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ब्लैक ब्यूटी भाग-6

ब्लैक ब्यूटी भाग-6

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पुल



एक दिन, नवम्बर में, ज़मीन्दार को स्थानीय बाज़ार-कस्बा हर्टफोर्ड में कुछ लोगों से मिलने के लिए जाना था। यह एक लम्बा सफ़र था, इसलिए जॉन ने मुझे कुत्ता-गाड़ी में जोता। मुझे कुत्ता-गाड़ी बहुत पसन्द थी। बड़े-बड़े पहियों वाली इस गाड़ी को खींचना ज़रा भी मुश्किल नहीं था। जॉन मैन्ले गाड़ी चला रहा था और मेरा मालिक उसकी बगल में बैठा था।

काफ़ी बारिश हुई थी, मौसम बहुत ख़राब था। एक जगह पर रास्ता नदी के ऊपर से लकड़ी के पुल से होकर जाता था। नदी में बहुत पानी था, उसमें बाढ़ आई थी और पुल के कुछ हिस्से पानी में डूबे थे मगर हमें लकड़ी के अच्छे किनारे दिखाई दे रहे थे और मेरे पैरों के नीचे पुल हिल नहीं रहा था। मैं बेधड़क आगे बढ़ गया।

मेरे मालिक को काम के कारण हर्टफोर्ड में कुछ घंटों तक रुकना पड़ा और जब हम वापस घर के लिए निकले तो रात हो रही थी। बारिश फिर से शुरू हो गई थी और रात भयानक थी।

मेरा मालिक गाड़ी चला रहा था। जब हम पुल तक आए, तो उसने ज़रा भी लगाम नहीं खींची इसलिए मैं कुत्ता-गाड़ी को नदी के ऊपर से ले चला, मगर जैसे ही मेरे पैर पुल के ऊपर पहुँचे, मैं समझ गया कि हमें उसके ऊपर से नहीं जाना चाहिए।

मुझे यूँ लगा कि कहीं कोई गड़बड़ और इसलिए मैं रुक गया।

“चलो, आगे बढ़ो,” मेरे मालिक ने कहा, “पुल पार करो, ब्यूटी ! डरो मत ! पुल पर थोड़ा पानी ज़रूर मगर वह ज़्यादा नहीं है।” उसने मुझे चाबुक से छुआ, मगर मैं नहीं हिला।

“यह किसी चीज़ से डर रहा है,” जॉन ने कहा और वह नीचे कूदकर मेरे सिर के पास आया। “चलो, ब्यूटी,” उसने कहा और मुझे पुल पर ले जाने की कोशिश करने लगा।

मुझे अभी भी लग रहा था कि हमें नहीं जाना चाहिए। मैं आगे न बढ़ सका।

नदी के दूसरे किनारे पर रास्ते की देखभाल करने वाले आदमी का घर था। उसने हमारी आवाज़ें सुनीं और खिड़की से कुत्ता-गाड़ी की बत्तियाँ देखीं। वह हाथ में लैम्प लेकर दौड़ते हुए घर से बाहर आकर चीखा, "रुको ! रुको ! ठहरो !”

वह दूसरी ओर से पुल के करीब आया और हमारी तरफ़ देखकर चिल्लाया, "तुम देख नहीं सकोगे, मगर पुल का एक हिस्सा नदी में बह गया है,” उसने कहा, “पानी उसे बहाकर ले गया। तुम इस तरफ़ नहीं आ सकते। तुम्हें ऊपर की ओर नदी पर बने दूसरे पुल की तरफ़ जाना होगा।”

“थॅंक्स गॉड !” मेरे मालिक ने कहा, “हम तो बह ही जाते !”

“तुम, ब्यूटी !” जॉन ने मुझसे कहा, “तुमने हमारी जान बचाई है।” और वह मुझे पुल से दूर ले चला।

जब हम दूसरे पुल की तरफ़ जा रहे थे तो ज़मीन्दार गॉर्डन और जॉन मैन्ले ने थोड़ी देर तक कुछ नहीं कहा। फिर वे पुल के ऊपर जो हुआ, उस पर बातें करने लगे। मेरे मालिक ने कहा कि इन्सान सोच सकता है और सवालों के जवाब ढूँढ़ सकता है। भगवान ने उन्हें इसी तरह से बनाया है मगर भगवान ने घोड़ों को और इन्सान के कुछ और दोस्तों को दूसरी तरह से बनाया है। वे कुछ चीज़ें बगैर सोचे समझ जाते हैं और इसीलिए कभी-कभी इन्सानों की जान बचा लेते हैं। इस बात की वजह तो किसी को मालूम नहीं मगर जानवरों में अक्सर यह प्रवृत्ति देखी जाती है।

“हाँ,” जॉन ने कहा और उसने कुछ ऐसे जानवरों की कहानियाँ सुनाईं, जिन्होंने अपने मालिकों की जान बचाई थी। उसने उस कुत्ते के बारे में भी बताया जिसने रात को रसोईघर में आग लग जाने पर परिवार को नींद से उठाया था।

जब हम बर्टविक पार्क पहुँचे तो मिसेज़ गॉर्डन भाग कर बाहर आईं। “ओह, मैं कितनी ख़ुश हूँँ कि आख़िर आप लोग आ ही गए, मैं कितनी घबरा गई थी ! क्या कोई बुरी बात हुई थी ?”

“नहीं, ख़ुदा का शुक्र है, मगर होते-होते बची !” ज़मीन्दार ने कहा। “अगर ब्लैक ब्यूटी न बचाता तो हम बह ही गए होते !” पुल पर हुई घटना के बारे में बताते हुए वह उसके साथ घर के अन्दर गया।

जॉन ने अस्तबल पहुँच कर मेरी ज़ीन खोलीओ, उस रात उसने मुझे कितना बढ़िया खाना दिया ! और धन्यवाद का भाव प्रकट करते हुए उसने मुझे कितनी अच्छी तरह सँवारा और मेरे लिए कई छोटे-छोटे काम किए।


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