Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

डॉक्टर डूलिटल - 2.5

डॉक्टर डूलिटल - 2.5

4 mins
402



“अब हमें क्या करना चाहिए?” कीका ने पूछा। “मछुआरे को तो हर हाल में ढूंढ़ना ही होगा: पेन्ता रो रहा है, न कुछ खा रहा है, न पी रहा है। पिता के बिना वह बहुत दुखी है।”

 “मगर उसे ढूंढ़ोगे कैसे!” त्यानितोल्काय ने कहा। “उकाबों को भी वह नहीं मिला। मतलब, उसे कोई भी नहीं ढूंढ़ सकता।”

 “ये गलत है!” अव्वा ने कहा। “उकाब, बेशक, बेहद अक्लमन्द पक्षी है, और उनकी नज़र भी बेहद तेज़ होती है, मगर किसी इन्सान को अगर कोई ढूंढ़ सकता है, तो वो है – कुत्ता। अगर किसी आदमी को ढूंढ़ना हो तो कुत्ते से कहिए, और वो हर हाल में उसे ढूंढ़ लेगा।”

 “तू उकाबों की बेइज़्ज़ती क्यों कर रहा है?” ख्रू-ख्रू ने अव्वा से कहा। “तू क्या समझता है, एक ही दिन में पूरी धरती का चक्कर लगाना, सारे पहाड़ों, जंगलों और खेतों पर नज़र दौड़ाना आसान बात है? तू तो बस रेत पर पड़ा रहा, कुछ काम-धाम नहीं किया और वे मेहनत करते रहे, ढूंढ़ते रहे।”

 “तू कैसे कह सकता है कि मैं काम-धाम नहीं करता? क्या मैं काम-चोर हूँ?” अव्वा को गुस्सा आ गया। “क्या तुझे मालूम है, कि अगर मैं चाहूँ तो तीन दिनों के अन्दर मछुआरे को ढूंढ़ सकता हूँ?”

 “तो, चाह ना!” ख्रू-ख्रू ने कहा। “तू चाह क्यों नहीं रहा? चाह!,

तुझे कुछ मिलने –विलने वाला नहीं है, तू सिर्फ शेख़ी मार रहा है!”और ख्रू-ख्रू हँसने लगा।

 “तो, तेरी राय में, मैं शेख़ीमार हूँ?” अव्वा गुस्से से चिल्लाया। “अच्छा, ठीक है, देखेंगे!”

और वह डॉक्टर के पास भागा।

 “डॉक्टर!” उसने कहा। “पेन्ता से कहो कि अपने पिता की कोई ऐसी चीज़ दे, जो उसने हाथों में पकड़ी थी।”

डॉक्टर लड़के के पास आया और बोला:

 “क्या तेरे पास ऐसी कोई चीज़ है, जिसे तुम्हारे पिता ने हाथों में पकड़ा था?”

 “ये है,” लड़के ने कहा और अपनी जेब से एक बड़ा लाल रूमाल निकाला।

         

कुत्ता रूमाल के पास भाग कर आया और उसे ज़ोर-ज़ोर से सूंघने लगा।

“इसमें से तंबाकू की और हैरिंग मछली की गंध आ रही है,” उसने कहा। “उसके पिता पाईप के कश लगा रहे थे और हॉलैण्ड की बढ़िया हैरिंग मछली खा रहे थे। अब मुझे और किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं है। डॉक्टर, लड़के से कहो कि तीन दिन पूरे होते-होते मैं उसके पिता को ढूंढ़ लूंगा। मैं ऊपर, उस ऊँचे पहाड़ पर जाता हूँ।”

“मगर अभी तो अंधेरा हो गया है,” डॉक्टर ने कहा। “अंधेरे में तो तुम ढूंढ़ नहीं सकते!”

“कोई बात नहीं,” कुत्ते ने कहा। “मुझे उसकी गंध मालूम है, और इसके अलावा किसी और चीज़ की मुझे ज़रूरत नहीं है। सूंघ तो मैं अंधेरे में भी सकता हूँ।”

कुत्ता भागकर ऊँचे पहाड़ पर पहुँच गया।

 “आज हवा उत्तर दिशा से चल रही है,” उसने कहा। “चलो, सूंघता हूँ कि वहाँ से कैसी गंध लाई है हवा।

बर्फ,गीला ओवर-कोट, एक और गीला ओवर-कोट,भेड़िए,सील मछलियाँ, भेड़ियों के पिल्ले,अलाव का धुँआ,बर्च के पेड़,”

 “हवा के एक झोंके में क्या तुम वाक़ई में इतनी सारी तरह की गंध महसूस कर सकते हो?” डॉक्टर ने पूछा।

 “बेशक,” अव्वा ने कहा। “हर कुत्ते की नाक ग़ज़ब की होती है। हर पिल्ला ऐसी ऐसी गंध महसूस कर लेता है जो आप कभी भी नहीं कर सकते।”

और कुत्ता फिर से हवा सूंघने लगा। बड़ी देर तक उसने एक भी शब्द नहीं कहा और अंत में बोला:

 “सफ़ेद भालू,रैण्डियर्स,जंगल में छोटे-छोटे कुकुरमुत्ते ,हिम,बर्फ,बर्फ और,और,और,”

 “हनी-केक?” त्यानितोल्काय ने पूछा।

 “नहीं, हनी-केक नहीं,” अव्वा ने जवाब दिया।

 “अख़रोट?” कीका ने पूछा।

 “नहीं, अख़रोट भी नहीं,” अव्वा ने जवाब दिया।

 “सेब?” ख्रू-ख्रू ने पूछा।

 “नहीं, सेब भी नहीं,” अव्वा ने जवाब दिया। न तो अखरोट, न सेब और ।न ही हनी-केक, बल्कि क्रिसमस ट्री के फल। मतलब, उत्तर दिशा में मछुआरा नहीं है।

हम तब तक इंतज़ार करेंगे, जब दक्षिण से हवा बहेगी।”

 “मैं तेरा ज़रा भी यक़ीन नहीं करती,” ख्रू-ख्रू ने कहा। “तू बस कल्पना किए जाता है। कोई गंध-वंध तू महसूस नहीं करता, बस, सिर्फ बकवास कर रहा है।”

 “दूर हट,” अव्वा चिल्लाया, “वर्ना मैं तेरी पूंछ काट लूँगा!”

 “शांत! शांत!” डॉक्तर डॉक्टर डूलिटल   ने कहा। “झगड़ा बन्द करो!,अब मैं देख रहा हूँ, मेरे प्यारे अव्वा, कि वाक़ई में तेरी नाक बहुत तेज़ है।

हम हवा की दिशा बदलने का इंतज़ार करेंगे। मगर अब घर जाने का समय हो गया है। जल्दी करो! पेन्ता थरथर काँप रहा है, और रो रहा है। उसे ठण्ड लग रही है। उसे खाना खिलाना चाहिए। तो, त्यानितोल्काय, अपनी पीठ नीची कर। पेन्ता, बैठ जा त्यानितोल्काय की पीठ पर! अव्वा और कीका, मेरे पीछे आओ!”





Rate this content
Log in

Similar hindi story from Classics