Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Ankita kulshrestha

Romance

3.6  

Ankita kulshrestha

Romance

विल यू बी माय वैलेंटाइन?

विल यू बी माय वैलेंटाइन?

5 mins
15K


'' क्या? आशी, सुनैना तुम्हारे कॉलेज में ही पढ़ती है? '' 

सुनैना.. हां यही नाम है उसका। नाम के अनुरूप बड़ी - बड़ी सुंदर आंखें। जबसे श्लोक ने देखा है उसे, मन के गगन पर छा गई है, सुनैना मुखर्जी। सुनैना को श्लोक की कॉलोनी में रहते पांच महीने हो चुके थे। श्लोक ने अपने पापा मम्मी और छोटे भाई के साथ आई सुनैना को पहले दिन ही देख लिया था जब वो अपने परिवार के साथ सामान उतार रही थी। उसके पापा को उनकी कंपनी ने प्रोमोशन के साथ इस शहर में स्थित ब्रांच का हेड बनाया था। इसलिए वो सपरिवार यहां रहने आए थे। श्लोक के घर से आठवां मकान था जहां वो लोग किराए पर रह रहे थे, और सुनैना का दाखिला शहर के ही एक अच्छे कॉलेज में करवा दिया था एम बी ए के कोर्स के लिए। सुनैना, हंसमुख, सांवली सी प्यारी लड़की। पांच महीनों में बस इतना ही पता कर पाया था श्लोक उसके बारे में। और राब़्ता सिर्फ इतना ही कि आते - जाते हल्की मुस्कान के साथ अभिवादन हो जाया करता था। 

बस दिल की बात नहीं कह पा रहा था श्लोक। और प्यार था कि हर दिन बढ़ता ही जा रहा था। 

एक दिन अपनी बहन आशी को सुनैना के साथ लौटते देखा तो श्लोक ने पूछा कि आशी सुनैना को कैसे जानती है। 

''भैया, वो मेरे कॉलेज से ही तो एम बी ए कर रही है जहां से मैं बी टेक कर रही हूँ। कभी-कभी लौटते वक्त साथ मिल जाते हैं हम दोनों। बहुत अच्छी है सुनैना।''

श्लोक को बहुत अच्छा लग रहा था सुनैना के बारे में जानकर। 

कुछ दिनों बाद, सुनैना आशी के साथ घर आने लगी। श्लोक से परिचय भी हो गया। अब तो श्लोक मन में और ज्यादा दृढ़ प्रतिज्ञ हो गया था कि सुनैना को ही अपना जीवनसाथी बनाना है, उसे विश्वास दिलाना है कि वो उसे बहुत खुश रखेगा। बस सही मौके की तलाश कर रहा था। श्लोक ने सोच रखा था अगले महीने वैलेंटाइन डे वाले दिन वो सुनैना के सामने अपना प्रेम प्रस्ताव रखकर उससे हमसफ़र बनने का निवेदन करेगा। 

तेरह फरवरी को श्लोक ने बहन आशी को अपने दिल का हाल बताया। सब सुनकर आशी ने मुंह लटकाकर कहा, '' ओहो भैया! इतने महीने चुप क्यों बैठे रहे? बोल देना था न सुनैना को। हां या ना जो होता पता लग जाता। '' 

''हां आशी, कल बोलुंगा न मैं, विश्वास से भरे श्लोक ने कहा। 

''पर भैय्या.. '' आशी कहते कहते अटक सी गई। 

''क्या पर? क्या बात है आशी? उसकी शादी तय हो चुकी है क्या कहीं? '' श्लोक ने जल्दी से हड़बड़ा कर पूछा।

 ''नहीं, शादी तो तय नहीं हुई लेकिन.. उसने मुझे कुछ दिन पहले बताया था कि वो किसी को बहुत पसंद करती है और वैलेंटाइन डे पर वो उस लड़के को प्रपोज करेगी। '' 

'ओह, अच्छा हुआ तूने बता दिया''कहते हुए श्लोक के अंदर छनाक से जैसे कुछ टूट गया जिसकी आवाज बाहर न आई। 

