Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

पहचान

पहचान

3 mins
15.8K


प्रसव वेदना से कराहती हुई उमा के कानों में जब बच्चे के रुदन की आवाज़ पहुँची वो तत्काल ही अपना सारा दर्द भूलकर अपने बच्चे को देखने के लिए व्यग्र हो उठी।

लड़खड़ाती हुई आवाज़ में उसने नर्स से पूछा- बिटिया आयी है या बेटा ?

नर्स चीखती हुई कक्ष से बाहर चली गयी।

उमा कुछ समझ नहीं पाई। डॉक्टर उमा के पास आई और उसे संभालते हुए कहा- उमा, सुनो तुम बिल्कुल परेशान मत होना। इसमें तुम्हारी या इस बच्चे की कोई गलती नहीं है।

दरअसल ये बच्चा ना बेटी है ना बेटा।

डॉक्टर की बात सुनते ही उमा बेहोश हो गयी।

होश में आने पर जब उमा ने अपने बच्चे को उसके पिता केशव की गोद में देखा तो उसकी ममता छलक उठी।

उसने अपने बच्चे को सीने से लगा लिया।

परिवार और समाज के विरोध के बावजूद उमा और केशव ने उस बच्चे को खुद से अलग नहीं किया और प्यार से उसकी परवरिश करने लगे।

उन्होंने उसका नाम अंशु रखा।

अंशु के अधिकांश लक्षण लड़कियों की तरह थे लेकिन वो आम लड़कियों जैसी नहीं थी।

जैसे-जैसे अंशु बड़ी हो रही थी, उसे अपने असामान्य होने का आभास होता जा रहा था।

एक दिन कक्षा में अन्य लड़कियों द्वारा उसका मजाक बनाये जाने पर रोती हुई अंशु घर पहुँची और उमा से कहा- माँ सच-सच बताओ कौन हूँ मैं ? क्या पहचान है मेरी ? मैं सबसे अलग क्यों हूँ ? सब मुझ पर हँसते है।

उमा ने अपनी बेटी के आँसू पोंछते हुए उसे सीने से लगा लिया और बोली- तू वो है मेरी लाडली जिसे ईश्वर ने पहचान नहीं दी, लेकिन तू अपनी पहचान खुद बनाएगी। और फिर उसके किन्नर होने की सच्चाई उसे बता दी।

सड़कों पर, बसों और ट्रेनों में घूमते हुए, भीख मांगते हुए किन्नर अंशु की आँखों के आगे घूमने लगे।

कुछ देर के लिए अंशु की आँखों के आगे अंधेरा छा गया। एक पल के लिए उसने सोचा क्यों ना ये अभिशापित जीवन खत्म कर दूँ, लेकिन फिर उसके माता-पिता के प्यार और स्नेह ने उसे रोक लिया।

अंशु ने ठान लिया वो अपनी पहचान खुद बनाएगी और अपने जैसे दूसरे लोगों के लिए एक उदाहरण बनेगी।

सहपाठियों के मज़ाक पर प्रतिक्रिया देना बन्द करके अब अंशु ने खुद को पूरी तरह अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित कर दिया।

वक्त अपनी रफ्तार से गुजरता गया।

अंशु ने अपनी पहचान बनाने के लिए प्रशासनिक विभाग को चुना क्योंकि उसे लगता था यही वो रास्ता है जिस पर चलकर वो अपने जैसे अन्य लोगों के लिए भी कुछ कर सकेगी।

अखबारों में अंतिम परिणाम की घोषणा के साथ ही सबकी जुबान पर बस अंशु का नाम था।

आखिरकार अपनी कड़ी मेहनत की बदौलत उसने सामान्य श्रेणी में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया था।

उमा और केशव की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। जिस बच्ची के कारण सब उन्हें ताने देते थे, आज उसी बच्ची के कारण सब उनका गुणगान करते नहीं थक रहे थे।

पहली नियुक्ति के कुछ वक्त बाद ही अंशु ने पूरे विभाग के सहयोग से एक विद्यालय की स्थापना की जो किन्नर समुदाय के उन बच्चों को समर्पित था, जो सामान्य लोगों की तरह अपनी एक पहचान बनाना चाहते थे और सामान्य जीवन जीना चाहते थे।

शुरू-शुरू में सभी झिझक रहे थे, घबरा रहे थे कि समाज उन्हें स्वीकार करेगा या नहीं लेकिन अंशु द्वारा मिली हुई प्रेरणा ने रंग दिखाना शुरू किया और किन्नर समुदाय के अधिकांश बच्चे उस विद्यालय में आने लगे।

उनकी आँखों में आने वाले कल के सुनहरे सपनों और अपमान के आँसुओं की जगह खुशी की मुस्कान देखकर सारा किन्नर समुदाय अंशु को दुआ दे रहा था।

उमा और केशव गर्व से देख रहे थे अपनी उस लाडली को जिसने उनके फैसले को सही साबित करके उनका सर फक्र से ऊँचा कर दिया था।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama