स्मार्ट कौवा
स्मार्ट कौवा
एक गांव में एक बुद्धिमान कौआ रहता था। कौआ बहुत समझदार था, इसलिए वह आस-पास के इलाकों की कौआ बिरादरी का कंसल्टेंट बन गया।
उस कौए का काम था पेड़ पर बैठकर दूसरे कौओं को यह सलाह देना कि, दूर धान के खेत में जो 'काग-भगौड़ा' खड़ा है, वह वास्तव में असली किसान है या फिर उसका बेजान पुतला। खास बात यह थी कि इस आकलन में वह कभी गलत सिद्ध नहीं हुआ। जब वह कहता कि खेत में असली किसान नहीं है तो बाकी के कौए उड़कर जाते और खेत पर धावा बोल देते। साथ ही, वे अपने इस कंसल्टेंट कौए के लिये भी खूब सारा खाना लेकर लौटते।
साल बीतते गए और उनका ये सलाह - कारोबार कई गुना बढ़ गया। फिर एक दिन ऐसा आया कि कौआ बीमार पड़ गया। उसने अपने नाती-पोतों को बुलाया और उन्हें यह राज बताया जिसकी मदद से वह खेत में खड़े असली किसान और काग-भगौड़ा में अंतर कर लेता था। उसने बच्चो से यह वादा लिया कि वे यह राज किसी को भी नहीं बताएंगे। कंसल्टेंट कौए के परिवार ने वैसा ही किया और उनका कारोबार और बढ़ता गया और वे खुशी खुशी रहने लगे।
वह राज था कि वो जो काग-भगौड़ा था ना खेत में, उसके हाथ में मोबाइल नहीं होता था और उसकी नकली आँखे पूरे समय खेत में खड़ी फसल को ही देखा करती थी, लेकिन जब असली इंसान होता था तो उसके पास मोबाइल होता था और वह पूरे समय उसी में देखता रहता था।