Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Mitali Paik Akshyara

Drama Inspirational

5.0  

Mitali Paik Akshyara

Drama Inspirational

दायरा

दायरा

7 mins
16.5K


आज तो तुमको सुनना ही पड़ेगा, तुम्हारे लिये मैं इतना बड़ा आलीशान घर छोड़ के आयी हूँ। ये एक कमरे का घर है फिर भी इधर सुकुन है, शान्ति है और सबसे बड़ी बात ये है कि तुम मेरे साथ हो। मेरा गर्व, मेरा मान, मेरा अभिमान हो तुम। सुनो ! मेरा जीवन इतिहास।

माँ - बाप के पास बहुत पैसे थे, मुझे डॉक्टर बनने की इच्छा थी लेकिन माँ - बाप के लिये मुझे अपनी पढ़ाई की कुर्बानी देनी पड़ी थी। लड़की के पीछे इतना खर्चा मेरे माता - पिता को मंज़ूर नहीं था। खाली ग्रेजुएशन की इजाज़त थी। पापा तो हमेशा से बोलते थे कब इसकी शादी होगी और मेरे सिर से ये बोझ हल्का होगा ! पहले ही बेटा हो जाता तो ये अभागिन को पैदा ही नहीं होना पड़ता। समाज में इतनी इज़्ज़त है कि इसकी गर्भ में हत्या भी नहीं करवा पाये !

बचपन से मुझे लिखने का बहुत शौक था। पापा से अच्छे लेखक के किताबों की मांग करती थी तो मम्मी चिल्लाती थीं,

"रसोई सीख लो, घर के कामकाज सीख लो, ससुराल में काम आएंगे। लेखिका बनके कौन - सा तीर मार लोगी ?"

एक दिन तो ऐसा हुआ कि मेरी लिखी हुई कहानियों को भी पापा ने जला दिया। अपनी मेहनत को अपनी आँखों के सामने जलता हुआ देख बहुत दुख हुआ। लेकिन अब दुखी नहीं रहूँगी, तुम जो मेरे साथ हो !

इतनी गंभीर घटना तुम्हारे साथ साझा कर रही हूँ और तुम्हें हँसी सूझ रही है ! तुम्हारे लिए तो मैं घर छोड़के आ गयी हूँ और तुम इतना मुस्कुराओ मत, मेरी बात ध्यान से सुनो। तुमको आज सब बताऊँगी।

एक दिन पापा छोटे भाई को गाना सिखाने के लिए घर में गुरुजी को बुलाये थे। भाई बहुत अच्छा गाना गाता था। एक दिन पापा घर में नहीं थे और गुरुजी आये हुए थे। वो मुझसे बोले,

"बेटी तुम भी एक बार गाना गाओ।"

भाई भी ज़िद करने लगा,

"दीदी गाओ ना, मुझे भी देखना है तुम्हारी आवाज़ कैसी है ?"

मैं उनके पास बैठ गई और एक गाना गुनगुनाया। दोनों ने बहुत तारीफ की। पापा के घर लौटने पर गुरुजी उनसे बोले कि आप के घर में तो माँ सरस्वती की कृपा है, कितनी अच्छी आवाज़ है आपकी बेटी की ! उसको गाना सिखाइए, वो एक दिन बहुत अच्छी गायिका बनेगी। उनके सामने तो पापा कुछ नहीं बोले लेकिन हाँ अगले ही दिन भाई के गुरुजी ज़रूर बदल दिए गये।

एक दिन मैं भाई के साथ बैडमिंटन खेल रही थी और खेलने के बाद वो पापा से बोला कि पापा दीदी कितना अच्छा खेलती हैं, उनको प्रशिक्षण दिलवाइये।

