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********** राधा की मौत ******

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" उफ़ !!! कितनी कस  के चुटिया की है माँ !!!! " लगभग चीखते हुए कमली बोली और ठुनक कर चोटी खोलने लगी पर माँ का एक ज़ोर का हाथ पीठ पर पड़ा तो रुक गयी। 

" यहाँ रोज़ काम पर जाने में देर हो जाती है और इन पिल्लों के नखरे ही नही खत्म होते।" पंचम स्वर में चिल्लाती हुई शांति खाट पर पड़े अपने पति कल्लू को भी एक जोर का धक्का मारने से नहीं चूकी। " काम धाम कुछ करता नहीं बस थोड़ी देर रिक्शा चलाएगा शाम को उसी कमाई की दारु पी के आ जाएगा। "

फिर राधा को हड़काने लगी।  राधा जिसके माँ बाप फुटपाथ पर सोते हुए किसी ट्रक की पहियों की भेंट चढ़ गए किस्मत खराब थी राधा की जो बच गयी और राधा अपने माँ बाप की मौत के  मुआवज़े के साथ  उसकी बुआ शांति के घर आ गयी । अब राधा भी 4 घरों में काम करती है पर बुआ शांति ने कभी उसे अपनी बेटी नहीं माना। 19 साल की राधा अब शादी की उम्र की हो गयी है पर शांति को उसकी शादी की कोई फिक्र नहीं, पैसा खर्चा होता है शादी में। 

कमली और  उसके दो छोटे भाई स्कूल जाते हैं।  कल्लू कई बार कह चुका है, कि कमली की पढाई छुड़ा कर उसे भी दो चार घर पकड़वा दे पर शांति कहती है- " सुनो जी काम करने को में राधा ही बहुत है, अभी कमली स्कूल  जाती है तो सरकार की तरफ से वर्दी के पैसे , किताबें और रोज़ का खाना  मिल जाता है।  ऊपर से सरकार ने जो योजना लड़कियों को पढ़ाने की चला रखी है उससे भी पैसे आ जाते है। ये राधा को घर में रखा है तो ये काम करे मेरी बेटी क्यों। "

बड़बड़ाती हुई एक प्याला चाय पी शांति घर से निकल गयी। रास्ते में भी सोचती जा रही थी "वो बड़ी कोठी वाली माताजी का दिल कितना छोटा है गेहू ख़राब हो गए पर मुझे नहीं दिए और वो दूसरी मेमसाहब!!  ऑफिस जाते वक़्त सारा दूध फ्रिज में रख कर ताला लगा जाती है नौकर के लिए  दूध अलग आता है और वो मुआ एक कप चाय भी नहीं देता।"

राधा भी शांति के जाने के बाद घर से निकली तो रास्ते में दीपक ने हाथ पकड़ कोने में कर लिया।  दीपक भी अनाथ था और राधा से प्यार करता था।  "राधा आज तुझे फैसला करना ही पड़ेगा या तो तू मुझसे शादी कर वरना मैं अकेले ही ग्वालियर चला जाऊँगा।  मेरे फैक्ट्री के मालिक मुझे ग्वालियर भेज रहे हैं।  वहां हम दोनों आराम से रहेंगे।  यहाँ तो तेरी बुआ तेरी शादी करने से रही। " राधा ने सोचने में ज्यादा वक़्त नहीं लगाया एक सुनहरे  और सुखद भविष्य की कल्पना ने उसे ज्यादा सोचने ही नहीं दिया।  तुरंत उलटे पाँव घर जाके कुछ कपडे , पैसे जो उसने बुआ से छुपा के रखे थे और अपनी उम्र का प्रमाणपत्र एक बैग में डाला दीपक के साथ निकल गयी। 

शाम को गुस्से में आई शांति " कहाँ गयी वो राधा चुड़ैल ? आज कहीं काम पर नहीं गयी।  सब बीबीजी गुस्सा हो रही थीं दो घरों का  काम तो मुझे ही करना पड़ा।"पर राधा का कोई आता पता न देख  अपने बेटे को दौड़ाया कल्लू को बुलाने के लिए।  जब तक कल्लू आया तब तक सारा मोहल्ला जमा हो चूका था और किसी ने शांति को बता दिया था कि उसने राधा को दीपक के साथ स्टेशन पर देखा था।  शांति पानी पी पी कर राधा को कोस रही थी उसे गालियां दे रही थी और एलान कर चुकी थी कि राधा से अब उसका कोई सम्बन्ध नहीं है। बड़ी मुश्किल से कमली और कल्लू ने शांति को शांत कराया। 

चार  दिन बाद लोगों ने देखा कि शांति के घर पर ताला लटका है और पूरा परिवार गायब है।  वापस आये तो फ़ौरन झुग्गी  की छत की मरम्मत करा ली और झुग्गी भी ठीक करा ली।  कल्लू ने कमली बेटी की सगाई तय होने की मिठाई भी खिलाई। 

एक महीने बाद अचानक शांति की झुग्गी से ज़ोर ज़ोर से  आवाज़ आ रही थी रोने की।  लोग जमा हुए तो पता चला की राधा और दीपक जिस ट्रैन में जा रहे थे उस ट्रैन का एक्सीडेंट हो गया और दोनों मारे गए शाम को  ही किसी ने आके खबर दी  ।  सभी को राधा और दीपक के लिए दुःख हुआ बस्ती की औरतें भी शांति के रोने में बुक्का फाड़ कर सुर मिलाने लगीं। 

पर अंदर की बात कोई नहीं जानता था।  राधा और दीपक की मौत की खबर अगले ही दिन लग गयी थी।  राधा अपने साथ जो प्रमाण पत्र ले गयी थी उसी से पता देख कर रेलवे वालों ने शांति और कल्लू को खबर  कर दी थी।  दोनों चुपचाप बच्चों को बहन के घर छोड़ कर वहां पहुंचे।  रेलवे दोनों का अंतिम संस्कार कर चुकी थी। शांति ने चैन की सांस ली की पैसे बच गए।  फिर दोनों मियां बीवी मुआवजे की रकम समेटने में लग गए। राधा एक काम और अच्छा कर गयी थी जाने से पहले दोनों ने मंदिर में शादी कर ली थी और फोटो भी  खिंचाई थी जो उसके सामान से निकली  इसलिए दीपक को दामाद बता कर उसके हिस्से का भी मुआवज़ा भी  दोनों समेट लाये थे। 

 

आज शांति राधा को दुआ दे रही थी की मरते मरते भी काम आ गयी।     


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