डियर डायरी
डियर डायरी
सुबह नीद खुली तो याद आया 21 दिन का लॉक्डाउन है थोड़ा मन उदास हो गया फिर याद आया ख़ुश होकर समय बिताना है ...चाय बनाने गई तो सिंक पर बर्तन देख मूड ख़राब हो गया ....ना मोदी जी की बात माननी है ...कामवाली बाई को नहीं आने देना है ....कारवाँ में गाने लगा बर्तन धो लिए ...पूरा दिन ...मेरे लिए रणभूमि की तरह .....सबकी फ़रमाइश ...कपड़े ...सफ़ाई....शाम तक पस्त पर नहीं इस लड़ाई में, जीतना ही है देश को ...फिर कमर कसना है अगले दिन के लिए।