीर की लगातार गाली गलौज जारी रही। फ़कीर उसको गाली देता रहा और ड्राइवर भी उसको गाली देता रहा। कभी-कभी फ़कीर ने अपने हाथ से उस को धक्का दे दिया , तो ड्राइवर ने भी फकीर को ढकेल दिया। इस तरह से हाथापाई की नौबत आ गई।

आखिरकार चिड़िया घर का बस स्टैंड आ गया और वहां पर फ़कीर उस चिड़िया घर के बस स्टैंड पर उतर गया। उसने उतरने के बाद भी ड्राइवर को गाली देना जारी रखा। फ़कीर की अमृतमय खुशामदी भरे लहज़े वाली वाणी जहर में परिवर्तित हो चुकी थी।


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