परिवर्तन
परिवर्तन
गुलाब ने खुश होते हुये बगीचे में झाँका आज माली काका नर्सरी से उसे सुखदा के घर में लाये थे।उसे अपनी गुलाबी मखमली पंखुडियो पर नाज हो आया । फिर उसने उचटती हुई निगाह गेंदे पर डाली । गेंदे ने मुस्कान के साथ उसका स्वागत किया ।पर गुलाब तो उससे सीधे मुँह बात करने के लिए ही तैयार नहीं था ।परगेंदेकी मुस्कान देखकर गुलाब ने थोड़ा अकड़ते हुये कहा
"क्यों भाई तुम इतने मुरझाए हुये क्यों हो । लगता है तुम्हारा अंत समय नजदीक है ।" गेंदे ने मुस्कुराते हुए कहा "हाँ ,मैं अपने हिस्से की बगिया महका चुका कल मेरी बारी थी बगिया को महकाने की आज तुम्हारी मेरे दोस्त ।परिवर्तन ही संसार का नियम है ।
गुलाब गेंदे के आगे निरूत्तर था।