दादी माँ
दादी माँ
कुछ सालों पहले हरिणी की दादीमाँ कि मुत्यु हो गई थी , हरिणी आज अपनी दादी के साथ बिताए उन पलों को याद कर रहीं थी , जो उसकी जिदंगी के सबसे खूबसूरत पल थे|
हरिणी ने अपने जन्म से अबतक सबसे ज्यादा वक्त अपनी दादी के साथ बिताया था, जिसने उसकी जिदंगी मे माँ के साथ गुरु की भी भूमिका निभाई, उसकी दादी की कहानीयां आज भी उसे मिठी नींद सुलाती है, हरिणी ने अपनी दादी की कहानियों को रिकॉर्ड कर रखा था,उसे जब भी समय मिलता वो उसे शुरू कर देतीं, उसे इससे अधिक खुशी किसी चीज से नहीं मिलती थी, उसकी दादी उसकी सबसे अच्छी सहेली थी लेकिन आज उसके दादी सिर्फ उसकी यादों में थी उनके जाने के बाद हरिणी पूरे दिन किसी न किसी काम में व्यस्त रहने की कोशिश करतीं थीं उनका उसके पास न होने का अहसास ही उसे डरा देता था, वो बहुत कम घर रहने लगी लेकिन उनकी यादों ने उसका पिछा कभी नहीं छोड़ा।
आज वो काफी महिनों बाद घर लोटी, वो अपने दादी का सामान लेने के लिए आई थी,लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी, हरिणी अपनी दादी के जाने के बाद पहली बार उनके कमरे में जा रहीं थी, उसके अदंर प्रवेश से उसे ऐसा सकून मिला, जिसे पाने के लिए कश्मीर से कन्याकुमारी तक घूमी, लेकिन उसे सूकून मिला तो उसकी दादी के आशियाने में जिससे वो हमेशा भागती रहीं, उसे ऐसा महसूस होने लगा जैसे उसकी दादी उसकी पास ही है, और उसने चेन श्वास ली, और उधर ही सो गई, और उसने उधर से वापस न जाने का निश्चय किया और अपनी दादी के नाम पर एक अनाथआलय खोलने का निश्चय किया।