ये मेरी साड़ी
ये मेरी साड़ी
तुम को क्या लगता है साड़ी सिर्फ साड़ी है। तुम को कुछ एहसास नहीं हुआ भभकते शोले लिए। आत्मा परमात्मा से परे निराले रुप धारण कर रही है।।
औरत औरत औरत साड़ी में लिपटी गुड़िया नहीं। औरत औरत है इज्ज़त के काबिल है। तुम्हारी मर्दानंगी की परीक्षा का परिणाम भी उसी से है। औरत औरत कोई खिलौना नहीं। औरत औरत है महाकली भी वहीं है।
तुम को क्या लगा ये साड़ी में सिर्फ सेक्सी लग सकती हूं। तुम को क्या लगता है साड़ी में सिर्फ कमर को लचकाया जा सकता है। तुम को क्या लगता है साड़ी में टिप टिप बारिश में गाने गाए जा सकते है। तुम को क्या लगता है साड़ी सिर्फ चमकदार चलचित्र का ही हिस्सा है। तुम को क्या लगता है साड़ी सिर्फ काम वाली का पहनावा है। तुम को कुछ पता नहीं मेरे पर नौ गज लंबा इतिहास रचा गया है। तुम को कुछ पता नहीं द्रौपदी की साड़ी का अंत होने पर ही नहीं था। तुम को कुछ नहीं पता इस साड़ी में सदियों से दफ़न दरारे भी सांसे भरती रहती है तुम को कुछ नहीं पता इस साड़ी में ख़ूबसूरती बेमिसाल सदाबहार अभिनेता हर औरतों के हुस्न की नुमाइश नहीं तारीफ़ की मिसालें दी जाती है। तुम को कुछ नहीं पता इस साड़ी में स्वाभिमान में लिपटी कोरे कागज़ से बदन में शेरनी की सिलवते सिलवाई है। तुम को कुछ नहीं पता इस साड़ी की बुनाई में उसकी दमकती ऊष्मा पिरोई हुए है। तुम को कुछ नहीं पता इस साड़ी में अस्तिव से सुशोभित फूलों की क्यारियाँ खिल उठती है। तुम को कुछ नहीं पता इस साड़ी के रंगों को हाथों से रंगी कर झांसी का इतिहास रचा गया है। तुम को कुछ नहीं पता इस साड़ी में प्रतिघातों के किस्से में औरत की सूरत सीरत पर सवाल उठाए गए है। साथ ही कांट छांट भी किया गया। तुम को कुछ नहीं पता बलिदान के रूप में हर औरत के दिल में छिपी झांसी मदर टेरेसा किरन बेदी सानिया मिर्ज़ा मेरी कोम बहुत सी औरतों की आत्मा संजोए सपने में दिल में बसाए हुए है। साड़ी साड़ी नहीं गले का वो हार है। याद रखना दुःख मे पूजने ने जाओगे। याद रखना दुःख न पहुंचे उसको। फाँसी का फंदा ना बन जाए। संवेदनशील स्वरूप सर्वस्व में ना मशहूर हो जाए। बेमिसाल हो जाए। तेरा वजूद भी तेरा नहीं। एक औरत की कोख का अंश है।