सच और झूठ !!
सच और झूठ !!
उन दिनों लगातार यही हो रहा था कि अमित ऑफिस से रात को घर आता और कुछ करते हुए नेहा को अचानक देखता या नेहा के फोन पर उसकी नज़र पड़ती तो नेहा, जो अपने मित्र से चैट कर रही होती थी, चटपट चैट बन्द कर कुछ और करने लगती, यानी फेसबुक पर चली जाती है या लूडो आदि खेलने लगती।अमित इन चीजों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता था। उसे नेहा की मित्रता से कोई परहेज नहीं था। वह एक खुला हुआ और उदार व्यक्ति था।
कल रात भी यही हुआ। जब अमित और नेहा दोनों एक साथ लेटे हुए अपने-अपने फोन पर कुछ कर रहे थे तभी नेहा से कुछ कहने के लिए उठा तो नेहा व्हाटसअप पर अपने मित्र से चैट ही कर रही थी। उसने तड़ से व्हाट्सअप चैट बंद कर दिया।
अमित को कुछ अजीब सा लगा क्योंकि अमित के लिए नेहा का उस जैसे पति के सम्मुख किसी मित्र से उससे निगाह से बच कर चैट करना उसके जैसे उदार चरित्र के लिए एक तरह से असम्मान की ही बात थी। नेहा चैट बन्द कर तत्क्षण ही फेसबुक पर आ चुकी थी।
उसने अमित की फेसबुक पर, अपनी वॉल पर, एक पोस्ट के बारे में अमित से चर्चा की, जो काफी अच्छी पोस्ट थी। अमित ने उस पोस्ट की तारीफ की और मन ही मन हँसा भी कि नेहा यह तुम क्या कर रही हो ?
लेकिन फिर भी उसने बात को आगे बढ़ाना उचित नहीं समझा लेकिन अमित को ऐसा लगा कि दाल में कुछ काला है।
नेहा ! नेहा उससे ज़रूर कुछ छिपा रही है !
थोड़ी देर में ही नेहा को एक पोस्ट लिखने के लिए अमित की मदद की जरूरत आ पड़ी। उसने अमित से एक पोस्ट को लिखने के लिए मदद माँगी। जब अमित, नेहा के फोन पर वह पोस्ट लिख रहा था नोट्स बुक्स में, उस समय भी नेहा के उस मित्र के चैट मैसेजेस फोन के साइलेंट मोड में होने के बावजूद स्क्रीन पर तो उभर ही रहे थे, जिससे वह चैट कर रही थी !
अमित मन ही मन हँसता रहा क्योंकि आँखों-देखी को अनदेखा तो नहीं किया जा सकता था ना। मैसेज जो व्हाट्सएप पर आ रहे थे, ना चाहते हुए भी अमित की नजर उन पर पड़ रही थी। मैसेज की कुछ पंक्तियों पर भी उसका ध्यान गया जो अमित के मन में अंकित हो गईं।
खैर, अमित ने वह पोस्ट नेहा की फेसबुक वॉल पर पोस्ट कर दी !
संयोग से नेहा का सोने के पूर्व बाथरूम जाना हुआ और उसने फोन बगल वाली साइड टेबल पर रख दिया और बाथरूम चली गई। नोटिफिकेशन उस वक्त भी आ रहे थे। अमित की नजर उन पर पड़ी और तब अमित सोने का बहाना करके सो गया। अमित को सोया हुआ समझकर आधी रात के बाद तक नेहा की चैट अपने दोस्त से चलती रही। जो यूँ भी हुआ करती थी, जिसे अमित जानता ही था।
सोया हुआ अमित मन ही मन मुस्कुराता रहा था !
सुबह हुई तो अमित के फोन का मासिक बैलेंस खत्म हो चुका था। उसने अपने फोन से पे.टी.एम. रिचार्ज करने के लिए नेहा के फोन से वाई फाई लेने की कोशिश की और पे.टी.एम. से अपने फोन को रिचार्ज किया। नेहा और अमित दोनों एक-दूसरे के फोन का पासवर्ड जानते थे। अपना पासवर्ड नेहा ने जानबूझकर अमित को बता रखा था क्योंकि नेहा होशियारी पूर्वक अपने द्वारा की गई सारी चैट को हमेशा डिलीट कर दिया करती थी और यह बात भी अमित जानता था !
अमित रोज की तरह अपने काम में लग गया ! नेहा जो अपने हिसाब से अमित से कुछ नहीं छिपाती थी या यूँ कहें कि दोनों आपस में एक-दूसरे से कुछ नहीं छिपाते थे या कुछ नहीं छिपाने का बहाना करते थे, जिसमें प्रैक्टिकली दूसरी बात ज्यादा सच थी !
अमित ने हाथ में नेहा का फोन लिया तो उसने देखा कि अन्य नोटिफिकेशनस आ रहे थे और संजोग से अमित की उंगली ना चाहते हुए भी नेहा के फोन की उस चैट पर चली गई और चैटबॉक्स खुलते ही उसने देखा कि रात को की गई नेहा की वह चैट नदारद थी जिसके कुछ शब्द और वाक्य अमित के मन में रात को अंकित हुए थे ! नेहा द्वारा रात को साढ़े बारह बजे तक चैट की गई थी जबकि चैट का आखिरी स्टेटस शाम के चार बजे बता रहा था जिसमें नेहा के मित्र का एक अच्छा सा कोटेशन मैसेज था। जिसको नेहा ने लाइक किया था। उससे पहले की तमाम चैट्स के साथ भी ऐसा ही था बीच की सारी चैट्स ग़ायब थी। सिर्फ कुछ अच्छे मैसेज,जो सब के द्वारा देखे जा सकते थे, उस चैट बॉक्स में थे !
हालांकि अमित पर्याप्त खुला हुआ इंसान है, जो जानता है कि ऐसी ही है यह दुनिया, जहाँ लोग या पति-पत्नी जितना एक-दूसरे को सब कुछ दिखाने का दावा करते हैं, उतना छिपे हुए होते हैं, बल्कि उससे कहीं बहुत ज्यादा छिपे हुए होते हैं !
यही दुनिया है और हम सबको मोबाइल से जुड़ी हुई इस दुनिया के इस झूठ के साथ ही जीना होता है और यह झूठ अब अनिवार्य है, लाज़िमी भी, क्योंकि दोस्ती में भी तो कुछ अंतरंग बातें होती है जो सबको नहीं बताई जा सकतीं !
अमित के लिए यह बिल्कुल स्वाभाविक है और नेहा द्वारा अपनी समस्त चैट का डिलीट किया जाना भी स्वाभाविक है। अमित ने मन ही मन सोचा कि नेहा से इस विषय में कभी बात नहीं करेगा और नेहा की दोस्ती के फूल को खिलते रहने देगा !