कॉलिंग बूथ
कॉलिंग बूथ
ये कहानी हैं निशा की जो गुलाबी शहर जयपुर निवासी हैं। वह नौ वी कक्षा में पढ़ती हैं।
उसके कॉलेज के रास्ते में एक कॉलिंग बूथ पड़ता हैं, रोज कॉलेज आते जाते उसे देखती और सोचती कि आज मोबाइल के जमाने में इसे कौन युज करता हैं, साथ ही बागबान फिल्म के गाने को याद करने लगती है
मैं यहाँ तू वहाँ
मैं यहाँ तू वहाँ, ज़िदगी हैं कहाँ
तू ही तू हैं सनम,देखता हूँ जहाँ.....
जो दिल को छू जाने वाला गाना हैं। और मन ही मन सोचती हैं कि 90 के दशक की मूवी में कैसे हीरो और विलेन इसका इस्तेमाल किया करते थे। हीरो अपने प्यार का इजहार करने के लिए लव सांग और हिरोइन के दगा देने पर शैड सांग के लिए इसका इस्तेमाल करते थे। विलेन फिरौती मांगने के लिए और खबरी पुलिस को खबर देने के लिए इसका इस्तेमाल करते थे।
यहीं सब सोच हीं रहीं थी और उसके मन में ख्याल आया कि एक बार तो इसे जरूर इस्तेमाल करना चाहिए।
तो वह कॉलिंग बूथ की तरफ बढ़ती हैं तो क्या देखती हैं, बहुत लम्बी लाईन लगी हैं,वो सोचती हैं, ऐसा क्यों, तब पता चलता हैं, आज सरकार ने मोबाइल नेटवर्क जाम कर दिये हैं, इसीलिए इस कॉलिंग बूथ की किस्मत जागी हैं।
लम्बे इंतजार के बाद उसका नंबर आता हैं, वो कॉइन डालकर अपनी माँ का नंबर डॉयल करती हैं, लेकिन ये क्या........
तेज तूफान आता हैं, बहुत तेज हवायें चलने लगती हैं और अचानक बूथ हवा में उड़ने लगता हैं और तेज तेज घूमने लगता हैं, निशा बहुत डर जाती हैं।
तभी....
अचानक से हवायें रूक जाती हैं और कॉलिंग बूथ एक घर के सामने जाकर रूकता हैं, जहाँ शादी की सजावट हैं, लगता ऐसे जैसे किसी कि शादी हैं।
निशा को वो घर कुछ जाना पहचाना सा लगता हैं, जैसे हो उसकी नानी का घर।
इसीलिए उत्सुकता से वह उस घर की ओर चल पड़ती हैं, तभी देखती है एक औरत घर से बाहर आती हैं, निशा सोचती हैं कि ये तो मेरी मौसी लग रहीं हैं पर ये इतनी छोटी कैसे।
अब उसे उत्सुकता होने लगती हैं कि शादी किसकी हैं। इसीलिये वह दुल्हन के कमरे की ओर बढ़ने लगती हैं,और वह दुल्हन को देख चौंक जाती हैं, क्योंकि दुल्हन और कोई नहीं उसकी माँ है, वो माँ के पास जाती हैं,और कहती हैं, माँ ये सब क्या, लेकिन माँ उसे पहचान नहीं पाती और कहती बेटा आप कौन और आप मुझे माँ क्यों कह रहे हो, निशा कुछ बोल पाती तब हीं नाना जी कमरे में आते हैं और कहते हैं बेटी तैयार हो गई बारात आने ही वाली हैं।
अब निशा को एहसास होता हैं कि वह भूतकाल में आ गयी हैं क्योंकि उसके नाना जी को तो उसने कभी देखा हीं नहीं था वो तो उसके जन्म से पहले ही स्वर्गवासी हो गये थे और इसीलिये उसकी माँ जो दुल्हन के जोड़े में एक परी सी लग रही थी ,पहचान नहीं पायी।
