तालियों की गड़गड़ाहट
तालियों की गड़गड़ाहट
तालियों की गड़गड़ाहट मुझे बहुत ही भा रहीं थी, क्योंकि मैं उस समय महज सात साल का था और स्टेज पर अपने सपनों पर निबंध बोल रहा था। जब भी लोग मुझे प्रोत्साहित करने के लिए तालियां बजाते मुझे खुशी का एहसास होता, लोग मेरी तारीफ करते और कहते खुदा रियान जैसा बेटा हर घर में दे, इसलिए मेरा बचपन तो बेहद खास गुजरा।
मैं जब अठारह वर्ष का हुआ तो मुझे कुछ अजीब से शौक आने लगे जैसे लड़कीयो की तरह मेकअप करना, उनके जैसे कपड़े पहनकर खुद को आइने में देखते रहना और लडकीयों के साथ गप्पें मारना। कुछ ही सालों बाद मेरे माता पिता को भी पता चलने लगा कि मैं बाकी लोगों के जैसे नहीं हूँ, वो मुझे दबाव डालते ताकि मैं लड़कों जैसा व्यवहार करूँ पर मुझसे हो ना सका।
उस दिन कालेज में प्रतियोगिता चल रही थी और कुछ लड़कियाँ माडलिंग के लिए मेरे स्कूल से चुनी गई थी। उनमें से वैशाली जो कि शो की स्टापर थी और यूँ मानों कि अहम भूमिका निभा रही थी, वो किसी एक्सीडेंट की वजह से आ ना सकीं। सभी लोग चिंता में थे क्योंकि ये बहुत बड़ी प्रतियोगिता थी और यहाँ से विजेताओं को टेलिविज़न में जाने का मौका भी था। मैं अपना नाटक का ड्रेस लेने गया तो रुम में सामने टेबल पर वैशाली का ड्रेस रखा था। मैं सभी से बचकर चेंजिंग रूम में गया और मॉडल की वो ड्रेस पहन लिया और मेकअप भी किया। दूसरी तरफ एक पुतले के सिर पर नकली बाल लगे थे जो मैंने अपने सिर पर पहन लिये।
मेरा विश्वास करो कि मैं खुद को दर्पण के सामने पहचान नहीं सका और इस बीच मेरी कक्षा के शिक्षक ने कमरे में प्रवेश किया।
उन्होंने पूछा कि, आप कौन हैं?
इससे पहले कि मैं बोल पाता, वह बस हंसी और कहा कि क्या आप वैशाली के बजाय शो पर चल सकते हैं। उन्होने अनुरोध किया तो मैं इनकार नहीं कर सका और सर हिलाते हुए का नेतृत्व किया। जब मैं स्टेज पर गया तो ऐसा लगा कि जिंदगी फिर से मुझे जीने का मौका दे रही है, मैं एक माडल से बेहतर चल रहा था, सभी की नजरें मुझपे गड़ी हुई थी और अंत में मुझे पुरस्कार भी देकर सम्मानित किया गया।
मैं खुशी-खुशी घर गया और अपने माता-पिता को अपने और ड्रेस और पुरस्कार दिखाने लगा वह बहुत ही गुस्सा हुए रात में जब मैंने वह ड्रेस पहन कर खुद को मिरर के सामने देख ही रहा था कि तब तक मेरी मां आयीं और वह गुस्सा करने लगीं शायद वह समझ गई थी कि मैं एक समलैंगिक हूं जो कि अब बदला नहीं जा सकता। उस रात लगभग कुछ 11:30 बज रहे थे और मुझे घर से निकाल दिया गया था, मैं सूरत के उस गाँव को छोड़कर अब स्टेशन पहुँच गया, मुझे पता था कि मैं घर पर रह सकता था पर इस बार मैं जीना चाहता था और इसलिए मैं सब कुछ छोड़ कर दिल्ली आ गया।
अब यहा से रियान के रिया बनने की कहानी शुरू हुई।
अब मेरी पहचान रिया साहनी के नाम से थी, मैंने सब कुछ भुलाकर एक नई जिंदगी शुरू करने के लिए नया इतिहास लिखने लगी। शुरुआत के कुछ दिन मैंने स्टेशन पर ही गुजारे आने जाने वाले लोगों के पॉकेट मार कर मैं पैसे चुराए और उन पैसों से मैंने लड़कियों के कपड़े खरीदे।
