Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

बिन ब्याही माँ

बिन ब्याही माँ

10 mins
1.9K


 आज क्लास में अवनी उदास थी हमेशा चहकने वाली बच्ची को क्या हुआ, कल ही टीचर डे था कितनी नकल की सबकी, कितना हँसाया, कितना अच्छा डांस करती है। देखने में भी बहुत मासूम हुआ हंसमुख है आज उसके चेहरे की उदासी मुझे बेचैन कर रही है। न जाने क्यों ?

 लड़कियां बहुत मासूम दिल की होती है किसी लडके ने कुछ, नहीं नहीं घर पर कोई परेशानी हो सकती है या हॉस्टल की किसी ने रेगिग तो नहीं ली।

 क्या हुआ, मैं उससे खुद ही बुलाकर पूछ लेती हूं।

 क्या हुआ अवनी।

कुछ नहीं।

 सबके सामने मुझे कैसे बता सकती है मैं भी, क्लास के बाद मिलो। 

ओके।

 मेरा मन लंच खाने मैं बिल्कुल नहीं था, मैं केवल उस बच्ची से मिलना चाहती थी, हर आहट पर पलट रही थी, मगर नहीं आई, मन रह रह कर घबरा रहा था दूसरे दिन भी चुप थी। आज क्लास में सामने बैठी थी, निकलते ही मैंने उसे लाइब्रेरी में आने का इशारा किया वह आई, आते हैं नमस्ते कहकर खड़ी हो गई।

वहां सभी थे। मैं उसे किनारे ले गई किसी बुक के बहाने, उसे बैठा कर उसे बात करने लगी, बातों बातों में मैंने उससे पूछा, तुम उदास हो दो दिन से, कोई परेशानी है। गुमसुम सी हो,

नहीं- नहीं कुछ नहीं।

मैं आपकी मैडम हूं कहो क्या हुआ।

 कुछ नहीं।

 तुम मुझे अपनी दोस्त समझो, मैं तुम्हारी बातें किसी को नहीं बताऊंगी। हाँ, कहो कहो क्या हुआ।

उसकी आंखें भर आई, जोर से उसने गले लगा लिया उसके स्पर्श में अपनापन सा था लगा उसे चुप कराते कराते मुझे अपना अतीत याद आने लगा। 

तुम परेशान मत हो सब ठीक हो जाएगा मैं बात करती हूं। अवनी आगे पढ़ना चाहती थी और माँ-बाप छोटी उम्र में उसकी शादी कराना चाहते थे उसे ग्रेजुएशन कंप्लीट नहीं थी सेकंड ईयर में है। पढ़ लिख कर आगे बढ़ना चाहती थी वो कहने लगे मैडम मैं आपकी तरह पढ़ लिखकर आगे बढ़ाना चाहती हूं पढ़ाना चाहती हूं।

 मैंने उसे समझाया और उसे मम्मी पापा का नंबर लेकर मिलने और बात करूंगी कहकर उसे शांत कराया मैं उसे किताबों की दुनिया में छोड़ कर अपने अगले  परेड को लेने चले गई।

मैंने उसके मम्मी पापा को मिलने अगले हि दिन घर पर बुलाया, वह आए, और मैंने उन्हें बहुत समझाया कई घंटे लग गए उन्हें समझाने में मगर संतुष्टि हुई कि यहां अब वह उस बच्ची की शादी जल्दी नहीं करेंगे अगले दिन अवनी कॉलेज जाए उसके चेहरे में मुस्कान थी उसके मुस्कान देखकर मुझे बहुत शांति मिली मानो एक बच्ची का जीवन डूबने से बचा लिया हो छोटी उम्र में शादी और जिम्मेदार इंसान को कमजोर भी बना देती है मानसिक भी शारीरिक भी खैरl आज दिन जीवन में ऐसी कई घटनाएं होती रहती है एक टीचर और काउंसलर होने के नाते मेरा उद्देश्य लोगों की जीवन को सुधारना है और सही दिशा देना है।

आज अखबार पढ़ते पढ़ते कुछ ऐसी खबरें थी जो मुझे अपने अतीत की ओर ले गई। 

आज भी जब सौरभ को याद करती हूं तो आंसू नहीं रोक पाती, रोड एक्सीडेंट में स्पॉट पर लोगों का मर जाना सच में कितना घातक होता है परिवार के लिए।