श्लोक बहुत उदास हो गया था। जितने विश्वास और खुशी के साथ वो इंतजार कर रहा था अगले दिन का अब उतना ही ज्यादा दुखी हो चुका था। 

अगले दिन , श्लोक उदास मन से सुबह बाहर घूमने निकल गया। अचानक सुनैना सामने से आती दिखी, शायद कॉलेज जा रही थी। 

श्लोक के पास आकर सुनैना वही चिर परिचित अंदाज में मुस्कराई और श्लोक को हैलो बोला। 

श्लोक ने इसका जवाब हल्की फीकी मुस्कराहट से दिया और आगे बढ़ गया। 

''श्लोक सुनिये... ''सुनैना की मीठी बोली उसके कानों में घुल गई।

''जी? श्लोक ने प्रश्नात्मक लहजे में पूछा। 

''दरअसल, मुझे ये लैटर पोस्ट करना था लेकिन मुझे देर हो रही है कॉलेज के लिए। आप पोस्ट कर देंगे प्लीज़? '' सुनैना ने निवेदन किया। 

बिना कुछ कहे श्लोक ने चिट्ठी का लिफाफा सुनैना से लेते हुए गर्दन हिलाकर हामी भरी। 

''थैंक यू श्लोक, कहकर सुनैना कॉलेज के लिए चली गई। 

बोझिल कदमों से श्लोक पोस्ट अॉफिस पहुंचा तो देखा कि लिफाफे पर पता लिखना तो भूल ही गई सुनैना। 

श्लोक वापस घर आ गया और सुनैना की वापसी का इंतजार करने लगा जिससे कि लिफाफा लौटा सके। 

उदास मन से बैठे बैठे जब श्लोक ने गौर किया कि लिफाफा पर दिल के आकार की डिजाइन बनी हुई हैं तो उसका दिल और बैठ गया। 

''जरूर ये उसी लड़के के लिए है जिसे सुनैना पसंद करती है और आज चिट्ठी के द्वारा उसे बताना चाहती है। '' मन मन में श्लोक ने कहा। 

अलट- पलट कर लिफाफे को अच्छे से देखा पर कहीं भी कोई नाम नहीं लिखा नजर आया। 

श्लोक तेज कदमों से चहलकदमी करने लगा। उसका मन बहुत खराब था। 

अचानक श्लोक के मन में विचार आया लिफाफा खोलकर देखा जाए, बस नाम देखकर वैसे का वैसा चिपका देगा। 

श्लोक ने आखिर सावधानी से लिफाफा खोल ही लिया। 

अंदर से गुलाबी कागज पर लिखा लैटर, जिस पर सुनैना की खूबसूरत हैंड राइटिंग थी। 

डूबते दिल के साथ श्लोक ने पहली पंक्ति पढ़ी, 

''श्लोक पाठक''

श्लोक की आंखे आश्चर्य के साथ फैल गईं। 

उसने खुद को कसके च्यूंटी काटी फिर दुबारा पढ़ा। 

''श्लोक पाठक '' हां उसी का नाम था। 

पर उसे क्यों चिट्ठी लिखी है सुनैना ने, श्लोक का दिल बहुत तेज धड़क रहा था। 

आगे लिखा था, 

''दरअसल मुझे आपका सरनेम बहुत पसंद है, क्या आप मेरे साथ शेयर करेंगे इसे? क्या आप मुझे सुनैना पाठक बनाएंगे? '' 

और अंत में एक दिल बना हुआ था। 

श्लोक तो मानों किसी और दुनिया में पहुंच चुका था। ''मतलब सुनैना जिस लड़के को पसंद करती है वो मैं ही हूँ। '' 

श्लोक की खुशियों का पार न था। उसके दिल में एकसाथ हजारों दिए जगमगा उठे थे। वो चिट्ठी उठाकर अपने कमरे से बाहर दौड़ा सुनैना के पास जाने के लिए। 

दरवाजे से टिककर खड़ी हुई थी सुनैना। 

वही सुरमयी आंखे और भोली मुस्कराहट लिए। 

श्लोक की आंखे खुशी से छलछला उठी। 

उसने सुनैना से चहकते हुए कहा, '' आय लव यू सुनैना''

फिजा में प्यार के रंग बरसने लगे।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance