आज की पीढ़ी
आज की पीढ़ी
शर्माजी ने आँखें खोली तो यह हॉस्पिटल में लेटे थे। ग्लूकोज की बॉटल चढ़ रही थी उन्हें हल्का सा सर दर्द हो रहा था। पास ही उनकी धर्मपत्नी खड़ी थी आँखों में आँसू लिये ।
वह सोचने लगे मैं यहाँ कैसे आया गया।
इतने में डॉक्टर आ गया। उसने कहा आपका एक्सीडेंट हो गया था, भला हो उस लड़के का जो आपको सही समय पर हॉस्पिटल ले आया। नहीं तो ज्यादा खून जाने से आपकी जिंदगी बचाना मुश्किल हो जाता। उनकी पत्नी कुछ कहना चाहती है तो डॉक्टर कहते है इन्हें कम बात करने दे और आराम करने
दे।
शर्माजी की आँखों के सामने चलचित्र की तरह वह घटना घूमने लगी, जिस कारण से वह घर से निकले थे कितना नालायक निकला उनका बेटा, कितनी मुश्किलों से उसे बड़ा किया, और वही उनकी इज़्ज़त उछालने में लगा है। आवारा लड़कों से दोस्ती हो गयी है दिन भर आवारा गर्दी करता रहता है। माँ , बाप से मुंह जबानी करने लगा है।
आज भी तो वह वही कर रहा था, अपने फ्रेंड की बर्थडे पार्टी मनाने के लिये पैसे चाहिये थे मना किया तो बहस करने लगा,जी में चाहा एक चांटा रसीद दूँ , पर जवान बेटे पर मेरा हाथ नहीं उठा, आज कल के बच्चे कैसे हो गये है, और एक हम थे अपने पिताजी के सामने आँख भी नहीं उठाते थे।
"पर पापा आपको देना ही पड़ेगा, मेरे दोस्त भी ख़र्चा करते है।" कितनी निर्लज्जता से कहा था बंटी ने
"मैं तुम्हें अब कुछ भी पैसे नहीं दूँगा, मैंने भी चिल्लाते हुए कहा और घर से बाहर निकल कर अपनी एक्टिवा उठाई और मंदिर की और निकल पड़ा। मन में यही विचार था, की एक औलाद दी है भगवान ने वो भी ऐसी, पता नहीं बुढ़ापा कैसा कटेगा, इन्हें तो अभी से हमारी चिन्ता नहीं है। आगे जाकर पता नहीं क्या करेंगे, इतने में गाड़ी का संतुलन बिगड़ा और गिर गये, उसके बाद उन्हें कुछ याद नहीं। अस्पताल में आँखें खुली।
वह सोचने लगे कितने अच्छे संस्कार है उस लड़के के जो मुझे यहाँ लेकर आया, नहीं तो आजकल के बच्चों को कहाँ फुर्सत है।
इतने में उनका बेटा आता है, कुछ दवाइयाँ लेकर। वह माँ को दवाइयाँ देता है, उसकी नजर पिता की और जाती है। वह खुश होकर कहता है ," आपको होश आ गया पापा थैंक गॉड, आप जल्दी सही होकर घर आ जाना।
शर्माजी मुँह फेर लेते है। तो बेटा कहता है शायद आप मुझसे अभी भी नाराज़ हो, मुझे माफ़ कर दीजिए।
और माँ की तरफ देखकर कहता है, "मैं फल लेकर आता हूं"
शर्मा जी की धर्मपत्नी उनसे कहती है " आपको पता है आपको यहाँ लाने वाला लड़का कौन है "
शर्माजी ने अधीरता से कहा कौन है बताओ मैं उससे मिलना चाहता हूँ।
आपका अपना बेटा बंटी है
"बंटी " उन्होंने आश्चर्य से पूछा
हाँ वही, आपके जाने के बाद वो भी निकल गया था, अपने दोस्तों के साथ, और उन लोगो ने आपका एक्सीडेंट होते देखा तो आपको यहाँ ले आये, उसके एक दोस्त ने आपको खून भी दिया है। यह सुनते ही शर्माजी की आँखों से आँसू बहने लगते है, पर ये खुशी के आँसू होते है।
वे सोचते है मेरी उम्मीद अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है।