क्लास नाइंथ में हमने स्कूल चेंज किया था सामने वाली बेंच में बैठ कर देख रहा था ।आप नए हो क्या, कहां से हो, कौन से स्कूल से हो, कितने परसेंट है।

बाप रे इतने सारे सवाल एक साथ में जोर से हँसने लगी।

धीरे-धीरे मैंने उसकी जिज्ञासा को शांत किया, सारे सवालों के जवाब दें, पापा का ट्रांसफर हो गया था तो मैं बिलासपुर से हूं बिलियन स्कूल से 85% थे।  

कौन सी कॉलोनी में 

नई प्रोफेसर कॉलोनी में

हम भी वहीं रहते हैं 

लंच टाइम हो चुका था, सौरभ ने कहा चलो खाना खाते हैं। ।सौरभ के प्रश्न खत्म ही नहीं होते थे. मैं सोचती थी कि यह क्या खाता है कितना बोलता है।

खाता तो मेरी तरह सब्जी रोटी ही था।

 बात करने का शौकीन उसे क्लास में सबसे पूछने की आदत थी इसे इंक्वायरी ऑफिस चढ़ाते थे उसे चुप बैठने ही नहीं आता था। मेरा एडमिशन लेट हुआ तो काफी पढ़ाई हो चुकी थी सोरभ में मेरी मदद की जिसे मैंने अपने सभी कापियां कंप्लीट कर ली। हम साथ साथ स्कूल जाते थे एक ही कॉलोनी के थे।

 हमारे परिवार वाले भी एक परिवार की तरह रहते थे।

 हम दोनों मां-बाप की इकलौती संतान थे। हम दोनों की हर इच्छा पूरी की जाती थी। न जाने हमें कब एक दूसरे की आदत सी हो गई कभी होमवर्क के बहाने तो कभी सब्जी लेने के बहाने मिलते रहते।

 सौरभ तो कभी-कभी फीवर में भी स्कूल आ जाता था। मैंने तो कभी छुट्टी ली ही नहीं, हम दोनों पढ़ाई में टॉपर थे घरवालों को हमसे कोई शिकायत नहीं थी।

 एक बार हम सब दोस्त पिकनिक गए थे यादगार लम्हा था जीवन का, हम नदी के किनारे साथ बैठे थे पहली बार उसने मुझे प्यार से छुआ हम दोनों सबसे नजर बचा कर एक दूसरे के हाथों में हाथ रख कर बैठे थे इस उम्र का प्यार भी ......

पहली बार सौरभ ने मुझे किस किया। मुझे शर्म आ गई मगर वह जिद करता रहा मगर मैंने नहीं किया, एक अजीब सी शर्म व डर था।

 न जाने क्यों ?

हम दोनों छुट्टियों में नानी के घर चले गया एक दूसरे से फोन में कभी-कभी बातें होती थी, वह किसी रिशतेदार की शादी में गया था और जब हम दोनों लौटे तो स्कूल खुल चुके थे। हमारी खुशी का ठिकाना नहीं था दसवीं बोर्ड के एग्जाम थे और दसवीं बोर्ड के एग्जाम पढ़ाई का हमारे ऊपर बहुत प्रेशर था हमारे बीच कहीं ना कहीं पढ़ाई को लेकर भी कंपटीशन था हम जब भी मिलते पढ़ाई की बातें करते थे।  

सौरभ का गिफ्ट उधारी था उसे क्या मुझे भी मौके का इंतजार था। हमारी मुलाकात ही तो कई बार हुई मगर ऐसा मौका नहीं मिला। दसवीं की परीक्षा में हम दोनों ने टॉप किया मैं साइंस की पढ़ाई करना चाहती थी और वह मैथ्स। 

जब हम सब रिजल्ट के बाद दोस्तों के साथ मूवी गए थे हमें मोका मिल ही गया। मुझे उसका साथ ही खुशी देता था।

एक बार हम दोनों के घर वाले बाहर गए थे शादी में, सौरभ रात को घर आया पहली बार उसके आने से मुझे डर लगा और खुशी भी  क्योंकि उस रात घर मे कोई नहीं था। सौरभ- मैं कल जा रहा हूं इसलिए सोचा एक बार मिल लूँ।

 क्यों हमेशा के लिए थोड़ी जा रहे हो मगर एक बार मिल लो मैं बहुत शर्मीली लड़की हूं और वो बहुत बिंदास लडका उसने जोर के मुझे अपनी तरफ खींचा और चिपक सा गया बहुत खूबसूरत सा एहसास था लगा छोड़े ही नहीं तुम जाओ

