Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Vikas Sharma

Others

2.6  

Vikas Sharma

Others

लॉक डाऊन् के बाद ऑफिस का पहला दिन

लॉक डाऊन् के बाद ऑफिस का पहला दिन

3 mins
23.8K



21 दिन का लोकडाउन अजीबो – ग़रीब हाल में छोड़ गया , ना तो शिकायत ही कर सकते हैं कि घर पर परिवार के साथ अच्छा नहीं लगा और ना ही सच्चाई कबूल सकते कि क्या –क्या याद किया , किन इच्छाओं को दबाया और बेमतलब सब कुछ अच्छा होने । खुश रहने को और नहीं बढ़ाया जा सकता था । मानसिक बीमार हो चले थे , अब कोरोना से डर ऊब गया था , पर खैर हो राहत मिली, साहेब के शहर में कोई केस नहीं आया । आज राधिका भी काम पर गई थी लोकडाउन के बाद । साहेब को आज देर से जाना था , 21 दिन कि तड़प जो मिटानी थी , बार – बार दरवाजे को ही निहार रहे था , दरवाजे को खुला ही छोड़ा था , एक पल भी जाया नहीं करना चाहते थे ।

भूमि जैसे ही कमरे में दाखिल हुई झट से दरवाजा बंद किया , भूमि को पीछे से जकड़ लिया और बेहिसाब चूमना शुरु कर दिया , वो कुछ कहना चाह रही थी , पर साहेब उतावले पन के आगे उसकी एक ना चली , साहेब उसे उठाकर बिस्तर पर लिटा लिया ।

"साहेब , कई दिनों का काम है , बहुत वक्त लगेगा , अभी कई जगह जाना है , आज रहने देते – भूमि ने अनचाहे मन से कहा ।"

"आज भुमि आकर चली गई थी , कुछ काम नहीं कर पाई , तबयित कुछ ठीक नहीं थी –ये बोल दूँगा राधिका को , आज तुम किसी और के घर पर नहीं जाओगी , अभी फोन करके मना कर दो ।"

भूमि ने मुस्करा कर ऐसा ही किया , और बोली मैं भी यही चाह रही थी आज तो , 21 युग बाद मौका ,मिला है , आज साहेब को मना नहीं कर सकती ।

साहेब और भुमि ने सारा दिन एक – दूस्ररे में ड़ूब कर बिताया , "शाम हो गई साहेब अब मैडम आने वाली होंगी , चलती हूँ – कहकर भूमि कपड़े पहनने लगी ।"

साहेब ने घड़ी कि ऒर देखा और कहा – "ह्म्म्म्म्म्म यही ठीक रहेगा ।"

साहेब ने कमरा ठीक किया , थोड़ी साफ सफाई भी कर दी , राधिका को आने में आज जरा देर हो गई थीं , राधिका थक सी गई थी , आते ही नहाने चली गई , उसके फोन पर मेसेज आ रहे थे, यूँ तो साहेब राधिका के फोन को छूते नहीं थे , पर आज थके थे , आवाज पसंद नहीं आ रही थी , तो साईंलेंट करने को फोन उठाया , राधिका के ऑफ़िस से आए मेसज पर निगाह पड़ गई , आज ऑफिस क्यूँ नहीं आई ? , मेल मिला , अचानक तबयित को क्या हो गया ? इतने दिनों से तो घऱ पर ही थी ।हेमा – साथ में काम करती थी का मेसेज था ।

राधिका बाल पोंछते हुए बोली – "21 दिन बाद ऑफिस , ऑफिस जैसा लग हि नहीं रहा था , इतना पेंडिंग काम , इसलिये देर हो गई , जरूरी काम आज निपटा लिया है , बाकी धीरे –धीरे हो जायेगा ।वैसे लोकडाउन के बाद ऑफिस अच्छा लगा।"

घर की तरफ देखकर – "भूमि आज भी नहीं आई, कोई तो बताये लॉक डाउन खत्म हो गया है ,

आप तो देर से ऑफिस जाने वाले थे ना, कैसा रह लोक डाउन के बाद का दिन?"

"मेरा भी तुम्हारे जैसा ही रहा"- साहेब ने राधिका को फोन देते हुए कहा। 


Rate this content
Log in