Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

चर्चा: मास्टर & मार्गारीटा 15

चर्चा: मास्टर & मार्गारीटा 15

5 mins
308


निकानोर इवानोविच का सपना

गुरुवार की शाम को, जब निकानोर इवानोविच अपने फ्लैट में विदेशी मुद्रा छिपाने के जुर्म में गिरफ़्तार किया गया था, तो वह अंत में स्त्राविन्स्की के क्लिनिक में पहुँच गया। मगर यहाँ उसे बिल्डिंग नं। 302 से सीधे नहीं लाया गया था। पहले उसे किसी और

जगह ले जाया गया था। बुल्गाकोव उस जगह का नाम नहीं बताते हैं, मगर यह स्पष्ट है कि यह ख़ुफ़िया पुलिस का दफ़्तर था। वे उससे सवाल पूछते हैं : पहले प्यार से और बाद में ऊँची आवाज़ में।

अचानक निकानोर इवानोविच को कमरे के एक कोने में अलमारी के पीछे कोरोव्येव दिखाई देता है जो उसे चिढ़ा रहा है।

निकानोर इवानोविच की मानसिक हालत इतनी ख़राब हो जाती है कि उसे सीधे स्त्राविन्स्की क्लिनिक ले जाना पड़ता है।

निकानोर इवानोविच को नींद का इंजेक्शन दिया जाता है और नींद में वह एक सपना देखता है। एक थियेटर में कोई मुकदमा चल रहा है। लोग अपनी छुपाई गई विदेशी मुद्रा ला-लाकर दे रहे हैं।

"तो निकानोर इवानोविच, एक उदाहरण प्रस्तुत कीजिए," बड़े प्यार से युवा कलाकार ने कहा, "और डॉलर्स निकालिए।"

एकदम ख़ामोशी छा गई। निकानोर इवानोविच ने गहरी साँस लेकर धीमी आवाज़ में कहा, "भगवान की कसम।"

मगर उसके आगे कुछ कहने से पहले ही हॉल में "हाय।हाय।" के नारे लगने लगे।

निकानोर इवानोविच परेशान होकर चुप हो गया।

 "जहाँ तक मैं समझ सका हूँ।" सूत्रधार ने कहा, "आप भगवान की कसम खाकर यह कहना चाहते थे कि आपके पास डॉलर्स नहीं हैं ?" और उसने सहानुभूति से निकानोर इवानोविच की ओर देखा।

 "बिल्कुल ठीक, मेरे पास नहीं हैं।" निकानोर इवानोविच ने जवाब दिया।

 "तो फिर।" कलाकार ने पूछा, "माफ़ करना, उस फ्लैट के शौचालय में 400 डॉलर्स

कहाँ से आए, जिसमें सिर्फ आप अपनी पत्नी के साथ रहते हैं ?"

 "जादुई होंगे !" अँधेरे हॉल में किसी ने व्यंग्यपूर्ण फिकरा कसा।

 "बिल्कुल ठीक।जादुई ही थे," बड़ी नम्रता से निकानोर इवानोविच ने शायद अँधेरे हॉल या पब्लिक को सम्बोधित करते हुए कहा, "शैतानी ताकत, चौख़ाने वाली कमीज़ पहने अनुवादक ने उन्हें फेंका है।"

हॉल में फिर अप्रसन्न चीखें गूँज उठीं। जब आवाज़ें कुछ ख़ामोश हुईं तो कलाकार ने कहा, "देखिए कैसी-कैसी लाफोन्तेन की कहानियाँ मुझे सुननी पड़ती हैं। 400 डॉलर्स फेंक कर गया ! लीजिए सा'ब: आप सब यहाँ डॉलर वाले हैं! मैं आपसे पूछता हूँ – क्या

इस बात पर यक़ीन किया जा सकता है ?"

 "हमारे पास कोई डॉलर-वॉलर नहीं हैं," हॉल में से कुछ आहत स्वर सुनाई दिए, "मगर इस बात पर कोई विश्वास नहीं करेगा।"

 "मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूँ," कलाकार ने ज़ोर देकर कहा, "और मैं आपसे पूछता हूँ; कौन-सी चीज़ फेंकी जा सकती है ?"

