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चेहरे पर चेहरा

चेहरे पर चेहरा

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शुभ्रा की आज भी आँखें और चेहरा सूजा हुआ था। रोज़ का यही आलम रहता। हर रोज़ सुबह शुभ्रा के चेहरा पर इसी तरह के निशान बने रहते थे। कभी कभी तो निशान का रंग नीला भी पड़ जाता था। नील जोकि शुभ्रा का बदकिस्मती से पति है....रोज़ रात को शराब के नशे में घर आता और उससे खूब मार पीट करता। शुभ्रा ने तो कभी नील के ऐसे चेहरे की कल्पना भी नहीं की थी।

बस शुभ्रा चुपचाप केवल अपने बेटे वंश के लिए सब सहती जा रही थी। आखिर उसका नील और वंश के सिवा था ही कौन?? जिसके लिए वो सबकुछ छोड़कर चली जाए। नील को छोड़कर चली जाए।

माँ बाप को तो कब का छोड़कर नील के साथ सात जन्मों के बंधन में बंधने चली आई थी। नील भी शादी से पहले बहुत ही अच्छा और सुलझा हुआ था। उसे सबकी फिक्र रहती और खास तौर पर शुभ्रा का ख्याल रखता। मगर शादी के बाद तो शुभ्रा के लिए सबकुछ बदल जाएगा ऐसी शुभ्रा ने कल्पना भी नही की थी।

सबके होने पर नील पहले जैसा अच्छा और सुलझा इंसान बन जाता। उस समय अगर शुभ्रा से हल्की सी भी ग़लती हो जाती या वो हल्की सी मुस्कुरा भी देती। तो उन सबके सामने तो वो और भी नॉर्मल हो जाता। लेकिन उनके जाने के बाद उसका दिखावटी चेहरा उतर जाता और उसके ऊपर एक दूसरा चेहरा आकर लग जाता। और फिर वही होता जो शुभ्रा के साथ हमेशा से होता आया था।

ऐसे ही नील के पास न जाने कितने चेहरे थे। उसके हर चेहरे पर एक चेहरा होता था। जिस प्रकार रावण के एक सिर के कटते ही दूसरा सिर वहाँ अपने आप आ जाता ठीक उसी प्रकार उसका एक चेहरा उतरता तो दूसरा अपने आप आ जाता।

शुभ्रा भी नील के आदतों और उसके रोज़ रोज़ के नये चेहरे से तंग आ चुकी थी। हर रोज़ वो मरने के लिए सोचती लेकिन वंश का चेहरा देख रूक जाती।

एक दिन शुभ्रा घर के काम से मार्केट निकली हुई थी। कि तभी वो वहीं रास्ते में मूर्क्षित होकर गिर पड़ी। सामने एक कार आकर रूकी तो जब उन्होने शुभ्रा को देखा तो उनकी आँखें बरबस ही बह गई। उसके चेहरे के ज़ख्म ने उनको उनकी बेटी के साथ हुई ज्यादती की पूरी दास्तान सुना दी। और फिर उन्होनें ज्यादा देर न करते हुए शुभ्रा और वंश को अपने साथ वापस ले आए। और नील को भी जेल के हवाले कर दिया।


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