माँ
माँ
हे माँ तू मत जनना संतान II.
इतनी ममता दिखलाती क्यूँ?
हर बात पे गले लगाती क्यूँ?
कल कौन संभालेगा उसको
जब करेगा वो बचपन से प्रस्थानI
हे माँ तू मत जनना संतान II
क्यूँ लाएगी इस दुनिया में ?
बस काँटे हैं इस बगिया में,
लड़ने को जग के जुल्मों से,
ना बन जाए वो भी शैतान I
हे माँ तू मत जनना संतान II
भूख ग़रीबी बदनामी,
भूकंप, बाढ़ और सूनामी,
बच सका गर इन सबसे तो
कहीं उसे मार ना दे इंसान I
हे माँ तू मत जनना संतान II.
सोचो यदि सारी माताएँ,
ऐसा ही सब मिल सुर गाएँ,
तुम मारो हम जनते जाएँ,
अब हमने भी ली है ये ठान I
हम नही जनेगें अब संतान II
चाहे मरे चाहे मारे,
माँ की आँखों के वो तारे,
दिल रोए दोनो माओं का,
हो तार तार आत्माओं का,
हम नही जनेगें अब संतान II
तब ऐसा भी एक दिन आए,
जब बंजर धरती चिल्लाए,
चहका दो फिर से ये शमशान,
इस मरूभूमि में डाल दो जान
हे माँ तू जनदे एक संतान II हे माँ तो जनदे एक संतान II