Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

लीची वाला

लीची वाला

4 mins
946


दोस्तों ! आज आपको एक कहानी सुनाने जा रहा हूँ जो कि एक सच्ची घटना पर आधारित है। वह घटना जो रोज ही आमतौर पर आपके मेरे हम सब के साथ घटती है। कहानी शुरू करता हूँ एक गहमागहमी भरे याने हलचल और भीड़ बड़े बाजार से। हम दो दोस्त यूँ ही रोज शाम को चहल कदमी के बहाने सड़कों पर टहलने निकल जाते थे। कल भी यही हुआ, मैं और मेरा दोस्त रोज की आदत की तरह सड़क पर टहलने निकल पड़े और इधरउधर यूँ ही चीजों का भाव पूछते रहे। कुछ खरीदना तो हमें था नहीं लेकिन फिर भी इस आस में कि कोई चीज हमें सस्ती मिल जाएगी, किसी न किसी ठेले वाले से मोलतोल; आधुनिक भाषा में जिसे ”बारगेनिंग” कहा जाता है करते रहे। यह हमारा रोज का मूड रिफ्रेशमेंट था।


अच्छा मैं यह बता दूं कि हम दोनों ही दोस्त ऐसा सड़क किनारे बैठे दुकानदार, ठेले वाले, गुमटी वाले, रिक्शे वालों के साथ करते थे। किसी बड़े शोरूम या शॉपिंग मॉल में हम सिर्फ प्राइस टैग देखकर अकड़ कर अपने वॉलेट से करारे नोट गर्दन ऊँची कर स्टाइल से दे देते थे।


तो हाँ साहब ! हुआ कुछ यूँ कि उस दिन हम एक लीची के ठेले के पास जाकर खड़े हुए और बिना पूछे लीची वाले के ठेले से एक लीची उठाकर खाने लगे और खातेखाते उससे तेज आवाज में पूछा


”कैसी दी लीची"


लीची वाले ने ”140 रू किलो साहब" कहकर कितना दे दूं का प्रश्न कर डाला। लीची खाने में मीठी थी, हमने खरीदने का मन बना लिया बोला “आधा किलो दे दो”


उसने तोलना शुरू किया तो हमने देखा कि वह लीची के साथ डंठल और पत्तियां भी तोल रहा था। मैं और मेरा मित्र नाराज हो गए मैंने कहा


 ”यह क्या है तुम लीची के साथ डंठल और पत्तियां भी तोल रहे हो”


ठेले वाले ने अपेक्षाकृत मृदु स्वर में कहा


”साहब पूरे शहर में लीची इसी तरह बिकती है” उसका जवाब एक तरह से सही ही था लेकिन मैं और मेरा मित्र नाराज हो गए और बोले रहने दो हमें नहीं चाहिए तुम्हारी लीची।


यह सुनकर लीची वाला नाराज हो गया और थोड़े तेज स्वर में बोला “जब लेनी नहीं थी तो क्यों तौलवाई?”


मामला बिगड़ते देख मेरे दोस्त ने उसे पैसे देते हुए कहा कि, "लो, दो जितनी देना हो”


मैं चुपचाप खड़ा था मुझे ऐसा लगा कि मेरे तथाकथित अहम पर लीची वाले ने पैर रख दिया हो। मैने लीची ले तो ली लेकिन जाते-जाते उससे ऊँची आवाज में तिरस्कार के साथ कहा,


”अपनी ग्राहकों के साथ थोड़ी तमीज से बात किया करो। यही कारण है कि तुम लोग साले! पूरी जिंदगी भर यही सड़क पर रहते हो। कभी, तरक्की नहीं कर पाओगे; पूरी जिंदगी यही इसी सड़क पर ठेला लगाते रहोगे”


मैंने गुस्से में उसे कितना कुछ कह दिया। भीड़ में से कुछ लोग मुझे घूरने लगे। वह लीची वाला बड़ी बड़ी आंखों के साथ सन्न सा खड़ा था और मुझे देख रहा था। मेरा दोस्त मुझे वहाँ से ले आया। रास्ते भर मुझे कुछ अच्छा नहीं लगा मेरा मूड उखड़ गया था। वह लीची वाला पीछे छूटने के बाद भी मेरे साथ ही था। उसकी आंखें पूरे रास्ते मेरा पीछा करती रही।


घर आकर संध्या वंदन के समय भगवान का पाठ करने के लिए दिया जलाया लेकिन दिए की लौ की तरह ही मेरा मन अस्थिर था। भगवान के पास धार्मिक ग्रंथ खोल मेरा मन ना किसी दोहे में लग रहा था और ना ही किसी चौपाई में। मन में पता नहीं क्या घूमने लगा, भगवान की तरफ देखा तो लगा कि वह मुझसे कह रहे है कि मैंने गलत किया। भगवान की तरफ मैंने पुनः प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा तो जैसे उन्होंने मुझे कोई हल दे दिया था, मैं मुस्कुराने लगा।


अगले दिन मैं पुनः उसी स्थान पर गया जहाँ वह लीची वाला कड़ी धूप में अपनी लीचियों पर पानी उछालता हुआ, पसीने में नहाया खड़ा था। मेरा मुंह कपड़े से ढका था। मैंने बिना भाव पूछे उसने कहा,


“भैया 2 किलो लीची दे दो”


उसने पुनः डंठल और पत्तियों के साथ 2 किलो लीची तौली मैंने 140 रू किलो के हिसाब से 280 रू उसे दे दिए और मुंह का कपड़ा उतार दिया। पैसे देते हुए मैंने उससे कहा


"सॉरी भैया ! कल मैंने जो आपके साथ व्यवहार किया था वह गलत था मैं उसके लिए माफी मांगता हूँ”


वह लीची वाला यह सुनकर अबकी बार आश्चर्य चकित नेत्रों से मुझे देखने लगा। मैंने एक हल्की सी मुस्कुराहट भरकर कान को हाथ लगाते हुए पुनः सॉरी कहा। यह सुनकर वह लीची वाला स्निग्ध आंखों से मुस्कुराने लगा। मैंने लीचीयो को आगे अपने दोपहिया वाहन की हुक पर टांगा और गाड़ी सेल्फ स्टार्ट की। मन पर जैसे कई किलो का बोझ उतर गया हो और फिर एक गहरी मीठी सांस लेकर मैं वहाँ से रफूचक्कर हो गया। 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama