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प्यार और प्रायश्चित

प्यार और प्रायश्चित

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समीर बड़े गौर से बारिश को निहार रहा था और कुछ सोच रहा था कि इतने में उसकी माँ गरमागर्म चाय और पकौड़े के आई और समीर को बोलने लगी," आ बारिश का मज़ा लेते है इन चाय और पकौड़ों के साथ"


समीर फीकी सी हँसी हँस दिया माँ का दिल रखने के लिए।


इतने में माँ फिर से बोल पड़ी," मुझे आज तुझसे एक ज़रूरी बात भी करनी है। शर्मा जी ने फिर तेरे लिए एक रिश्ता बताया है। अब की बार मैं तेरा कोई बहाना नहीं सुनूंगी। मुझे मेरी बहू चाहिए और अब तो तू पैंतीस का हो गया है, अगर अब शादी नहीं करेगा तो कब करेगा। पता नहीं तेरे मन में क्या है, लेकिन अब मेरे मन की चलेगी"


समीर खाली खाली नज़रों से माँ को देखते हुए बोला, "नहीं माँ, मैं शादी नहीं करूंगा, ना आज और ना कभी। लेकिन आज मैं आपको अपने शादी ना करने का कारण ज़रूर बताऊंगा ताकि आगे से आप मेरे लिए रिश्ते लाना बंद कर दें"


"हर बारिश का मौसम मेरे लिए उदासी और दुख भरा होता है। हर बार की बारिश अतीत का दरवाज़ा खोल देती है और मेरा ज़मीर मुझे लताड़ता है। मेरा प्रायश्चित कभी पूरा नहीं होगा", समीर बारिश को देखते हुए अपनी माँ से बोला।


"याद है माँ, जब मैं 20 बरस का था और काफी बीमार रहने लगा था। तब डॉक्टर ने मुझे हवा पानी बदलने को बोला था और तब तुम मुझे मामा के घर गांव में ले गई थी जहाँ मैं छह महीने तक रुका था", समीर ने अपनी माँ को याद दिलाया।


समीर की माँ बोली, "हाँ याद है लेकिन उस बात का तुम्हारे शादी ना करने से क्या ताल्लुक?"


समीर बोला," वहाँ मामा के घर रहते हुए मुझे कुछ दिन ही हुए थे, तभी मुझे एक लड़की से प्यार हो गया था। याद है ना मामा के घर से दो घर छोड़ कर रहती थी, सीमा"


माँ ने कुछ बोलने के लिए मुंह खोला तो समीर ने हाथ के इशारे से रोक दिया और बोला,"नहीं माँ, आज मुझे बीच में मत रोको, सब कह लेने दो। नहीं तो मैं शायद आपको पूरी बात नहीं बता पाऊंगा"


माँ चुप हो गई और समीर ने फिर से बोलना शुरू किया," बहुत प्यारी लड़की थी सीमा, बहुत सुलझी और शांत स्वभाव की। उसके स्वभाव और मृदुल हँसी ने मुझे उसका बना दिया। मैंने सोच था कि शादी करूंगा तो सिर्फ सीमा से और ये भी यकीन था मुझे की तुम भी मान जाओगी क्योंकि वो थी ही इतनी अच्छी।


एक दिन मैंने सीमा से अपने प्यार का इजहार कर दिया। उसने मना कर दिया क्योंकि उस अपने माँ बाप से बड़ा डर लगता था और उसने मुझे भी समझाया कि इन सब बातों में से ध्यान हटाने को। उसके माँ बाप बड़े सख्त थे, उसे डर था कि ऐसा कुछ पता चलने पर वो उसका खून ही कर देंगे।


लेकिन माँ मैं नहीं माना। धीरे धीरे मैंने उसे अपने प्यार का विश्वास दिला ही दिया। फिर वो भी मुझसे प्यार करने लगी और मैंने भी उसको विश्वास दिला दिया था कि अगर मैं शादी करूंगा तो सिर्फ उससे।


एक दिन जब हम लोग मिले तब बड़ी ज़ोर से बारिश हो रही थी और उस दिन माँ मुझसे और सीमा से गलती हो गई। हम वो सीमा लांघ गए जो हमें नहीं लांघनी चाहिए थी।

थोड़े दिनों बाद सीमा बहुत रो रही थी। वो माँ बनने वाली थी। तब मैंने उसे फिर से विश्वास दिलाया कि मैं उसके साथ हूँ। ये गलती हम दोनों ने की है और ठीक भी हम ही करेंगे। मैं कल ही शहर जाकर माँ से बात करता हूँ और जल्दी ही हम शादी कर लेंगे। सीमा को थोड़ी तसल्ली हुई।


अगले दिन मैं आपके पास शहर आ गया और वहाँ बस से उतरते ही मेरा ऐक्सिडेंट हो गया, ये तो आपको याद ही होगा। पर एक हफ्ता बेहोश रहा था मैं और उस एक हफ्ते में मेरी ज़िन्दगी बदल गई।


जैसे ही होश आया तब मैंने मामा के बेटे विजेंद्र से सीमा का हाल चाल पूछा तो उसने बताया कि सीमा की अचानक से तालाब में डूब कर मौत हो गई। वो मुंह अंधेरे उठ कर शायद नहाने गई थी और पैर फिसलने से तालाब में सिर के बल गिर गई और डूब कर मर गई।


मेरी दुनिया लुट गई थी माँ उस दिन। मुझे पता था कि सीमा को तालाब पर नहाना नहीं पसंद था, फिर वो ऐसा भला क्यों करती। शायद उसके घर वालों को हमारे बारे में पता चल गया था और उन्होंने मेरी सीमा को मार दिया", ये कहकर समीर फूट फूट कर रो पड़ा।


"काश मैंने सीमा की बात मानी होती और उस से प्यार ना किया होता तो वो आज ज़िंदा होती। अगर मैंने अपनी सीमा का उल्लघंन नहीं किया होता तो मेरी सीमा आज ज़िंदा होती। गलती हम दोनों से हुई थी और उसने अपने किए की सज़ा भुगत ली और मार डाली गई।


अब मेरी सजा यही है कि मैं उसकी याद में सारी उम्र शादी ना करूं। शायद यही मेरा प्रायश्चित है माँ। ये बारिश मुझे हर वक़्त बस सीमा की और मेरी गलती की याद दिलाती है और हर बार मेरे ज़ख्म छेड़ कर चली जाती है," समीर बोला।


समीर की माँ की आंखों में आसूं थे और लब खामोश। दो प्यार करने वालों का ये अंजाम उनसे भी शायद सहन नहीं हुआ, इसलिए वो भी चुपचाप रो रही थी।


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