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अनोखा रिश्ता

अनोखा रिश्ता

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एक लड़की जिसका नाम रीता था, वह बहुत दयालु थी हर किसी की मदद करती थी, ऐसा नहीं था, की उसके पास बहुत पैसे थे, वह एक गरीब परिवार से थी लेकिन लोगों की मदद करना उसको बहुत अच्छा लगता था। एक दिन ऑफ़िस जाते समय रीता की चप्पल टूट जाती है और वे वहाँ आस-पास मोची ढूढ़ने लगती है। तभी अचानक वो देखती है कि एक लड़का एक पार्क के बाहर बैठा हुआ लोगो के जूते पौलिश कर रहा था, रीता उसके पास जाती है और वो देखती है की जिसके पैर में खुद कोई जूते नही हैं, वो लोगों के जूते की मरम्मत कर रहा है। वह उस लड़के के पास रुकी और उसने उस लड़के को कहा 'भैया मेरी चप्पल की भी मरम्मत कर दीजिये" और वो वहां एक साइड में बैठ गयी। लड़के के पास बहुत काम था इसलिए रीता को काफी देर रुकना पड़ा, रीता ने सोचा की खाली बैठ कर क्या करे उसने लड़के से बातें करनी शुरू कर दी। रीता ने उस लड़के से उसका नाम पूछा कि " भाई आपका नाम क्या है और आप कहाँ रहते है "?

"लड़के ने कहा जी दीदी जी मेरे नाम धीरज है मैं यही पास की कॉलोनी में रहता हूँ " "फिर रीता ने उससे पूछा की तुम यह काम क्यों करते हो क्या तुम्हारे घर में कोई बड़ा नहीं है यह काम करने वाला ताकि तुम स्कूल जा कर पढ़ सको और आपने और आपने परिवार का जीवन सुधार सको "

" दीदी मैं ही आपने घर में सबसे बड़ा हूँ मेरे माता पिता नहीं है, दो छोटे भाई बहन हैं। जिनकी ज़िम्मेदारी मेरे ऊपर ही है ताकि वो स्कूल जा सके उन्हें पेट भर खाना मिल सके, ताकि वह यहाँ काम न करे, जो ग़लती मेरे माँ और पिता जी से मुझे न पढ़ा कर हुई है। वह ग़लती मैं अपने भाई बहन के साथ नहीं करना चाहता। मैं चाहता हूँ की उनका जीवन खुशहाल हो। यह सब सुन कर रीता के आँखो में आंसू आ गए और वो वहां से चली गयी बिना कुछ कहे। शायद रीता के दिमाग में इस समय काफी सवाल थे जो वो उस लड़के से करना चाहती थी, पर शायद समय ठीक नहीं था। वह दफ्तर के लिए चली गयी और अपने कमरे में जा कर बैठ गयी, तभी अचानक उसको पता चलता है की आज उसकी सैलरी दस प्रतिशत बढ़ गयी है। उसके काम और उसकी मेहनत को देखते हुए, वह बहुत खुश थी यह सोच कर की अब उसके पास पहले से ज्यादा पैसे आयेंगे। पर उसके सामने फिर धीरज का मासूम चेहरा आ गया, और वह उसके बारे में सोच कर परेशान होने लगी। वह चाहती थी की वह धीरज की कुछ मदद करे ताकि उसको अकेले इतना बड़ा जीवन न काटना पड़े। उसने काफी सोच कर एक फैसला लिया की सैलरी का बड़ा हुआ दस प्रतिशत वह धीरज को दे देगी ताकि उसको कुछ मदद मिल सके और वो अपने सपने पूरे कर सके। रीता हर महीने किसी न किसी तरह धीरज को पैसे भेजती रही जिसे उसकी काफी मुश्किलें कम होने लगी। वह अब अपने भाई बहन को अच्छे स्कूल में पढ़ाने लगा और थोड़ा थोड़ा खुद भी पढ़ने लगा ताकि कोई अच्छा सा काम कर सके।

कुछ साल बाद.....एक दिन धीरज सोचता है की हर महीने उसको यह पैसे कौन भिजवाता है, आखिर कौन है जो उसकी मदद करता आ रहा है, इतने सालों से आखिर कौन ? वो यह जानने की कोशिश करने लग जाता है। एक दिन एक इंसान (जिसको रीता ने ही भेजा था ) धीरज के पास आया और उसको पैसे दे कर वहां से जा ही रहा था तब धीरज ने उस इंसान का पीछा किया, और यह जानने की कोशिश की आखिर कौन है वह जो बिना उसके सामने आये उसकी इतने सालों से मदद करता आ रहा है।

उस इंसान का पीछा करते करते वह रीता के ऑफ़िस आ गया और देखता है की एक लड़की एक कुर्सी पर बैठी है और अपना काम कर रही है वह इंसान रीता को कहता है कि ... "आपका काम हो गया है मैडम जैसे आपने कहा था वैसे ही मैने किया है और धीरज को इस बार भी आपके बारे में कुछ पता नहीं चला।

“वह खुश है अब वह पढ़ने भी लगा है "यह सब सुन कर रीता खुश होती है की धीरज अब खुश है और वह अपना सपना भी पूरा कर रहा है और दूसरी तरफ धीरज को कुछ समझ में नहीं आता की आखिर वह लड़की उसकी मदद क्यों कर रही है आखिर कौन है वह जो इतना कुछ उसके लिए कर रही है।

वह रीता के कमरे में जाता है और पूछता है की

" आखिर आप कौन है जो इतने सालों से मेरी मदद कर रही हैं ताकि मुझे कोई तकलीफ़ न हो।  . . . आप हैं कौन ?

रीता उस को देखते ही पहचान जाती है और उसको देख कर खुश हो कर खड़ी हो जाती है और कहती है " ज़रुरी नहीं है की इंसान किसी की मदद तभी करे जब उसको जानता हो कुछ रिश्ते अनोखे होते है तो ज़रा सी डोर से ही जुड़ जाते हैं।


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