निशा जा के नाना जी के गले लग जाती हैं और रोने लगती हैं, नाना जी कहते हैं, बेटा, आप कौन ,.....तो निशा कहती हैं, मैं आपकी नाती नाना जी....तभी थोड़ा सम्भल कर मैं आपकी नाती जैसी..मैं विभा (निशा की सबसे छोटी मौसी जो निशा के बराबर की थी, ऐसा निशा की माँ ने उसे बताया था कि विभा मेरी शादी के समय निशा जितनी थी)
नाना जी कहते हैं:- बेटा आप रो क्यों रहे हो।
निशा कहती हैं:- मैंने अपने नाना जी को नहीं देखा कभी आप को देखकर उनकी याद आ गयी इसीलिए रोना आ गया।
तभी निशा की 5 मौसियां (निशा की माँ 5 बहनें हैं दो उनसे बड़ी और दो छोटी और वो मंझली) आती हैं और कहती हैं बारात आ गयी।
निशा मन ही मन बहुत खुश होती हैं कि आज अपने मम्मी-पापा की शादी अपनी आँखो से देखेगी।
माँ को तो वो दुल्हन के रूप में देख चुकी थी, अब पापा को देखने के लिये उत्सुक थी।
पापा को देखने के लिये अपनी मौसियों के साथ हिन्दी फिल्मों की तरह छत पर जाती हैं।
पापा को देखकर वह बहुत खुश होती हैं, क्योंकि माँ परी तो पापा सफेद शेरवानी और तलवार के साथ एक राजकुमार लग रहे थे।
जयमाला के समय ऐसा लग रहा था जैसे हो किसी राजा-रानी की शादी......पहले मम्मी पापा को जयमाला डालने की कोशिश करती हैं तो पापा के भाई (निशा के 4 छोटे चाचा) पापा को अपनी तरफ खींचते और पापा गर्दन ऊपर कर लेते फिर निशा के मामा माँ को उठाते हैं और माँ जयमाला डाल देती हैं, फूलों की बारिश होने लगती हैं जैसे स्वर्ग से फूल बरस रहे हो, फिर पापा माँ को जयमाला पहनाते हैं।
और पटाखें छूटने लगते हैं और फूलों की बरसात होने लगती हैं।
पापा-मम्मी एक दूसरे की आँखो में खो जाते हैं।
निशा और बाकी रिश्तेदार नाचने झूमने लगते हैं।
नाचते -नाचते निशा को भूख लगने लगती हैं और वह अपनी मॉसियों के साथ खाने चली जाती हैं,खाने में आज के जमाने की तरह चाऊमीन,पिज्जा ,बर्गर ,नान नहीं था लेकिन सरल और स्वादिष्ट खाना था।
छोले, पूरी, कद्दू ,कढी -चावल, गुलाब -जामुन, इमरती और भी बहुत कुछ निशा जमकर खाती हैं और शादी की रस्मों का लुत्फ उठाती हैं,
मौसियों के साथ मिलकर पापा के जूते चुराती हैं,और मम्मी -पापा के फेरे देखती हैं।
फिर आता हैं विदाई का समय निशा की माँ रोने लगती हैं, और ये सब देखकर निशा भी रोने लगती हैं और सोचती हैं कि एक दिन उसे भी अपनी माँ को छोड़ के जाना होगा।
शायद कुदरत को भी रोना आ रहा था यह सब देखकर और बारिश होने लगती हैं।
निशा पूरी तरह भीग जाती हैं और पीछे से आवाज आती हैं, निशा....निशा उठ स्कूल नहीं जाना क्या।
तभी निशा उठती है अपने आप को बैड पर पाती हैं और मम्मी आवाज लगाती हैं चल उठ कहाँ खोयी थी पानी गिरा कर उठाना पड़ा।
निशा उठ कर माँ से लिपट जाती हैं और कहती हैं कि माँ सपने में मैंने आप की शादी देखी।
माँ कहती है कुछ भी चल तैयार हो जा स्कूल के लिए लेट हो जायेगी।
निशा स्कूल जाते हुए फिर उस कॉलिंग बूथ को देखती हैं और धन्यवाद कहती हैं कि मेरे माँ-पापा की शादी दिखायी, सपने में ही सहीं।