जीवन की आस
जीवन की आस
कल का दिन बड़ा आपा-धापी वाला ही रहा। एक हिंदी के कवि की याद में समारोह फिर अस्पताल में जाना हुआ। वहाँ हमारी एक परिचिता बीमार थी। वह कोमा में थी, उनका पूरा परिवार सेवा में लगा था। उनके पति ने उनको हिलाया और कहा कि, "देखो कौन आया है मिलने?" वह आँख खोली फिर उनकी आँख से आँसू बह निकलें। ना बोल पाना, ना हिलना-डुलना अपनी भवनाओं को समझा पाना फिर भी सारा परिवार लगा था सेवा में। सबको आशा है कि वह ठीक हो जाएँगी। जीवन के लिये सभी को आस होती है पर उनकी विवशता देखकर हमारा मन भी भारी हो गया। बस शिव से यही अरदास है कि ठीक हो जाएँ, अपने परिवार के लिये, अपने पति के लिये, अपने समाज के लिये, भारत देश के लिये।