 सुबह ट्रेन है हां तुम फोन करना वह आगे की पढ़ाई के लिए देहरादून जाने के लिए बहुत खुश था वह हमारी खास मुलाकात बन गई।

 हम एक दूसरे से साल में दो-तीन बार ही मिल पाते थे, अगर फोन पर हमारी बातें लगभग रोज होती थी। अब हमारी पढ़ाई बढ़ चुकी थी।

हमारी बातें भी अब कम हो चुकी थी दोनों को पढ़ाई और जॉब की चिंता थी कॉलेज की पढ़ाई के लास्ट ईयर था। सौरभ देहरादून में लिव इन रिलेशन में किसी के साथ था मगर यह बात सौरभ ने मुझे कभी नहीं बताई। मैं जान कर अंजान बनती थी।

5 साल से देहरादून में था उसकी जॉब वहीं लग गई। मैं दिल्ली में, जब वो घर आता तो हमारी मुलाकात होती थी। हमारे घर वाले भी हमें एक साथ परिवार मे देखना चाहते थे।

एक बार सौरभ ने मुझ पर फिजिकल रिलेशन के लिए दबाव डाला मैंने मना कर दिया हमारी दोस्त बचपन से थी मगर मैं नहीं चाहती थी कि शादी से पहले मैं ऐसा कुछ करूं। वह मुझे बार-बार कहता रहा कि हमारी शादी तो होनी ही है परिवार वाले तो मान चुके हैं मगर फिर भी मैं नहीं चाहती थी इस बात तो सौरभ मुझसे नाराज हो गया और उसने देहरादून जाते समय मुझसे मुलाकात नहीं की।

घर वाले अक्सर शादी के लिए दबाव डालते हैं मगर मैं जॉब का बहाना करके एक 2 साल और इंतजार करने की बात कह रही थी क्योंकि जब मैंने सुन रखा था क्या वह सच में सच था मैंने पता लगाया उसके दोस्तों से वह एक विल लिव इन रिलेशन में किसी लड़की के साथ था और वह लड़की प्रेग्नेंट थी मेरे मन को इतनी चोट पहुंची कि मैं सौरभ के सामने मैं नहीं जाना चाहती थी।

 सौरभ समझ चुका था कि मैं उससे क्यों नाराज हूं और मुझे उसके बारे में सब कुछ पता था उसने मुझे सफाई देना उचित नहीं समझा कई दिनों तक हमारी बातें नहीं हुई मैं अपने काम के सिलसिले में अपनी मासी के यहां चली गई मैं मन से उदास हो चुकी थी सौरभ अपनी दुनिया में खुश था और मैं उसकी सपनो कि दुनिया से बाहर निकल कर तकलीफ में थी।

मैंने सौरभ को बहुत चाहा दिलों जान से चाहती थी इतना कि मैं कभी उससे दूर होने की बात सोच नहीं सकती थी। सच कहते हैं औरतें दिल से चाहती हैं और मर्द जिस्म को चाहते हैं।

मेरी है प्रार्थना में सौरभ था उसका परिवार था मेरी हर खुशी में हो शामिल थे चाहे वह होली का हुड़दंग, दिवाली का धमाल या डांडिया की धूम मैंने हर खुशी सौरभ के साथ बनाएं और अचानक से वह मेरे जीवन से चला जाए ऐसा लगा मानो मेरे आत्मा ही निकल गई।

 उसके फोन का इंतजार कर रही थी हम जिससे प्यार करते हैं उसकी हजार गलती है माफ कर देते हैं शायद में उन्हीं लोगों में से थे। मगर उसका कोई फोन नहीं आया और मैंने भी फोन नहीं किया। 

परिवार वाले समझ चुके थे इसलिए मुझसे ज्यादा पूछा नहीं गया। मैं एक शादी में शामिल होने वाली थी इसलिए मैं शॉपिंग में बिजी थी। मासी के साथ में बाजार गई थी और मां का फोन आया मां, मासी की लंबी बातचीत हुई। मुझे लगा कुछ तो गड़बड़ है मगर क्या पता नहीं ?