फिर मैं अपनी एक नई पहचान के साथ जीने लगी अब मैं रियान नहीं रिया साहनी थी।
सबसे पहली मेरी जरूरत थी पैसा और मैंने वहां पर एक बैंक में जॉब करना शुरू कर दिया। 1 महीने तक मैं वहां जॉब करतीं रही और फिर कुछ लोगों को मेरी पहचान पर शक होने लगा। वह पीठ पीछे मेरा मजाक उड़ाते थे वह मुझसे पूछते थे तुम लड़की हो या लड़का, और मैं उनसे कुछ कह नहीं पाती थी। उनकी इस मजाक के कारण ही मैनेजर ने मुझे जॉब से निकाल दिया।
अब मुझे दिल्ली पहुंचे हुए 2 साल बीत चुके थे अब मैं लगभग 20 साल की हो चुकी थी। मेरी एक सहेली जिसका नाम श्रेया है, उसने मुझे एक फैशन डिजाइनर इंस्टीट्यूट के बारे में बताया और वहां पर एक शो होने वाला था जो कि मॉडलिंग के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है।
वहां जाकर मैंने जॉब के लिए बातचीत की तो वह कहने लगे कि हमें एक स्टेज डेकोरेटर चाहिए क्या आप वह कर सकतीं है? मैंने खुशी से उछलते हुए कहा, हां हां! जरूर, मैं जरूर कर सकती हूं और उसी वक्त उन्होंने मुझे उस जॉब के लिए रख लिया। अब मेरा पूरा दिन स्टेज पर ही जाता था अक्सर जब मैं खाली होती थी तो स्टेज पर देखती रहती थी कि किस तरह से मैं खुद में सुधार ला सकती हूं और कई बार वहाँ एक से एक फैशन शो होते रहते थे। मुझे वहां पर टॉप मॉडल्स और हीरोइंस के चलने का तरीका उनका व्यवहार स्टेज पर किस तरह से चलना चाहिए, यह सब कुछ देखने के लिए भी मिल जाता था।
जब वह स्टेज खाली होता तो मैं भी रिहर्सल या प्रैक्टिस कर लिया करतीं थीं। इसी तरह वहां मुझे 1 साल बीत गए और फिर मैंने वहां के एक शो ऑर्गेनाइजर से बात किया कि मुझे भी मॉडलिंग करना है और मैंने मॉडलिंग में मैंने सूरत में एक बहुत ही प्रसिद्ध पुरस्कार जीता हुआ है।
वो हंसने लगी और कहने लगी, तुमसे मॉडलिंग होगा? मैंने कहा हां , आप एक बार आजमा कर देखिए।
फिर वही से मेरी एक नई शुरुआत हुई, पहले तो उन्होंने मुझे मना कर दिया, जब मैं उन्हें थोड़ी दूर से चलकर बताया, उन्हें अपने हाथों-पैरों की चाल, मेरे कमर की लचक दिखाने के बाद, किस तरह से स्टेज पर चलते हैं उस बारे में बताने लगीं तो वह चौकतें हुएं कहने लगी, तुम्हें तो वाकई बहुत कुछ पता है। आखिर कैसे सीखा, तो मैंने कहा मैं यहीं पर काम करती हूं, और हर रोज मेरा पूरा वक्त यहां पर मॉडल्स के साथ में ही जाता है। मैं अक्सर उन्हें देखती हूं, उन्हीं से सीखते हूं, ये किसी ने सिखाया नहीं है बल्कि मैंने सब कुछ देखकर सीखा है।
