एकत्व की हत्या
एकत्व की हत्या
एक गुरु ने चार शिष्य बनाये।
चारों को अलग अलग स्थानों पर उनकी भौगोलिक स्थिति के अनुसार जीवनचर्या सिखायी। अंत में उनकी शिक्षा पर चर्चा करने के लिये एक साथ एक धर्म निरपेक्ष व्यक्ति के पास भेज दिया।
पहले शिष्य ने कहा, "ईश्वर के प्रतीकों को पूजता हूँ।"
दूसरे ने कहा, "मूर्ती पूजा सही नहीं लेकिन मज़ारों पर जाना चाहिये।"
तीसरे ने कहा, "दोनों गलत हैं, किताबों में छपे शब्द ही सच हैं।"
चौथे ने कहा, "तीनों को कुछ पता नहीं है, जो पैगम्बर सूली पर चढ़ गया उसे ही पूजना चाहिये।"
धर्म निरपेक्ष व्यक्ति ने कहा, "तुम चारों सही हो, एक दूसरे को कभी गलत मत कहो, यह एक आखिरी बात है और सबसे पहला सच यह है कि तुम सभी के गुरु तो एक ही हैं।"
चारों से यह सहन नहीं हुआ वो गुरु के पास गये और "उस एक" को मार डाला।