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Savita Singh

Others Tragedy

5.0  

Savita Singh

Others Tragedy

शहीद (अंतिम भाग )

शहीद (अंतिम भाग )

4 mins
586


उसने आँखे खोली सामने जेबा खड़ी थी लगा अब वो बड़ी हो गई थी बहुत सुन्दर भी उसने पूछा कैसे हो नावेद पढ़ रहे हो या छोड़ दिया ,नावेद ने कहा कहाँ पढाई अब हालात देख रही हो कश्मीरी पंडित भगाये जा रहे हैं कश्मीर हमारा है चौंक गई ज़ेबा क्या कहा तुमने ?हम हिंदुस्तानी हैं नावेद भी चौंक कर बहाने बनाने लगा जैसे कोई बात न कहने वाली कह दिया वो मन ही मन ज़ेबा से प्यार भी करता था नहीं चाहता था की वो नाराज़ हो !उसके बाद कई बार वो मिले ज़ेबा को हमेशा लगता वो कुछ छुपा रहा हो आखिर वो एक दिन उसके

पीछे पड़ ही गई बताओ तुम क्या छुपा रहे हो काफ़ी हिले हवाले के बाद उसने मुँह खोल ही दिया ,तेरे जाने के बाद कुछ लोग मुझे सरहद पार उठा ले गए और पहले उन्होंने ख़ूब समझाया की कश्मीर पाकिस्तान और मुसलमानों का है हिन्दुस्तान उनका हक़ मार रहा है और उसके बाद हथियारों का प्रशिक्षण दिया और मैं एक आतंकी हूँ कश्मीर को हिन्दुस्तान से छुड़ाना है ,ये सुनकर ज़ेबा की आँखों में ख़ून उतर आया और एक थप्पड़ नावेद के चेहरे पर पड़ा ...ऐसा होके तुम्हारी हिम्मत कैसे पड़ी मुझसे मिलने और बात करने की !अगर मैं चाहूँ तो तुम्हें इसी वक़्त जेल भेज दूँ या जान से मरवा दूँ लेकिन तुम मेरे बचपन के साथी हो तो मैं तुम्हें समझाना और एक मौका देना चाहती हूँ !क्या तुझे नहीं मालूम की हिंदुस्तानी मुसलमानों के क्या हाल हैं पाकिस्तान में और हिन्दुओं का हाल तो बेहाल ही है यहाँ के ब्राम्हणों को भगाया तुम लोगों ने तो अपने हाल क्या हैं इस माहौल में सैलानियों का आना बंद हुआ और जो यहाँ शॉल वगैरह का व्यापार था उसका क्या हुआ ?हिंदुस्तान में तो नौकरी हो या या कुछ भी हो सबमें शामिल हैं मुस्लमान राजनीति में भले भड़का कर दंगे हों पर आम इंसान अमन पसंद है एक दूसरे के जज़्बात और धर्म को इज़्ज़त देता है मेरे पापा भी फ़ौजी हैं पर वो हिन्दू या मुस्लमान नहीं हिंदुस्तानी हैं अलग कश्मीर का जो पाठ पढ़ा रहे हैं वो ख़ुद तो अपने कब्ज़े के कश्मीर को मुक्त करें ,तुम्हारे जैसे कच्चे दिमाग़ वालों को बहलाकर आतंकवाद में झोंक रहे हैं क्या होगा कल को कहीं गोली खाकर मर जाओगे और वो देश नहीं मानेगा की तुम उनके हो और आतंकवादी भारत का तो कतई नहीं होगा एक बेनाम मौत मरोगे ऐसे ही काफ़ी समझाया जेबा ने उसको और सरेंडर के लिए राज़ी कर लिया !

नावेद ने सरेंडर कर दिया और अभी उसने कोई ऐसा काम भी नहीं किया था उसको कस्टडी में रखा गया एक साल बाद उसने फ़ौज में शामिल होने की इच्छा जाहिर की अब तक वो अपने अच्छे व्यवहार से दिल जीत चूका था ,वो हाई स्कूल तक ही पढ़ा था उसे फिज़िकल ट्रेनिंग देकर जवान के रूप में भर्ती कर लिया गया !

फ़ौजी के रूप में उसने कई बार बहुत बहादुरी के कारनामे दिखाए उसे प्रमोशन भी मिले लेकिन उसके बाद उसका मिलना ज़ेबा से नहीं हुआ कभी वो उसे याद करता हमेशा लेकिन खुद को देश को समर्पित कर दिया तो शादी व्याह का ध्यान छोड़ दिया !

उसकी आँखे बंद हो रहीं थीं अंतिम साँस ले रहा था और सोच रहा था अब जरूर ज़ेबा को मुझ पर गर्व होगा और मैं ज़न्नत नशीं हो जाऊँगा देश पर मिट के उसके होठों पर एक शांत और पवित्र मुस्कान थी आँखे खुली ही थीं और वो जा चूका था ,साथ के जवान ने देखा कोई हलचल नहीं तो हिलाने और आवाज़ देने लगा लेकिन नावेद जा चूका था !

नावेद को तिरंगे में घर लाया गया ,जब अंतिम सलामी दी जा रही थी राइफलों की गड़गड़ाहट में पीछे सफ़ेद कपड़ों में एक लड़की आँखों में आँसू और चेहरे पर गर्व लिए बड़े प्यार से तिरंगे में लिपटे उस बहादुर को देख रही थी और मन ही मन सलाम कर रही थीं !

ये थी ज़ेबा !!!!!!!!!!


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