एक्वेरियम
एक्वेरियम
"आखिर आप ले ही आये एक्वेरियम कर दी बेटी की ख़्वाहिश पूरी।"
थोड़ा गुस्से मे बोली आभा सक्षम से।
" तुम भी ना आभा देखो ना कितनी ख़ुश है आराध्या इसकी ख़ुशी देखकर ऐसा लग रहा जैसे सदियों से बन्द कोई दरवाजा खुल गया हो और सुनहरी धूप छन छन कर अन्दर आने को आतुर हो उठी हो और जानती भी हो तैरती हुई मछलियों को देखने से तनाव भी दूर हो जाता है "।
अचानक विचलित सी आराध्य ने आवाज़ लगाई।
"पापा पापा देखो ना एक फिश तो सो गई ।"
तभी आभा ध्यान से मछली को देखकर बोली ।
"नदियों मे काँच की दीवारें नहीं होती बेटा ,आज़ादी की तलाश में शीशे से टकरा कर हार गई है एक ज़िंदगी । शायद अब हम ख़ुश भी होगें ।और कम हो जाऐगा हमारा तनाव है ना।"
माँ की बात सुनकर तड़प कर बोली आराध्या ।
"पापा कार निकालिये जल्दी पास वाली नदी तक चलना है।"
बेटी की बात सुनकर मुस्कुरायी आभा को नज़र आया फिर एक दरवाजा जिसके खुलने से कैदी आज़ाद होकर धूप की नरमी को सहेज रहे थे।
नेहा अग्रवाल