नज़रिया जिंदगी का
नज़रिया जिंदगी का
जिंदगी खेल नहीं है ये तो एक करिश्मा है हमें कभी भी किसी भी मोड़ की तरफ मोड़ दे ये जिंदगी का नया दस्तूर है।
जिंदगी को समझना रहस्य के समुद्र में डुबकी लगाना अथवा गोता लगाना है ये अनसुलझी पहेली है, जिसको कई विद्वानों ने छेड़ने की कोशिश की, परिणाम क्या निकला वो खुद भी अंततः इसके शिकार हो गए।
हमारे हर कार्यो में विभिन्नता का स्तर तय करना, हमारे हर गमों में खुशी ढूंढना, कभी शाम कभी सुबह हर जगह अपने स्वरूप में कुछ आकर नया सीखाना ये जिंदगी का अपना एक स्टाइल है जिसको समझ पाना कोई हर किसी के बस की बात नहीं है पर इसे और बेहतर समझना हमारे व्यक्तित्व में सुधार के समरूप है।
हमारे वातावरण को नए और व्यवस्थित माध्यम में घोलने के लिए ऊर्जावान आवश्यक मापदण्डों के अनुसार अपने जीवन को संवारने के लिए अत्यावश्यक है।
ये सब हमारे ऊपर ही निर्भर करता है कि ज़िन्दगी को हम किस नजरिये से देखते हैं। हम जितने सहज अंदाज में जिंदगी को देखेंगे ये उतनी ही सहज हमारे लिए बनती जायेगी।