वो सब्जी वाली
वो सब्जी वाली
बारिश की वजह से कई दिनों तक बाजार जाना न हुआ और जब गयी तो परिचित सब्जी के ठेले पर एक स्त्री को देख अनायास ही पूछ बैठी कि “आप कौन? “
स्त्री में उत्तर दिया “मैं इस ठेले के मालिक की पत्नी हूँ। सड़क हादसे में पति की मौत के बाद घर चलाने और बच्चों की परवरिश के लिये हमने पति के काम को ही करना शुरु कर दिया है।”
“अच्छा तभी कई दिनों से यह ठेला दिख नहीं रहा था। तुम्हारे पति के बारे में जान कर बहुत दुख हुआ। पर तुमने परिस्थितियों के सामने हार नहीं मानी।हिम्मत के साथ काम कर रही हो यह जान कर अच्छा लगा। अच्छा चलो हमें अब अपने ठेले से कुछ सब्ज़ियाँ भी दे दो।”
“ये नींबू कैसे दिये ?और टमाटर, पोदीना, हरा धनिया। हमें तो सभी कुछ दे दो और ये लो रुपए। ये सब जितने के हों रकम काट लो।
उस सब्जी वाली नें सब्जी के दाम काट कर बची रक़म वापस कर दी। लेने तो मैं सब्जी गयी थी पर उस सब्जी वाली से विपरीत परिस्थितियों में हार ना मानने की सीख ले कर लौट आई।