रास्ते का फूल
रास्ते का फूल
" बेटा तुम लोग ये किस का गंदा सा बच्चा उठा कर घर ले आये। "बहू की गोद में एक मैले से कम्बल में लिपटे नवजात शिशु को देख कर सास आश्चर्यचकित हो गई।
" देखिये ना मम्मी ! हम लोग तो पहले से ही बच्चा गोद लेने की सोच रहे थे।और ये बच्ची हमें सड़क के किनारे पड़ी हुई मिल गयी, ईश्वर ने हमारी तो मुराद ही पूरी कर दी "शिखा ने चहकते हुए कहा।
" हैंss ! तो क्या तुम सड़क पर पड़ी बच्ची को गोद लोगे ? जिसके ना मां बाप का पता ,और ना खानदान का । न जाने किसके पाप की निशानी है ये "।
" मम्मी ऐसा न बोलो प्लीज़"।
" ना !ना ! बहू ! जाओ इसे किसी अनाथालय में छोड़ आओ। मैं इसे अपने घर में नहीं रखने दूंगी ,साफ सुन लो" ।सास ने नाराज़ होकर कहा । " मैंने कितनी बार बताया था तुम्हें कि हमारी रीता अपना बच्चा देने के लिए तैयार है। और रजत की बहू भी कह चुकी कि उनका बेटा गोद ले लो ,कम से कम उन बच्चों में हमारा अपना खून तो है। पर तुमने माना नहीं ।और अब पता नहीं ये किसकी नाजायज़ औलाद उठा लाये हो तुम लोग।"
"मम्मी बच्चे नाजायज़ नहीं होते, नाजायज़ इसके मां-बाप के संबंध रहे होंगे। जो अपने असफल प्रेम की निशानी को यूं कुत्तों के आगे नोचवाने के लिए फेंक गये। इसमें इस बच्ची का क्या दोष है "। इस बार सिद्धांत ने मां को समझाने का प्रयास किया ।
"मम्मी दीदी और भाभी के बच्चे तो सम्पन्न परिवार में अपने माता पिता की छत्र छाया में नाजों से पल जायेंगे ।लेकिन इस मासूम की ओर देखिये तो,अनाथ आश्रम या कूड़े के ढेर में पल कर क्या होगा इसका भविष्य "। रीना ने बोलते हुए बच्ची को जबरन सास की गोद में डाल दिया तो मासूम ने उनकी साड़ी का किनारा कस कर अपनी मुट्ठी में भींच लिया ।
"देखिए ना मम्मी !कैसे देख रही है आपकी तरफ "।
सास ने बच्ची के गुलाब की पंखुड़ी से सुर्ख होंठ और चिलगोजे सी आंखों को घुमाते देखा तो लगा वो कह रही है ' रख लो ना दादी ! वरना मैं मर जाऊंगी 'सास काफी देर तक बच्ची के हावभाव देखती रही फिर अनायास ही उसकी ममता हिलोरे मारने लगी।
"ठीक है बेटा हमने डिसाइड कर लिया है कि तुम इसी बच्ची को गोद लेकर इसका और अपना जीवन महकाओगे ।