लकीरें
लकीरें
बेटी संस्कृति के लिए आये अच्छे घर के रिश्ते को चाहकर भी आलोक बाबू मना नही कर पा रहे थे , उनकी बेटी संस्कृति जैसा नाम उसी के अनुरूप गुण ।देखने मे बेहद खूबसूरत ,रंग दूध जैसा और कुशाग्र बुद्धि की मालिक ।
इस वर्ष उसने एम बी ए की परीक्षा में टॉप किया पूरी यूनिवर्सिटी में ,साथ ही उसका कैम्पस सलेक्शन भी हो गया, एक अच्छी कंपनी में जॉब पक्की हो गई उसकी । इधर जॉब लगी उधर एक अच्छे घर का रिश्ता भी आ गया ।उन्ही के किसी रिश्तेदार ने बात चलाई लड़का सी ए है और उनका शहर में दो शो रूम हैं ,बहुत सम्पन्न , लड़की को किसी बात की कमी न रहेगी ।
अब आलोक बाबू अपनी पत्नी से सलाह मशविरा करने लगे क्या किया जाए ,
"मेरा तो मत है कर देते हैं लड़की का ब्याह ।"
उनकी पत्नी नलिनी ने कहा "जी पहले आप बेटी से पूछ लो "
"उससे क्या पूछना "
"उसके जीवन का फ़ैसला उससे बिना पूछे करना ठीक नहीं,मेरे ख्याल से ,आपने अपनी बड़ी बेटी को भी पढ़ा लिखा कर सर्विस करने की अनुमति दी अब इसकी तुरन्त शादी का फैसला मत लीजिये ।"
"अरे फिर अच्छे रिश्ते नही मिलेंगे हाथ मे आया अच्छा रिश्ता खो दोगी तो ।"
"चलिये पहले संस्कृति से पूछ लीजिये ।
संस्कृति की मम्मी ने संस्कृति के बाहर से आते ही उसे पापा के समक्ष बुलाया
"बेटी तुम्हारे लिए एक सी ए लड़के का रिश्ता आया है ।"
संस्कृति मौन है
"बेटे सम्पन्न परिवार है "
फिर भी संस्कृति मौन
इस बार मम्मी बोली बेटे पापा चाहते हैं तुम्हारी शादी कर दें ,बढिया है रिश्ता ।
इस बार मौन टूटा संस्कृति का पापा मैं उन लकीरों को बदलना चाहती हूँ ,जिनमें मैं पति के नाम से जानी जाऊँ , इतना पढ़ाया आपने मुझे, क्या उसका मकसद सिर्फ शादी है ठीक है आप उनसे पूछ लें, शादी के बाद जॉब करवाएंगे क्या ।"
पापा ने फ़ोन लगाया लड़के वालों के यहाँ पूछा " हमारी लड़की विवाह के बाद भी जॉब कर सकती है क्या ।"
लड़के वालों ने जवाब दिया नही हमे सुंदर पढ़ी लिखी लड़की की जरूरत है जॉब हम नही करवाएंगे ।
"पापा आप उन्हें बता दीजिए मेरी बेटी का कैम्पस सलेक्शन हो गया है और हमें ये रिश्ता नही करना।"
आलोक बाबू लड़के वालों को जवाब दे देते हैं।
" पापा आप अब उन लकीरों को पार कर बाहर आइये ,जिसमें लड़की की शादी कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री हो जाती थी , जॉब करने से मेरा आत्मविश्वास और भी बढ़ जाएगा मैं आत्मनिर्भर रहना चाहती हूँ , किस्मत में जो होगा वह लड़का आपकी बेटी को ब्याहने आएगा ही , आखिर किस बात की कमी है मुझमे ,क्या मैं अपनी योग्यता यूँ ही गवां दूँ, मुझे तीन साल का समय दीजिये पापा ,आपकी बेटी भी कुछ कर के दिखाना चाहती है ।"
आलोक बाबू की आँखों मे आँसू भर आते हैं और उनके मुँह से निकलता है "हाँ बेटे तू तोड़ कर इन लकीरों को बाहर निकल ।" माँ बेटी आलोक बाबू के गले लग जाती हैं ।