दोहराव
दोहराव
"बेटा ! खा ले... और कितनी देर तक मैं तेरे पीछे खड़ा रहूँगा।"
किशोर अपने तीन साल के बेटे चिंटू को खाना खिलाने की बड़ी कौशिश कर रहा था, लेकिन चिंटू मोबाइल में व्यस्त था और लाख कोशिश के बाद भी चिंटू कुछ खा नहीं रहा था।
चिंटू की इस हरकत पर उसे अपना बचपन याद आ गया जब माँ रोटी लेकर उसके पीछे-पीछे घूमती थी और वह उछल-कूद करता फिरता था, रोटी नहीं खाता था। माँ, पिताजी से शिकायत करती तो पिताजी कहते, "चिंता मत कर आज जितना यह तुम्हें सता रहा है, इसके बच्चे इसको सताएंगे।
समय अपने को दोहराता है बस पात्र बदलते हैं।"
और आज पात्र बदले हुए थे। वह बचपन में उछल-कूद करके माँ-बाप को परेशान करता था, उसका बेटा कमरे में बैठा मोबाइल में घुसा हुआ।
'पिताजी का कहा आज सच हो रहा था।' सोचते हुए उसने एक और कोशिश की....