"छू लूं आसमां"
"छू लूं आसमां"
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निर्निमेष तकती हूँ
नभ में टके
सितारों को.....
पिंजरबध्द जीवन
मेघनाद करने लगा....
स्पर्द्धा होने लगी
स्वं के अस्तित्व से
सागर सी हिलोरें
द्वन्द्व करने लगी......
छू लूं आसमां
दुर्भेद्य कर
मन संताप........