 "बच्चा! हॉल में कोई चिल्लाया।

 "बिल्कुल ठीक," सूत्रधार ने कहा, "बच्चा, गुमनाम ख़त, इश्तेहार, वगैरह।वगैरह, मगर चार सौ डॉलर्स कोई नहीं फेंकेगा, क्योंकि दुनिया में ऐसा बेवकूफ कोई नहीं है," निकानोर इवानोविच की ओर देखकर सूत्रधार ने मायूसी और उलाहने के साथ

कहा, "आपने मुझे दुःख पहुँचाया है निकानोर इवानोविच! मुझे आप पर काफ़ी भरोसा था। तो यह बात कुछ जमी नहीं।"

हॉल में निकानोर इवानोविच की ओर देखकर सीटियाँ बजने लगीं।

 "डॉलर्स हैं उसके पास," हॉल में कई आवाज़ें गूँजीं, "ऐसे ही लोगों के कारण ईमानदार भी मारे जाते हैं।"

 "उस पर गुस्सा मत उतारिए," सूत्रधार ने नर्मी से कहा, "वह मान जाएगा," और निकानोर इवानोविच की ओर अपनी नीली, आँसू भरी आँखों से देखते हुए आगे बोला, "तो, निकानोर इवानोविच, जाइए अपनी जगह।"

इसके बाद सूत्रधार ने घण्टी बजाकर कहा, "मध्यांतर, बदमाशों !"

परेशान निकानोर इवानोविच, जो अप्रत्याशित रूप से इस कार्यक्रम का हिस्सा बन गया था, न जाने कैसे वापस अपनी जगह फर्श पर पहुँच गया। उसने देखा कि हॉल में पूरी तरह अँधेरा छा गया है, दीवारों पर उछल-उछलकर लाल चमकीले अक्षर आने लगे

: 'डॉलर्स दो !'

यहाँ हमें इस अध्याय की कुछ बातों पर गौर करना होगा:

 - पूछताछ करने वाले अधिकारी प्यार भरे और दहशत भरे तरीकों का इस्तेमाल करते हैं;

 - पूछताछ अक्सर खुले थियेटरों में होती थी और लोग अपने अपराध कबूल करते ही थे (स्टालिन के समय में ऐसा ही होता था);

 - बुल्गाकोव आँखों के महत्त्व पर प्रकाश डालते हैं, यह कहते हुए कि आँखें आत्मा का दर्पण होती हैं। कोई अपराधी चाहे कितना ही मंजा हुआ क्यों न हो, जैसे ही उससे कोई सवाल पूछा जाता है, उसकी आँखें उसके मन में हो रही उथल-पुथल का संकेत ज़रूर दे देती हैं, चाहे उसका चेहरा एकदम निर्विकार क्यों न रहे, और तब वह पकड़ा जाता है;

 - बुल्गाकोव विदेशी मुद्रा के प्रति बढ़ते हुए आकर्षण को, जमाखोरी की प्रवृत्ति को दर्शाते हुए कहते हैं कि विदेशी मुद्रा से उन्हें कोई लाभ नहीं होने वाला है, अतः उचित यही है कि उसे सरकार को सौंप दिया जाए।

निकानोर इवानोविच ने हालाँकि कोई विदेशी मुद्रा नहीं ली थी, मगर रिश्वत तो उसने ली ही थी – यह सुनिश्चित करने के बाद कि कोई गवाह तो नहीं हैं। इसके बाद उसने इस धन को शौचालय के वेंटीलेटर में छुपा दिया। लोगों में आसानी से पैसा कमाने के

प्रति, रिश्वत लेने के प्रति रुझान तो था, मगर वे डरते भी थे कि कोई देख तो नहीं रहा है, कोई गवाह तो नहीं है।

इस अध्याय का अंतिम परिच्छेद बड़ा सुन्दर है। शुक्रवार की सुबह-सुबह निकानोर इवानोविच एक सपना देखता है कि सूरज गंजे पहाड़ के पीछे छुप रहा है और इस पहाड़ को दुहरी सुरक्षा-पंक्तियों ने घेर रखा है:

 दवा पीने के बाद उसे शांति की लहर ने ढँक लिया। उसका शरीर शिथिल पड़ गया। उसे झपकी आने लगी। वह सो गया। अंतिम आवाज़ जो उसने सुनी, वह थी जंगल में चिड़ियों की चहचहाहट। मगर शीघ्र ही सब कुछ शांत हो गया। वह सपना देखने लगा

कि गंजे पहाड़ के पीछे सूरज ढलने लगा है और पहाड़ को दुहरी सुरक्षा पंक्तियों ने घेर रखा है।

और बुल्गाकोव पाठकों को हौले से वर्तमान समय से प्राचीन युग की ओर ले जाते हैं, येरूशलम में।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama