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Charumati Ramdas

Children Stories

4.4  

Charumati Ramdas

Children Stories

क्रिसमस ट्री

क्रिसमस ट्री

6 mins
535


इस साल, बच्चों, मैं चालीस साल का हो गया। मतलब, मैंने चालीस बार नए साल वाली क्रिसमस ट्री देखी है। ये बहुत है! ख़ैर, अपनी ज़िन्दगी के पहले तीन साल तक मैं शायद समझता ही नहीं था कि क्रिसमस ट्री क्या होती है। मम्मा बड़े स्टाइल में मुझे हाथों में उठाए ले जाती थी, और मैं अपनी काली काली आँखों से, बिना किसी दिलचस्पी के उस सजाए गए पेड़ को देखता रहता।

मगर, बच्चों, जैसे ही मैं पाँच साल का हुआ, तो मैं अच्छी तरह समझने लगा था कि क्रिसमस ट्री क्या होती है।

और मैं बड़ी बेसब्री से इस ख़ुश नुमा त्यौहार की राह देखा करता। दरवाज़े की झिरी से झाँक-झाँक कर देखा भी करता कि मेरी मम्मा क्रिसमस ट्री को कैसे सजाती है।

मेरी बहन ल्योल्या की उम्र उस समय थी सात साल।वो बड़ी तेज़ लड़की थी।

एक बार उसने मुझसे कहा:

 “मीन्का, मम्मा किचन में गई है।चल, क्रिसमस ट्री वाले कमरे में चलते हैं और देखते हैं कि उसे कैसे सजाते हैं।”

तो, मैं और मेरी बहन कमरे में घुसे। देखा कि क्रिसमस ट्री तो बहुत ही ख़ूबसूरत है! उसके नीचे गिफ्ट्स रखी हैं। और क्रिसमस ट्री पर रंगबिरंगे मोती, झण्डियाँ, बल्ब, सुनहरे अख़रोट, मीठी गोलियाँ और ऐपल्स लटक रहे हैं।     

मेरी बहन ल्योल्या ने कहा:

गिफ्ट्स की तरफ़ ध्यान नहीं देंगे। उसके बदले में, चल, एक एक मीठी गोली खा लेते हैं।

वो क्रिसमस ट्री के पास गई और धागे से लटकती हुई एक गोली गप् से खा गई।

मैंने कहा:

 “ल्योल्या, अगर तूने गोली खाई है, तो मैं भी कोई चीज़ खा लेता हूँ।”

और मैंने क्रिसमस ट्री के पास जाकर ऐपल का एक टुकड़ा कुतर के गटक लिया।

ल्योल्या ने कहा:

 “मीन्का, अगर तूने ऐपल का टुकड़ा खाया है तो मैं एक और गोली खा लेती हूँ और साथ में अपने लिए ये चॉकलेट भी ले लेती हूँ।”

और ल्योल्या तो इतनी ऊँची थी, उसके हाथ इतने लम्बे थे कि वह ऊपर लटकी हुई चीज़ें आसानी से लपक सकती थी।

वह पंजों के बल खड़ी हो गई और अपने बड़े मुँह से दूसरी गोली खाने लगी। मगर मैं तो काफ़ी छोटा था। मैं तो कुछ भी पकड़ नहीं सकता था, सिवाय ऐपल के जो नीचे की ओर लटक रहा था।

मैंने कहा:

 “ल्योल्या, अगर तूने दूसरी गोली खाई है तो मैं एक बार और इस ऐपल को खा लेता हूँ।”

और मैंने हाथों से उस ऐपल को पकड़ कर दाँतों से उसका टुकड़ा कुतर कर खा लिया।

ल्योल्या ने कहा:

 “अगर तूने दूसरी बार ऐपल खाया है, तो मैं अब कोई लिहाज़-विहाज़ नहीं करने वाली और अब मैं तीसरी गोली खाऊँगी और साथ में यादगार की तौर पर एक अख़रोट और पटाख़ा भी ले लेती हूँ।”

मैं बस चिल्लाने ही वाला था, क्योंकि वो तो हर चीज़ तक पहुँच सकती थी, जबकि मैं नहीं पहुँच सकता था।

मैंने उससे कहा:

 “और मैं, ल्योलीश्का, देख, कैसे क्रिसमस ट्री के पास कुर्सी लाता हूँ और अपने लिए, ऐपल को छोड़कर कुछ और ले लेता हूँ।”

और मैं अपने दुबले-पतले हाथों से क्रिसमस ट्री के पास कुर्सी खिसकाने लगा।मगर कुर्सी मेरे ही ऊपर गिर पड़ी।मैं कुर्सी को उठाना चाहता था।मगर वो फिर से गिर गई।और सीधे गिफ्ट्स के ऊपर ही गिरी।

ल्योल्या ने कहा :

 “मीन्का, ऐसा लगता है कि तूने गुड़िया तोड़ दी है। हाँ, ऐसा ही है। तूने चीनी की गुड़िया का हाथ तोड़ दिया।”

तभी मम्मा के पैरों की आहट सुनाई दी, और मैं और ल्योल्या दूसरे कमरे में भागे।

ल्योल्या ने कहा:

 “मीन्का, अब इस बात की कोई ग्यारंटी नहीं है कि मम्मा तेरी ख़बर नहीं लेगी।”

मैं ज़ोर से रोना चाहता था, मगर तभी मेहमान आ गए। कई सारे बच्चे अपने-अपने मम्मा-पापा के साथ।

तब हमारी मम्मा ने क्रिसमस ट्री के सारे बल्ब जला दिए, दरवाज़ा खोला और कहा:

 “सब लोग अन्दर आ जाइए।”

और सारे बच्चे क्रिसमस ट्री वाले कमरे में घुसे।

हमारी मम्मा ने कहा:

 “अब हर बच्चा मेरे पास आएगा, और मैं हरेक को एक खिलौना और कुछ खाने को दूँगी।”

अब बच्चे हमारी मम्मा के पास आने लगे। और उसने हरेक को एक-एक खिलौना दिया।फिर उसने क्रिसमस ट्री से ऐपल निकाला, गोली निकाली और चॉकलेट भी निकाली और ये भी एक बच्चे को दिया।

सारे बच्चे बड़े ख़ुश थे। फिर मम्मा ने अपने हाथों में वो ऐपल लिया जिसे मैंने कुतरा था, और बोली:

 “ल्योल्या और मीन्का, यहाँ आओ। तुम दोनों में से किसने इस ऐपल को कुतरा था?”

ल्योल्या ने जवाब दिया, “ये मीन्का का काम है।”

मैंने ल्योल्या की चोटी पकड़ कर खींची और कहा:

 “ये मुझे ल्योल्या ने सिखाया था।”

मम्मा ने कहा:

 “ ल्योल्या को तो मैं दीवार की ओर नाक करके कोने में खड़ा करूँगी, मगर तुझे मैं चाभी वाला इंजिन देने वाली थी।पर अब ये चाभी वाला इंजिन मैं उस बच्चे को दूँगी, जिसे मैं ये कुतरा हुआ ऐपल देने वाली थी।”

और उसने इंजिन उठाकर एक चार साल के लड़के को दे दिया। और वो तो फ़ौरन उसके साथ खेलने भी लगा।

मैं इस बच्चे पर गुस्सा हो गया और उसके हाथ पर एक खिलौना दे मारा। और वो ऐसी बदहवासी से        

चीख़ा, कि उसकी अपनी मम्मा ने उसे गोद में उठा लिया और कहा:

 “आगे से मैं अपने बेटे को लेकर आपके घर नहीं आऊँगी।”

और मैंने भी कहा:

 “आप जा सकती हैं, तब इंजिन मेरे पास रह जाएगा।”

वो वाली मम्मा मेरी बात सुनकर हैरान रह गई और बोली:

”शायद आपका बेटा डाकू बनेगा।”

तब मेरी मम्मा ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा: “मेरे बेटे के बारे में ऐसी बात करने की हिम्मत न करना।बेहतर है, आप अपने सोने जैसे बच्चे के साथ तशरीफ़ ले जाएँ और फिर कभी हमारे यहाँ न आएँ।”

और वो वाली मम्मा बोली:

 “मैं ऐसा ही करूँगी। आपसे संबंध रखना तो - काँटों पर बैठने जैसा है।”

 तब एक और, तीसरी मम्मा बोली: “मैं भी चली जाती हूँ। मेरी बच्ची ऐसी तो नहीं है कि आप टूटे हाथ वाली गुड़िया दें।”

और मेरी प्यारी बहना ल्योल्या चिल्लाई:

 “आप भी अपने सोने जैसे बच्चे के साथ तशरीफ़ ले जा सकती हैं।तब टूटे हाथ वाली गुड़िया मुझे मिल जाएगी।”

तब मैंने मम्मा की गोद में बैठे बैठे चिल्लाकर कहा:

 “आप सभी लोग चले जाइए, तब सारे खिलौने हमारे ही लिए रह जाएँगे।”

अब तो सारे मेहमान जाने लगे।

हमारी मम्मा को बड़ा अचरज हुआ कि हम अकेले रह गए।

मगर अचानक पापा कमरे में आ गए। उन्होंने कहा:

 “ऐसी शिक्षा तो मेरे बच्चों को बरबाद कर देगी। मैं नहीं चाहता कि वे मेहमानों के साथ बहस करें, उनसे झगड़ा करें, और उन्हें भगा दें। उनके लिए दुनिया में रहना मुश्किल हो जाएगा, और वे अकेलेपन से मर जाएँगे।”

और पापा क्रिसमस ट्री के पास गए और उन्होंने सारे बल्ब बुझा दिए। फिर बोले:

 “फ़ौरन सो जाओ। और कल सारे खिलौने मैं मेहमानों को दे दूँगा।“

 “और बच्चों, तब से पैंतीस साल बीत गए हैं, और मुझे आज तक अच्छी तरह से इस वाली क्रिसमस ट्री की याद है। और इन पैंतीस सालों में मैंने एक भी बार किसी और का ऐपल नहीं खाया और अपने से कमज़ोर इन्सान को कभी नहीं मारा। और अब डॉक्टर कहते हैं कि इसीलिए मैं औरों के मुकाबले में इतना ख़ुश और अच्छे दिल वाला हूँ।”



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