मैंने मासी से कई बार पूछा उन्होंने मुझे नहीं बताया। 

 दिल में कुछ खटक रहा था।  मैंने घर लैंडलाइन फोन लगाया कामवाली बाई ने फोन उठाया और बताया कि मैं मिट्टी में गई है किसकी मिट्टी में, मैं सुनकर हैरान हो गई क्या हुआ कौन चला गया।

 उसने मुझे बताया कि सौरभ मर गया, मैं आधी मर चुकी थी, अब पूरी तरह से सुनकर मर गई, मैं मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे। मेरे आंसू नहीं रुक रहे थे मैं जैसे जैसे खुद को संभाला पहली फ्लाइट से दिल्ली पहुंची मेरे पहुंचने से पहले स्वयं मुझे छोड़ कर जा चुका था।

मैं उसकी यादों में ही थी उससे बाहर निकलना मेरे लिए बहुत मुश्किल था उसके साथ बिताए हर खुशी के पल उसके साथ देखी गई है मूवी हर गाना मानो ऐसा लगता था हमारे लिए ही है।

 मुझे वक्त लग मुझे उसकी गर्लफ्रेंड के बारे में पता चला कि उस बच्चे को नहीं चाहती और मैं उससे मिलने गई। 

उसके शहर पहुंच गई। 

वह अपनी जगह सही थी कि इस बच्चे को नहीं चाहती, अब कैसे करें, मैं किसी भी हालत में किसी बच्चे को अनाथ नहीं बनाना चाहती ना उसका अबॉर्शन हो सकता समय बहुत ज्यादा हो चुका था।

मैंने उसकी आर्थिक मदद की उसके मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई मैं बहुत संपन्न घर से थी तो मैंने उस बच्चे को गोद ले लेना चाहा मेरे फैसले से सब नाराज थे। जिस व्यक्ति ने मुझे धोखा दिया क्या मुझे उसके लिए ऐसा सोचना चाहिए मगर मैं दिल से चाहती थी और उसकी मौत ने कई प्रश्न चिन्ह लगा दिए।

मां बाप ने मुझे बहुत समझाया मेरे आगे मेरा पूरा भविष्य था मगर मैं शादी नहीं करना चाहती थी। मैंने उस बच्ची को गोद ले लिया। वह दिखती भी बिल्कुल सौरभ की तरह ही है। बहुत नटखट नादान शैतान आज इस घटना को 10 साल हो गए हैं। उसका नाम भी मैंने  एश्वर्या रखा। ऐश्वर्या सौरभ की फेवरेट हिरोइन थी और जब बातें करते थे तो वह अपनी बेटी का नाम ऐश्वर्या रखूंगा और बेटे का अमिताभ बच्चन और पर हम बहुत देर हँसते थे।

मैं आज अपने जीवन से खुश हूं अपने फैसले से खुश हूं और ऐश्वर्या के साथ तो मैं बहुत खुश हूं जीवन में कुछ फैसले बहुत कुछ बदल देते हैं आज मैं एक शिक्षिका और समाज सेविका लेकिन कभी मुझे नही ंलगा कि मैंने किसी का जीवन गंवा दिया किसी के साथ धोखा किया। 

प्यार में धोखा होना आजकल आम हो गया है। कई खबरें मुझे विचलित कर देती है, काउंसलिंग करती हूं तो मुझे एहसास होता है कि जीवन में वाकई थोड़ा सा प्यार, विश्वास और सबसे बड़ी बात संयम की जरूरत है जो आजकल के लोगों में नहीं

*मैं बिन ब्याही मां बनके भी खुश हूं।*

जाने कितनी ऐसी बच्चियां और बच्चे इस दुनिया में आते हैं और अनाथ बन कर रह जाते हैं। कारण जो भी हो किसी को हक नहीं कि किसी के जीवन से खिलवाड़ करें। आज मैंने कई गोद ली बच्चों की देखभाल करती हूं एक नहीं अब मेरे पास कई बच्चे हैं उनकी जिम्मेदारी मैंने ले रखी है हमें उन बच्चों के साथ बहुत खुश हूं अगर हम किसी के जीवन को नहीं सुधार सकते तो किसी के जीवन से खिलवाड़ ना करें यह मेरे आज की युवाओं से विनती है।

मैं बहुत खुश नसीब हूं कि मेरे मां बाप ने मेरे फैसले ने सहमति जताई वह मेरे साथ हैं हर खुशी हर दुख में मगर हर कोई इतना खुश नसीब नहीं हो सकती कि वह बिन ब्याही मां बने।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational