फिक्र
फिक्र
बड़ी मुश्किल से सारे इंतजाम किए थे उसने अपनी बेटी की शादी के। जिन घरों में काम करती थी उन सबने मिलकर पैसे, कपड़े, गहने, खाने पीने की व्यवस्था कर दी थी। उसे हमेशा फिक्र रहती कि बेटी की शादी भले घर में हो जाए। दो महीने बीते थे कि वह अपनी बेटी के साथ आई थी। पता चला सास ने झगड़ा करके वापस भेज दिया था और बड़ी शान से वह बेटी को यह कहकर ले आई थी कि शादी हो जाने से बेटी बोझ नहीं बन गई थी। वह घर के काम निपटा रही थी और परेशान हो रही थी। उसे फिक्र थी अपनी बेटी के भविष्य की।