प्यार कभी नहीं हारता
प्यार कभी नहीं हारता
ये प्यार की एक छोटी सी कहानी है, जिसमे मैंने अपनी हर भावना को शब्दों की ज़ुबान दी है। बात आज से 20 साल पुरानी है। एक विवाह के दौरान काफी हद तक बोर होने के बाद, मेरी नज़र कौन मैं बैठी एक लड़की पर गई। वो मानो अपने मैं ही इतनी व्यस्त थी कि अकेले होते हुए भी अकेले नहीं थी। हज़ारो दफा अपने बाल सवारती, चुन्नी सम्हालती, आईना देखती। उसको देख कर न जाने अंग्रेज़ी में लव एट फर्स्ट साइट जैसा हो गया। बेहद हिम्मत जुटा कर उसके पास पहूँच कर मैं बोलै, की आप की चुन्नी जमीन पर गंदी हो रही। न जाने और कोई तरीका समझ नहीं आया। वो शुक्रिया कर अपनी चुन्नी सम्हालते हुए बोली, "आप भी अकेले आये हैं क्या ?"
फिर धीरे धीरे बाते करते हुए जाना कि वो भी अपनी माँ के साथ शादी आई है बिल्कुल मेरी तरह। वो बहुत ही सुलझी और सादगी से भरी हुई थी। शायद मैं भी ऐसा से ही हुँ कुछ।
हम दोनो ने काफी देर बाते की, वो ब हच यु से पढ़ाई कर रही थी, और मैं था कानपुर के ई ई टी मैं। दूरी थी हमारे बीच, उस टाइम फोन महंगे हुआ करते थे। पर अच्छी बात थी कि हम दोनो के पास एक सा ही नेटवर्क था। और सामान्य नेटवर्क2 पर कॉल दर सस्ते हुआ करते थे।
11 बजे माँ की आवाज़ मुझे चलने के लिए आई। यही सोच रहा था कि हम दुबारा कब मिलेंगे, मिल भी पाएंगे या ये आखिरी दफा मैं इतनी खूबसूरत लड़की को देख रहा हूँ।
रात भर उसी के बारे में सोचता रहा। दो दिन बाद उसे फ़ोन मिलाया, खुशी ये जान के हुई कि वो भी मुझे मिस कर रही थी।
तो बस हमारी लव स्टोरी शुरू हो गई। 4साल हम छुट्टी वाले दिन मिलते रहे, छुप छुप के।फिर एक ही शहर में नौकरी लाग गई। और रोज़ मिलने लगे। जब हम साथ होते थे, तो अलग सी खुशी होती थी। वो मुझे जैसा समझती थी और कोई नहीं था।
और मैं तो उससे हर पल प्यार करता था।
फिर बाद शादी की हुई। मेरी माँ एक बार मैं ही मान गई। पीताजी कम उम्र में ही चले गए थे तो माँ मेरी हर खुशी मैं अपनी खुशी ढूंढ लेती थी। उसके घर थोड़ा समय लग सबको मनाने में। पर सब मान गए और हमारी शादी हो गई।
पूजा थी ही ऐसी, बहुत हिम्मत वाली। जो सोच लेती थी वो तो करती थी बाकी बिना सोचे भी सब कर ही लेती थी।
हमने अपने नए घर के दरवाजे पर अपने दोनों की नाम की तख़्ती लगवाई थी, जो कि पूजा ही बनवा के लाई थी।
अब आप सोच रहे होंगे कि ये तो घि सी पीटि सी कहानी है।
पर नहीं।
असली कहानी तो अब है। हम दोनों अपनी नौकरी, घर सब मे व्यस्त हो गऐ, पर प्यार की कमी कभी नहीं हुई। जब भी पूजा की आंखों में देखता मुझे पहले दिन की मुलाकात याद आ जाती। मैं बस पूजा को खुश रखना और अपनी पूरी उम्र उसके साथ निकलना चाहता था। और इस तरह पाँच साल बीत गए।
बात उस रोज़ की जब किस्मत ने हमारे लिए कुछ नया लिखा था। हर रोज़ की तरह हम दोनों दफ्तर के लिए निकले थे। कि अचानक सड़क पर एक ट्रक ने हमारी कार को टकरर मार दी। उसके बाद मेरी आँख सीधे अस्पताल में खुली, मैंने होश आते ही पूजा को पुकारा। बहुत देर के बाद पता चला कि पूजा के सिर में चोट लगने से वो कॉमा में चली गई। हम दोनो के परिवार के लोग हमारे पास थे।
मैं ठीक हो रहा था और हर पल पूजा की आवाज़ सुनने को बेताब हो रहा था। अस्पताल की कमरे से ही सब भगवान की मन्नते मांग ली थी। सब लोग उम्मीद छोड़ ते जा रहे थे। पर मुझे अपने प्यार और पूजा पर बहुत भरोसा था।
दस दिन बाद रात तीन बजे पूजा कॉमा से बाहर आई। मानो मेरी साँस वापास लौट आई हो। मैं इतनी तेजी से उससे मिलकर गले लगाने भागा। लेकिन मेरी दुनिया वही थम गई जब उसने मुझे पहचानने से इनकार कर दिया।
डॉक्टर ने बताया कि पूजा सदमे की वजह से Dissociative amnesia नाम की मानसिक बीमारी से झूझ रही है। यानी वो मुझे, हमे, हमारा घर और सब को भूल चुकी है। और उसका दिमाग कब इस सदमे से बहार आएगा ये बताना मुश्किल था। दिन, महीने, साल कुछ भी लाग सकते थे।
सब का जोर था कि मैं उसे स्पेशल मानसिक होस्पिटल मैं ही रहने दू। और अपना ऑफीस शुरू कर लूं।
मैं उसे वापस ले आया। उसके लिए मैं अजनबी था। पर मेरी तो वो ही दुनिया थी और हैं। शुरू के दिनों में वो काफी बेचैन होती, रोती थी। उसे ज्यादातर नींद की दवाई दे कर सुलाने की सलाह थी।
फिर एक रोज़ मैंने अपने प्यार को वापिस पाने की आखरी कोशिश की।
एक अंग्रेजी पिक्चर मैं देखा था, कुछ वैसा किया।
अपनी और उसकी सारी पुरानी तस्वीरे ले कर एक फ़िल्म बनाई। उसमे उसका बचपन, उसका परिवार हैं, मैं हु, हमारे कुछ पुराने वीडियो, शादी के वीडियो। इस घर के कुछ खास पल सब कुछ, वो हमारे नाम की तख़्ती सब था। कैसे एक एक्सीडेंट ने हमारी दुनिया बदलनी चाही और फिर आखरी में अपनी आवाज़ में उसको एक छोटा सा मैसेज।
जो ये बताता की मैं उसका इंतजार नाश्ते पर कर रहा हूँ और आज भी उस से बेहद मोहब्बत करता हुँ।
रोज़ पूजा को जगा कर ये 15 मिनट का वीडियो दिखता। और हर रोज़ वो ये देख कर मेज पर आके मुझसे गले लग के खूब रोती। और रोज़ ये बताती की वो मुझसे बेहद प्यार करती है सुर अब मुझे नहीं भूलेगी। पर हर रोज़ हम को नई शुरुवात करनी होती हैं।
आज उस हादसे को 7 साल हो गए। हम अपनी 12 वी शादी की साल गिरह मना रहे हैं।
मेरा प्यार आज भी पूजा के लिए वैसा ही है जैसा 20 साल पहले था। और वो तो हर रोज़ मुझसे नए सिरे से प्यार करती है।
कई दफा परेशानियां भी आती है, जैसे वो नींद से जाग के मुझे कमरे से अजनबी समझ के निकल देती है। या खुद को अकेला जान के रोती है। अपने घर जाने की ज़िद करती हैं।
पर ये सब तो छोटी सी बातें है, क्योंकि हमरा प्यार बहुत बड़ा है।
मुझे यकीन है कि एक दिन, पूजा को बिना वो वीडियो देखे सब याद आ जायेगा। तब तक मैं हर रोज़ उसे नए सिरे से प्यार करता रहूंगा।
क्योंकि हीर रांझा, लैला मजनू तो प्यार के खातिर मार गए थे। पर मैं तो अपने प्यार के लिए हर रोज़ नए सिरे से जीता हूँ।
पूजा से बेहद प्यार करता था और आज भी करता हूँ, और उसे निभाने का हौसला भी रखता हुँ।
तो बस यही है हमारी स्टोरी। जितनी सीधी साधी है उतनी ही उलझी भी। सब तक मेरी कहानी पहुंचेगी तो शायद कोई तो होगा तो ऐसे हालात मैं हौसला खोने से पहले ही एक नई उम्मीद पा लेगा।
और उसके भी प्यार की जीत होगी।