Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

क़त्ल का राज़ भाग 3

क़त्ल का राज़ भाग 3

4 mins
7.6K


क़त्ल का राज़ 

भाग 3

                दोपहर बीत गई तो कान्ता को चिंता सताने लगी। मंगतानी बिना सूचना दिए ऐसे कभी गायब नहीं होता था। कल का दिन भी बहुत हंगामाखेज गुजरा था उसके मद्देनजर भी उसे फ़िक्र होने लगी। वो गहरे सोच में डूबी बैठी थी कि अचानक छुटभैया नेता चौधरी अपने दो तीन मवाली साथियों के साथ दनदनाता हुआ ऑफिस में दाखिल हुआ। चौधरी का चेहरा तमतमाया हुआ था वो जल्द से जल्द कल के अपमान का बदला लेने को आतुर लग रहा था कान्ता ने खड़े होकर उसे बताने की कोशिश की कि मंगतानी साहब ऑफिस में नहीं हैं पर चौधरी उसके चेहरे के सामने पंजा तानता हुआ चुप रहने का धमकी भरा इशारा करते हुए आदतानुसार मंगतानी के केबिन तक जा पहुंचा और तब कान्ता यह देखकर हैरान रह गई जब उसके नॉब घुमाते ही दरवाजा खुल गया। कान्ता अपने आप को कोसने लगी कि उसने सुबह से ऑफिस में होते हुए  एक बार भी मंगतानी के दरवाजे को खोलने की कोशिश नहीं की थी क्योंकि स्वभाविकतः मंगतानी का केबिन लॉक ही रहता था। लेकिन असली बम फूटना तो अभी बाकी था। चौधरी और उसके साथी फ़ौरन ही ऐसे केबिन से बाहर आए मानो कोई भूत देख लिया हो। बाहर आकर चौधरी विजिटिंग चेयर पर ढेर हो गया और मोबाइल निकालकर पुलिस चौकी पर फोन करने लगा अब कान्ता से रहा नहीं गया वो झपटकर मंगतानी के केबिन में जा पहुंची और वहां का दृश्य देखते ही उसे मानो लकवा मार गया। मंगतानी अपनी कुर्सी पर पीछे की ओर लटका हुआ सा पड़ा था। उसका सर कुर्सी की पुश्त से अस्वाभाविक रूप से पीछे की ओर मुड़ा हुआ था एक नजर में ही यह पता चल रहा था कि मंगतानी अब जीवित नहीं है। कान्ता के घुटने धीरे-धीरे मुड़े और वह अचेत सी होकर गिर पड़ी। चौधरी के एक पिट्ठू ने उसे सहारा दिया और बाहर लाकर आगंतुकों के लिए रखी बेंच पर लिटा दिया। फिर जब उसे होश आया तो उसने देखा कि पूरा ऑफिस खाकी वर्दी वाले पुलिसियों से भरा पड़ा था। एक महिला कॉन्स्टेबल ने हाथ में पानी का गिलास पकड़ रखा था जिसमें से वो बदस्तूर कान्ता के चेहरे पर पानी छिड़क रही थी। कान्ता के पूरी तरह होश में आ जाने पर उसने कान्ता को कंधे से पकड़ कर बिठाया और कुशलक्षेम पूछने लगी। कान्ता हिचकियाँ लेकर रोने लगी। 

                    यह इलाका जिस पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आता था वहां का सब इन्स्पेक्टर रामबचन पांडे अपने लावलश्कर के साथ यहाँ मौजूद था। रामबचन जौनपुर के किसी गाँव का रहने वाला था जिसके पिता आजादी के पहले से ही मुम्बई में आकर बस गए थे और छोटे-मोटे व्यवसाय किया करते थे। रामबचन ने यहीं से रोते-धोते बारहवीं पास की थी फिर एक झोंक में पुलिस में सिपाही भर्ती हो गया था अब धीरे-धीरे प्रमोशन पाकर वो सब इंस्पेक्टर बन गया था और शायद कुछ ही सालों में रिटायर भी होने वाला था।लेकिन अपने घर के ग्रामीण परिवेश और जौनपुर के अपने गाँव से जुड़े रहने के कारण उसपर अभी भी गाँव की छाप थी। 

हाँ तो चौधरी बाबू! तनिक फिर से पूरा किस्सा बताओ? एक हवलदार द्वारा लाया गया ताजा पान खाते हुए रामबचन बोला। चौधरी और रामबचन आमने सामने कुर्सी पर बैठे थे। अंदर केबिन में फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट और पुलिस के फोटो ग्राफर मुस्तैदी से अपने काम में लगे हुए थे। 

रामबचन जी! मैं कुछ बात चीत करने के लिए यहाँ आया तो मुझे मंगतानी सेठ मरे पड़े मिले बस! इसके अलावा मैं कुछ नहीं जानता। और देखिये एक जिम्मेदार शहरी की तरह मैंने तुरंत पुलिस चौकी फोन भी लगाया। 

हां हां ई बात तो सोलह आना खरी कही आपने पर ये बताइए आप केबिन में कितनी देर ठहरे थे? रामबचन काफी बुद्धिमानी का प्रदर्शन सा करता हुआ बोला वो फिलहाल अपने को शरलॉक होम्स का ताऊ समझ रहा था। पुलिस चौकी के इन्स्पेक्टर अमर सिंह अभी किसी दूसरे काम में व्यस्त थे तो रामबचन का इरादा आनन-फानन में केस सुलझाकर हीरो बनने का था। दरअसल क़त्ल जैसे संगीन केस में अमर सिंह खुद इन्वेस्टिगेशन करते थे पर आज बिल्ली के भाग से छींका टूटा था। 

चौधरी झुंझलाता सा बोला, इन्स्पेक्टर साहब मैं कई बार कह चुका हूँ कि मैं केबिन से उलटे पाँव लौट आया था आप चाहें तो इन मैडम से पूछ लीजिए और अपनी तर्जनी उसने कान्ता की ओर तान दी। कान्ता अब भी पूरे होशो-हवास में नहीं थी वो रुमाल मुंह पर धरे हौले-हौले सिसक रही थी अब अकस्मात अपना उल्लेख होने पर हड़बड़ा गई। उसके हावभाव से लगा मानो उसकी समझ में ऐसा आया कि चौधरी उसपर कत्ल का इल्जाम लगा रहा है। वो फट पड़ी, "साहब इसी ने मंगतानी साहब को मारा है ये कल ही उन्हें देख लेने की धमकी देकर गया और आज फिर झगड़ने ही आया था और आते ही खून कर दिया। 

चौधरी अपशब्द बोलते हुए कान्ता पर झपटने को हुआ कि कांस्टेबल साने ने उसे पकड़ कर जबरन कुरसी पर बैठा दिया।

 

कहानी अभी जारी है...

क्या चौधरी ही है मंगतानी का कातिल?

पढ़िए भाग 4


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Thriller