बंद खिड़की भाग 2
बंद खिड़की भाग 2
बंद खिड़की भाग 2
नासिक वह जगह है जहाँ भगवान राम ने सीता सहित वनवास का कुछ समय बिताया था और यहीं मारीच ने मायामृग का रूप धरकर सीता के चित्त में मोह उत्पन्न किया और उनका हरण हुआ। यही शूर्पणखा की नाक भी काटी गई थी जिसके प्रतिशोध स्वरुप वह सब घटनाएं घटित हुई थीं। गोदावरी नदी के तट पर बसे नासिक में अनेक मंदिर हैं। कालाराम मंदिर, जहाँ तुकाराम की पुलिस चौकी थी, इस बात की कहानी कहता था कि सीता हरण के उपरान्त रामजी का शरीर चिंता के मारे काला पड़ गया था। उस मंदिर के आगे जीप घूमते ही एक बस्ती में काफी बड़ी भीड़ और चीख पुकार का माहौल देखकर तुकाराम जीप से उतर पड़ा। यह गरीबों की और मध्यमवर्गीय लोगों की एक मिलीजुली बस्ती थी। थोड़ी पूछताछ से पता चला कि किसी महिला ने आत्महत्या कर ली है। भीड़ पुलिस का आगमन देखते ही काई की तरह फट गई। तुकाराम दनदनाता हुआ घटनास्थल पर पहुंचा। मंगेश साथ ही था। पुलिस को इतनी जल्दी आया देख जनता जनार्दन के आश्चर्य का ठिकाना नहीं था। वे लोग इस बात से अंजान थे कि रूटीन गश्त के दौरान तुकाराम वहाँ आ पहुंचा था। एक आदमी फुसफुसाकर नयी सरकार के कारण पुलिस विभाग में आ चुकी मुस्तैदी के बारे में दूसरे को बता रहा था। तुकाराम उसे घूरता हुआ उस गन्दी सी चाल के आखिरी कमरे पर जा पहुंचा। लगभग चालीस पैंतालीस साल की दुबली सी महिला छत के कड़े से बंधी साड़ी के सहारे झूल रही थी। तुकाराम ने झट मोबाइल फोन निकाल कर महकमे को सूचित करते हुए पुलिस फोटोग्राफर और फोरेंसिक विभाग के लोगों को वहाँ आने का आदेश दिया और निरीक्षण में जुट गया। महिला को मरे कई घंटे हो चुके थे। उसका बदन अकड़ा हुआ लग रहा था। नीचे एक स्टूल लुढ़का पड़ा था। प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का ही मामला लग रहा था पर अपनी इतनी लंबी सर्विस में तुकाराम ने यह सीखा था कि निर्दोष नज़र आने वाले कई केसों में भी भारी रहस्य छुपा होता था और यहाँ भी वही हुआ।
क्या हुआ आगे?
क्या महिला का खून किया गया था?
कहानी अभी जारी है...
पढ़िए भाग 3