वह बहुत ही खुश हुई और कहने लगीं मैं तुम्हारे जज्बे को सलाम करती हूंँ। अगली बार तुम्हें जरूर बुलाऊँगी, यह कार्ड अपने पास रखो, अगर मैं तुम्हें भूल गई तो तुम मुझे एक महीने बाद कॉल कर लेना या फिर उससे पहले ही मैं तुम्हें कॉल करूंगी। इतना कहते हुए वो चलीं गयी। फिर उन्होंने मुझे 1 सप्ताह के बाद कॉल किया और कहा कि तुम मेरे दिए हुए पते पर आ जाओ और मैं तुम्हें वहां पर एक नए चेहरे को लॉन्च करूंगी। वह वाकई में बहुत खुशी वाला दिन था मेरे लिए और मैं दिए पते के अनुसार एक मशहूर मॉल में पहुंच गयीं। वहाँ पर स्टेज पर मॉडल्स को बुलाने की तैयारी चल रही थी उन्होंने जल्द ही में मुझे एक कपड़े का बैग दिया और कहा कि जितनी जल्दी हो सके तुम तैयार हो जाओ फिर मैं अंदर गई मेकअप रूम में मुझे एक मेकअप आर्टिस्ट ने खुद तैयार किया, उनके दिए हुए कपड़े पहन कर मैं फिर रूम में वापस आयीं, मुझे देखा तो वह पूरी तरह से अचंभे रह गए और फिर मुझे कहा गया कि तुम स्टेज की स्टॉपर बनोगी। मुझे एक बहुत ही अहम भूमिका दी गयी। उस दिन जो मैंने स्टेज पर अपनी चाल को जिस तरिके से प्रस्तुत किया मुझे भी पता नहीं चला कि मैं कब लोग तालियां बजाते बजाते खड़े हो गए। ऐसा लगा मानो यह वही जिंदगी है, जिसे जीने के लिए मैंने अपना सब कुछ गवा दिया है, जिसे जीने के लिए मुझे मेरे अपने घर से निकाल दिया गया और फिर मैं पूरी खुशी से उस पल पल का आनंद लेने लगी।
अंत में मुझे पता चला कि वह जो शो था एक बहुत ही बड़े जापान के ऑर्गेनाइजर का था, जो कि इंडियन ब्यूटी/ भारतीय सुंदरता को तलाश कर रहे थे। उन्होंने मेरा नाम इंडियन ब्यूटी के लिए डाला और फिर वहां से मुझे एक फ्लाइट का टिकट दिया गया, ये कहकर कि आप 1 महीने के बाद जापान में आ सकती हो। इस शो के बाद मुझे देश के हर कोने से कई ऑफर्स आने लगे कि आप हमारे शो में आइए जहाँ मुझे सिर्फ उनके कपड़े पहनने थे और स्टेज पर मॉडलिंग करना था । इस प्रकार मैं वर्ष की सबसे फेमस मॉडल बन गयीं। अब मैं जापान में हूँ और बहुत बड़ा इंस्टिट्यूट भी चला रहीं हूँ जो कि सिर्फ भारतीय मॉडल्स को एक नया मौका देते हैं ताकि वह दुनियाभर में अपनी पहचान बनाकर एक नई छवि को प्रदर्शित कर सके। इस तरह मुझे मेरे सपनों को उड़ान देने का बेहतरीन मौका मिला।
मेरे पास आज सब कुछ है, बस कमी है तो मेरे मां-बाप के उस तालियों की गड़गड़ाहट सुनने की, जो कि वह बचपन में मेरे लिए बजाया करते थे। मुझे विश्वास है कि वह एक दिन जरूर मुझे शाबाशी देंगे और कहेंगे जिस तरह मैंने दुनिया से अकेले लड़ाई की बहुत ही काबिले तारीफ है। मैं सिर्फ एक बार उनसे मिलना चाहतीं हूं और बताना चाहता हूं कि मैं हर पल उन्हें याद करतीं हूँ।
मैं रियान से रिया तो बन गई पर आज तक मैं उन्हें याद करती हूं और उनका प्यार आज भी बहुत कीमती है जो दुनिया के किसी कोने में भी नहीं मिल सकता। मैं बताना चाहती हूं कि मैं कुछ सालों बाद ही वापस घर आई थी पर वहां घर पर ताले लगे हुए थे। सिर्फ उसी दिन का इंतजार है जब मैं उन्हें गले लगा सकूं और उनका आशीर्वाद ले सकूं। क्योंकि बचपन में मैं जब स्टेज पर खड़ा होकर अपने सपनों के बारे में बोल रहा था, तो उनके चेहरे पर एक अलग सी चमक थीं, और मैं उनके चेहरे पर आज वही चमक देखना चाहती हूं कि मैंने किस तरह अपने सपनों को पूरा कर लिया है।
मेरा बचपन का सपना सिर्फ एक ख्वाब था पर आज का जो सपना है वह एक हकीकत है।