मेरी प्रतिभाओं को देखके मानो मेरे माता - पिता को डर ही लग गया। मुझे एकांत में बुलाके समझाने लगे कि इतनी स्मार्टनेस अच्छी बात नही है, कोई भी सुनेगा तो सोचेगा कि बहुत आधुनिक विचार की लड़की है और फ़िर तुम्हारी शादी में दिक्कतें आ सकती है। तुम्हारी पढ़ाई, खेलकूद और गाना - बजाना सब बस घर की चार दिवारी तक सीमित रखो। माँ ने सीख दी कि लड़कियों का एक दायरा होता है, उसको लांघने की कोशिश नही करनी चाहिए नही तो बर्बाद हो जाओगी।

ये सब सुनते ही मेरे सपने चकनाचूर हो गए। इसी बीच सात - आठ साल गुज़र गये। मेरी शादी के लिए लड़के देखे जाने लगे। शादी पक्की हो गई। लड़का अच्छा था, सरकारी नौकरी करता था। मेरे सपनों को मानो पँख लग गए। सोचा, पति मेरा बहुत साथ देंगे। मैं पहली लड़की थी जो माँ - बाप को छोड़ते समय बहुत खुश थी।

शादी हो गई। ससुराल में पहला कदम रखते ही ये आशीर्वाद मिला कि बहू ,घर को एक पोता दे दो बस और कुछ नही चाहिए।ये सुनते ही मेरा अतीत मेरी आँखों के सामने तैरने लगा। उस दिन के बाद बहुत चिंता होने लगी कि अगर लड़की हो गई तो ? कई रातें सो नही पाई। पति से इस बारे में बात की तो वो बोले क्यों चिंता कर रही हो तुम ?हमारा लड़का ही होगा। माँ - बाप को और मुझे भी उम्मीद है, इस घर का वारिस ही आयेगा। फिर मैने पूछा अगर बेटी हो गई तो ? वो चिल्ला उठे बोले ये असम्भव है। अगर ऐसा हुआ तो गर्भ में ही हत्या कर देंगे। मै असहाय महसूस कर रही थी। कुछ समझ नही आ रहा था। रात भर यही सोचते रही कि मेरे ससुराल के हर एक सदस्य को गीता, रामायण की भरपूर जानकारी है, एकतरफ वो सब इतना पूजा पाठ करते हैं और दूसरी तरफ भ्रूण हत्या की बातें करते हैं !

सुनो तुम इतना उदास मत होओ ! हँसते हुए तुम बहुत अच्छे लगते हो। हाँ, तो मैं कहाँ थी ?

शादी से पहले मैने एक लिखित परीक्षा दी थी सरकारी नौकरी की। उसी का रिज़ल्ट आया है। मेरा सेलेक्शन भी हो गया है। जब पति दोपहर में खाना खाने के लिए घर आये तब उनको ये बात बताई। वो मुझे शुभेच्छा भी दिए। फिर मैने पूछा क्या मै जॉइन कर सकती हूँ। वो मुझे मना नही किए बस इतना बोले कि अब तुम मेरी बराबरी करना चाह रही हो। ठीक है मुझे नाश्ते के समय, दोपहर के भोजन के समय, मेरे दफ्तर से लौटने से पहले और मेरे माँ - बाप की ज़रूरत के समय तुम्हारी उपस्थिति ज़रूरी है। हाँ और एक बात, खाना बस मै तुम्हारे हाथ का बना ही खाऊंगा। इतना अगर तुम कर सकती हो तो शौक से नौकरी करो, मुझे कोई परेशानी नही। अगर इतना सब दायरे के अन्दर रह के कर लोगी तो हम सबको कोई असुविधा नही है।

चुपचाप उधर से उठ के चली गई। समझ में नही आ रहा था की, मै मज़बूत हो रही हूँ कि टूट रही हूँ। फिर कुछ दिन बाद सबको जिसका इंतज़ार था वो पल आ गया। मै माँ बनने वाली थी।

