Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

मनीकांत

मनीकांत

4 mins
14.1K


(सुअर चाहे सुनहरे रंग में ही क्यों न रंगा हो, सुअर ही होता है - राबर्ट जार्डन)

'सृजन कलाकार संघ' का शुक्रिया अदा करता हूँ कि उन्होंने मेरी कृति 'सुअर और सोना' को प्रथम पुरस्कार के लिए चयनित करते हुए मुझे 'सृजन सम्मान' से सम्मानित किया।

कला तो जीवन की ऋणी होती है, यदि मनीकान्त मेरे जीवन में नहीं आये होते तो शायद ही इसकी रचना हो पाती।

रंग और रेखाएं भले कुछ और हैं लेकिन इसमें अक्स मनीकांत का ही है।

बात समझाने के लिए आपको शुरू से सुनाना होगा।

तो आज से १० साल पहले फाइन आर्ट की डिग्री लेकर में बेरोजगार बैठा था। स्कूलों में ड्राईंग मास्टर के लिए आवेदन दे रखे थे, लेकिन या तो उनकी सैलेरी कम थी या दूसरी शर्तें भी थे जैसे ड्राईंग सिखाने के अलावा ऑफिस का क्लर्किकल काम भी करना होगा।

मैंने तय किया कि अपनी ड्राईंग क्लास खोलूँगा और पत्र-पत्रिकाओं के लिए स्केच करूँगा।

'तूलिका' नाम से ड्राईंग क्लास शुरू कर दी। स्कूल-स्कूल जाकर पम्फलेट बांटे। चित्रकला की स्पर्धा कराकर क्लास के लिए बच्चे जुटाए। बहन से थोड़ा कर्ज लिया और शहर में अपनी क्लास में फ्लैक्स लगवा दिए।

एक बच्ची थी रिद्धि, शहर के नामी वकील मनीकांत की बेटी। सीखने की लगन भी थी और उसमें हुनर भी था।

लेकिन फीस के रजिस्टर में उसका सिर्फ प्रवेश शुल्क जमा हुआ था। पिछले तीन महीने से क्लास की फीस नहीं भरी गयी थी।

क्लास में चार बच्चे और थे जिनकी भी फीस नहीं आती थी। लेकिन ये गरीब होनहार बच्चे थे, जिन्हें मैने बिना फीस के सिखाना तय किया था।

लेकिन रिद्धि तो अच्छे खासे घर से थी।

अभी कुछ दिन पहले उसके जन्मदिन के आमन्त्रण में गया था। सिर्फ केक ही २० पाउंड का रहा होगा और उसकी ड्रेस में मानो सच के सितारे जड़े थे।

मनीकान्त की इस सम्पन्नता से मुझे कोई ईर्ष्या नहीं हुई, बस मैंने सोचा कि मेरी फीस तो आज के डी जे के खर्चे से भी आधी होगी ...फिर देने में क्या समस्या है?

मैंने उन्हें अगले महीने याद दिलाया तो बोले "ले लीजियेगा कहीं भागे जा रहे हैं क्या?"

फिर कभी बोल देते "बस भिजवा रहा हूँ" और इस तरह चार से पांच, पांच से छ: माह हो गये फीस नहीं आई।

एक दिन हारकर उनके बंगले 'कोहीनूर विला' जा पहुंचा।

इस बार उनकी आँखें सख्त हो गयीं लेकिन होंठ पर मुस्कराहट लाकर वे बोले "कैसी फीस ...कभी आपका भी काम पड़ेगा तो हम भी नहीं लेंगे ....अभी तो ये लीजिये" कहते हुए उन्होंने ड्रायफ्रूट की प्लेट की तरफ इशारा किया।

मैं उठा और हाथ जोड़कर यह कहते हुए बाहर निकल आया कि कल से रिद्धि को क्लास ना भेजें।

तीसरे दिन मुझे कानूनी कार्यवाही के लिए 'समन' यानी नोटिस मिला।

मैं समझ गया यह मनीकान्त की ही हरकत है। उन्होंने मुझसे एक बार क्लास के पंजीयन और रिकार्ड के बारे में खोद-खोद कर पूछा था।

चूंकि मैं गलत नहीं था इसलिए 'समन' मिलने पर मैंने तय किया 'जो होगा ...निपटूंगा'।

हाँ रिद्धि के लिए अफ़सोस जरूर हुआ था। उसके दोस्तों से मुझे मालूम हुआ कि वो क्लास छूट जाने को लेकर खूब दुखी थी और रोते हुए अपने डैड को उसने गलत भी कहा था।

इस बात को हुए कुछ ही दिन बीते थे कि सरकार ने नोट बंदी कर दी।

अगले दिन मनीकान्त की काली फिल्म चढ़ी लम्बी सी कार मेरी क्लास के सामने रुकी।

वे रिद्धि के साथ उतरकर बरामदे में आये।

एक लिफाफा मेरी तरफ बढ़ाते हुए बोले 'रिद्धि ड्राईंग ही करना चाहती है ...फीस की बात नहीं है, आप दो साल तक की फीस एक साथ लीजिये।'

मैंने लिफाफा खोलकर देखा तो अन्दर पुराने नोट थे।

मैं कुछ कहता कि मनीकांत बोले "चार नोट फिर भी ज्यादा हैं ...अभी ८० का रेट है ...लेकिन आपको तो एक्सचेंज में पूरे मिलेंगे ...रिकार्ड में गरीब होने का यही तो फायदा है।"

बात खत्म कर वे मेरी तरफ देखकर शरारत से मुस्कराए।

मैंने रिद्धि को अन्दर जाने का इशारा किया जहाँ बच्चे अभ्यास कर रहे थे।

मनीकांत मुड़कर जाने लगे तो मैंने कहा 'इसे अपने साथ लेते जाइये' और लिफाफा उनके आगे बढ़ा दिया। उस समय जाने कैसी शक्ति मेरे भीतर कौंधी थी कि मनीकांत सहम से गये। लिफाफा लेकर बोझिल कदमों से कार में जा धंसे।

उसी रात मैंने अपनी इस कृति 'सुअर और सोना' पर काम शुरू किया।

सोने के थाल में रखी गंदगी को ताकता हुआ ये सुअर ...सिर्फ सुअर नहीं है।

इस कृति को बनाने में रिद्धि ने भी बहुत सहयोग दिया, वो सामने बैठी है ...

उसके लिए भी प्लीज तालियाँ बजा दीजिये।

 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Comedy