अपेक्षाएं निरंतर
अपेक्षाएं निरंतर
उसका खिलती सुबह सा उजला और नैसर्गिक रूप स्वभाव बहुत पसंद आया था उसे, इसलिये अब वह उसकी पत्नी और घर की बहू थी।
अगले कई सालों तक अनवरत मेहनत करके उसे अच्छी पत्नी और अच्छी बहू के साँचे में ढालना पड़ा था क्योंकि उसे एक अच्छी पत्नी और
घर वालों को एक अच्छी बहू की जरूरत थी।
पर अब वह उसे पसंद नहीं करता है क्योंकि उसने तो उसका हँसना मुस्कुराना देख कर ब्याह किया था, पर इसके पास तो रुदन मुर्दनी के
अलावा और कुछ भी नहीं !