अरे बाबा रुक जाओ सब बताऊँगी तुमको ! इतना बैचेन मत होओ।

माँ बनने की खबर सुनते ही सास, ननद, पड़ोसी सब अपनी अपनी राय देने लगे, ये खाओ अच्छा है तुम्हारा लड़का गोरा होगा, ये मत खाओ बच्चे को नुकसान होगा, धार्मिक चीज़ें देखो, इस तरफ करवट बदल के सो ।बाप रे बाप...मै तो परेशान हो गई थी ! इतनी सारी बंदिशें! मेरी जैसी कोई इच्छा ही नही रह गई है।सब ऐसे ही बोल रहे थे मानो सब बड़े - बड़े ज्योतिष हैं ।सच बताऊँ तुमको ये नौ महीने बहुत भारी गुज़रे ।

आखिर वो दिन आ ही गया जब कोई नया मेहमान आने वाला था। मुझे हॉस्पिटल ले जाया गया। डॉक्टर बोली कि कुछ परेशानी है इसीलिए ऑपरेशन करना पड़ेगा। सारे लोग बाहर इंतज़ार कर रहे थे अपने घर के वारिस का। ऑपरेशन रूम में डॉक्टर मुझे बोली अब तो आप खुश है ना आप के कहने के मुताबिक मैने सबको तीसरे महीने में ही झूठ बोल दिया था कि आप के गर्भ में लड़का है, नही बोलती तो पता नही ये जानवर रूपी इंसान इस बच्ची का क्या हश्र करते। अब क्या करना है ?

मै बोली डाक्टर जल्दी से मेरी बेटी को मुझे दिखा दीजिये। आँखे तरस गई हैं उसके इंतज़ार में। कुछ ही देर में एक प्यारी - सी बच्ची मेरे गोद में थी, बिल्कुल मेरी हमशक्ल।

अपने अंश को अपने आँखों के सामने देखा तो खुशी के आंसुओं को बहने से रोक नही पाई। अपनी बच्ची को पकड़ के पीछे के दरवाज़े से भाग ही रही थी कि डाक्टर बोली अपने नये कमरे की चाबी तो लेते हुए जाओ। मैने सब इंतज़ाम कर दिया है। पहली बार किसी औरत को दूसरी औरत की मदद करते हुए देखा। जानती हो वो छोटी बच्ची कहाँ है ? वो तुम हो पगली, जो अभी मेरी सारी कहानी सुन रही है। तुम मेरे लिए सब कुछ हो। अब मै नौकरी करूँगी और तुम्हारी अच्छी परवरिश भी। तुमको जो मन है वो सीखना, जो इच्छा वो करना। कभी भी डरना नही, तुम्हारी माँ तुम्हारे साथ है।

आज की दुनिया के लोग तुमको आज़ादी देने की बड़ी - बड़ी बातें ज़रूर करेंगे जैसे मेरे साथ हुआ कि एक गाय की तरह खूंटी से बांध देंगे और एक दायरा बना देंगे कि ये है तुम्हारी आज़ादी का दायरा ! इसके अंदर ही तुम्हारा सब कुछ है। लेकिन मै तुम्हे ऐसे बंधने नही दूंगी ।

ऐसा जीवनसाथी चुनना जो तुम्हारा साथ दे और तुम्हारी हर इच्छा का सम्मान करे, तुम्हें इज्जत दे। शादी नही करना है तो मत करो लेकिन दायरा बनाने वाले से तो बिल्कुल नही। हज़ारों विद्वान पुरूष उस सभा में मौज़ूद थे लेकिन कोई उस अभागिन की पुकार ना सुन सका लेकिन एक मात्र महापुरुष श्रीकृष्ण ने उसके मान सम्मान की रक्षा की और उसकी इज़्ज़त बचाई। चुनना है तो उस पुरुष को चुनना जिसमें श्रीकृष्ण जैसी झलक दिखे ना कि सभा मे मौजूद उन विद्वान नपुंसकों जैसा।

ये क्या तुम तो सो गई। सोते हुए कितनी प्यारी लग रही हो। माँ हूँ तुम्हारी, जीवन भर माँ दुर्गा बनके तुम्हारा साथ दूंगी और रक्षा करूंगी। फिर देखती हूँ कौन बनाता है 'दायरा' मेरी बेटी के लिए...!


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama