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Meenakshi Kilawat

Inspirational

5.0  

Meenakshi Kilawat

Inspirational

आत्मविश्वास के बल पर

आत्मविश्वास के बल पर

3 mins
424


वह बचपन में ही नऊ रोगों से पीड़ित थी। चलना फिरना दौड़ना उठना बैठना, कुछ भी नहीं कर पाती थी। वहां पर स्वाधीन थी। लेकिन वह कुछ क्षमताओं की धनी थी। वह घबराई नहीं उसे मैदान में खेलने का बहुत शौक था।

वह अपना शौक पूरा करना चाहती थी, लेकिन पंगु होने की वजह से वह कुछ भी नहीं कर सकती थी। लेकिन वह कुछ करना चाहती थी। उसके पास आत्मविश्वास की भी कमी नहीं थी । उसका नाम" वूल्मा रूडाल्फ" था। वहां अमेरिका की रहने वाली थी। उस लड़की ने सोचा अपने समय का सदुपयोग किया जाए, और उसने अपने क्षमता के पार जाकर विश्व में नाम कमाया, जानते हो ;उसे क्या करना पड़ा, दिन रात अपने आप को, अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर अथक प्रयास किए, कड़ी मेहनत की उसने अपना समय फिजूल खर्च नहीं किया.वूल्माने सोचा अपने समय का सदुपयोग क्यो ना करूं, वह दिन-रात प्रैक्टिस में लगी रही, और एक दिन वह अपने पंगुपन से से बाहर निकल गई थी। रोज4:00 बजे सुबह उठकर दौड़ने जाती थी। बहुत ज्यादा दर्द होने की वजह से वह जमीन पर गिर पड़ती थी, उस लड़की ने कितने आंसू बहाए, लेकिन हौसला बनाए रखा। उसके ट्यूटर उसकी तरक्की देखकर बहुत खुश होते, दिन पर दिन अच्छा परफाँर्मस करती जा रही थी। दिनभर की मेहनत से , वह ओलंपिकमे पहुंच गई थी। वूल्माने ओलंपिक में १९६०मे रोम मे तीन स्वर्ण पदक जीते। एवं सबको आश्चर्य का धक्का दिया, और अपार यश संपादन किया । वूल्माको अब अपंग होने पर कोई रंज नहीं था, उसने बेहद हौसले से अपने आप को सिद्ध किया एवं करती चली गई।

 उसने अपने आप को सक्षम बनाकर, प्रयास जारी रखा,  

अगर उसने अपने समय को बर्बाद किया होता तो क्या वह इतना यश मिला सकती थी ? उसने जिद और लक्ष्य को सामने रखा, एवं ऊंचाई पर पंचम फहराया।

जिसके पास समय नहीं होता वह वह अपनी जिंदगी में अवश्य कामयाब होता है। उसे आकाश छूने मे देर नहीं लगती है। कारण वह अपना समय खर्च नहीं करता अपने समय की अहमियत जानकर और समय को अच्छे कार्योमे तब्दिल करता है। वह समय का महत्व जानता है। कभी ना कभी कोई तरह से कीर्ति जरूर पाता है।

जो व्यक्ति फिजूल समय खर्च करता है, वह कुछ भी तरक्की नहीं कर सकता। जिसके पास जिद्द है वही क्षमता के बल परआगे बढ़ पाता है। जो का कार्य कोई नहीं कर सकता वह काम उल्मा ने कर दिखाया।

कई लोगों ने उसका आत्मविश्वास गिराना चाहा, और एवं गलत मालूमात दी, लेकिन वह अडिग अटल रही। उसने लक्ष्य को सामने रखकर जो सपना देखा था वह पूरा कोई रोक नहीं सका। पूरी शक्तिसे उसने अपने आप को तटस्थ बना रखा। यश अपयश की चिंता करे बगैर वह आगे बढ़ती गई। पराजय की जरा भी चिंता नहीं रही। उसे अपना यश दिखाई दे रहा था। यशस्वी होने में उसका आत्मविश्वास सबल था। कभी हारने की कल्पना मात्र भी उसने नहीं की थी। आज हमारे पास में दो हाथ पैर होकर भी हम अपने समय का सही उपयोग नहीं करते।


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