बंद खिड़की भाग 8
बंद खिड़की भाग 8
बंद खिड़की भाग 8
दिगंबर को फूट-फूट कर रोता देख तुकाराम शांत होकर उसके चुप होने का इंतजार करता रहा। फिर जब हिचकियाँ थोड़ी थमी तो बोला, किस्सा क्या है?
दिगंबर बोला, साहेब! मेरे घर के सामने की तरफ एक सब्जीमंडी है जिसमें कोल्हापुर की रहने वाली सुषमा बाई सब्जी का धंधा करती है। उसका मरद चार साल पहले मर गया और उसके सास और देवर ने उसे घर से निकाल दिया। बच्चा उसको है नहीं। मुझसे उसकी अच्छी जमती है साहेब।वो इधर कुछ दिन से कहने लगी है कि मुझे अपने घर में रख लो मैं गायत्री की छोटी बहन बनकर रहूँगी। वह एक दो बार घर पर गायत्री से बात करने भी आई थी पर गायत्री ने उसे लताड़कर भगा दिया था। मैं कल दोपहर में घर आया तो मुझे गायत्री मरी मिली और उसके बाजू में एक प्लास्टिक की चूड़ी का वैसा टुकड़ा मिला जो चूड़ी मैंने परसों ही सुषमा को खरीद के दी थी तो मैंने सोचा कि शायद गहमागहमी में सुषमा के हाथ से यह गुनाह हो गया है तो मैं डर गया।
अगर सुषमा के गला घोंटने पर गायत्री मरी तो वो फंदे पर लटकती कैसे मिली?
मैंने लटकाया साहेब! दिगंबर ने मुंह लटकाकर कहा तो तुकाराम के चेहरे पर दुनिया भर का आश्चर्य उमड़ आया।
आखिर ऐसा क्यों किया तुमने?
साहेब! सुषमा के हाथ से यह गुनाह हो गया है यह जानकर मैं बेहद डर गया। सुषमा मेरे घर में रहना चाहती थी पर उसने कभी गायत्री को बुरा नहीं बोला था लेकिन पता नहीं कैसे उससे ऐसा गुनाह हो गया था मैंने सोचा कि अब गायत्री तो गई अब अगर इसके क़त्ल के जुर्म में सुषमा भी फांसी चढ़ गई तो मेरे बच्चों का क्या होगा। सुषमा मेरे बच्चों को बहुत प्यार करती है साहेब। अभी चार दिन से वही मेरे बच्चों को खिला पिला रही है।
क्या सुषमा ने तुमको बोला कि उसने गायत्री को मारा है?
नहीं साहेब! इस बारे में कोई बात नहीं हुई। उसने न कुछ बताया न मैंने पूछा।
फिर क्या हुआ?
मैंने देखा कि गायत्री मरी पड़ी है तो लोगों को दिखाने के लिए बाहर निकल गया लेकिन घूम कर खिड़की से भीतर आ गया और मैंने कमरे में पड़ी रस्सी उसके गले में बांधकर छत के कड़े से गुजार कर खींच कर बाँध दी फिर खिड़की से कूद कर काम पर चला गया। मुझे लगा अब इसे ख़ुदकुशी समझा जाएगा और सुषमा बच जाएगी।
तुकाराम ने दिगंबर को हवालात में बंद कर दिया और एक महिला हवलदार को दो हवलदारों के साथ सुषमा को पकड़ लाने के लिए रवाना कर दिया।
क्या सुषमा ने अपना जुर्म कबूल कर लिया?
कहानी अभी जारी है...
पढ़िए भाग 9