ब्लैक ब्यूटी - 18
ब्लैक ब्यूटी - 18
हम निचली सड़क पर उतरे और वहाँ से कैब-स्टैण्ड पर आए। जैरी वहाँ इंतज़ार कर रही घोड़ा गाड़ियों की कतार में सबसे अन्त में खड़ा हो गया।
एक बड़ा गाड़ीवान अन्य गाड़ीवानों के साथ मुझे देखने आ या। यह 'गवर्नर’ था, जो सभी गाड़ीवानों से उम्र में बड़ा था।
उसने मेरी ओर देखा और मेरी गर्दन, मेरे शरीर और मेरी टाँगों को छुआ।
“हाँ,” यह तुम्हारे लिए बेहतरीन घोड़ा है,जैरी बार्कर। अगर तुमने इसके लिए ज़्यादा पैसे दिए हो, तब भी तुमने यह अच्छा काम किया है।
लन्दन कैब-घोड़े के रूप में कुछ दिनों तक मेरा काम बहुत मुश्किल था। यह महान शहर मेरे लिए नई जगह थी। शोर, हज़ारों लोग, घोड़े, गाड़ियााँ, छकड़े और रास्तों को घेरती हुई अन्य चीज़ें– इस सबसे शुरू में तो मैं बहुत नाख़ुश था मगर जल्दी ही मुझे पता चल गया कि जैरी बहुत अच्छा गाड़ीवान है और उसे भी यह मालूम हो गया, कि मैं कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार हू, इसके बाद हमारा काम अच्छा चल पड़ा।
जैरी ने मुझे कभी चाबुक नहीं मारा। कभी-कभी वह मुझे चाबुक से सिर्फ छू देता था और उसका यह छूना मुझसे कह देता था –‘चलो !’ मगर बाकी वक्त में मुझे उसके लगाम घुमाने के तरीके से पता चल जाता था कि वह मुझसे क्या चाहता है।
कैप्टेन को और मुझे हमेशा अच्छी तरह सँवारा जाता, हमें अच्छा खाना मिलता और साथ ही साफ़-सुथरा अस्तबल।
कभी-कभी जैरी ऐसे किसी आदमी को बिठाने से इनकार कर देता जो जल्दी जाना चाहता हो। “नहीं,” वह कहता, “तुम इसलिए जल्दी जाना चाहते हो, क्योंकि तुम आलसीपन कर रहे थे। तुम्हें जल्दी निकलना चाहिए, तब तुम बिना जल्दी मचाए ठीक-ठाक पहुँच जाओगे।”
अगर वे उसे ज़्यादा पैसे देना चाहते, तो भी वह “आलसी” लोगों की मदद करने के लिए अपने घोड़े को जल्दी नहीं दौड़ाता।
मगर जब मुझे लन्दन की सड़कों की आदत हो गई तो हम बाकी सभी गाड़ियों से तेज़ जाने लगे। “अब अगर किसी को फ़ौरन कहीं पहुँचना हो, तो हम जल्दी जाने के लिए तैयार हैं, है न जैक ?” जैरी मुझे थपथपाते हुए कहता।
हमें लन्दन के अस्पतालों तक पहुँचने के छोटे रास्ते मालूम थे, और कभी-कभी आपात स्थिति आने पर हम आनन-फ़ानन में वहाँ पहुँच जाते।
बारिश के एक दिन हमने एक आदमी को उसके होटल तक छोड़ा ही था कि एक ग़रीब औरत जैरी से बात करने लगी। उसकी बाहों में एक छोटा बच्चा था जो बहुत बीमार लग रहा था।
“क्या तुम मुझे सेंट थॉमस अस्पताल का रास्ता बता सकते हो ?” उसने पूछा। “मैं गाँव से आई हूँ और मुझे लन्दन में कुछ भी मालूम नहीं है। डॉक्टर ने मुझे सेंट थॉमस अस्पताल के लिए पर्ची लिखकर दी है। कहता है कि यह अस्पताल ही मेरे बच्चे की ज़िन्दगी बचा सकता है।”
“वह बहुत दूर है, डियर,” जैरी ने कहा, “तुम वहाँ तक नहीं चल सकतीं – इस बारिश में, और बच्चे को हाथों में लिए। गाड़ी में बैठ जाओ और मैं तुम्हें वहाँ तक ले चलूँगा।”
“धन्यवाद, मगर मैं ऐसा नहीं कर सकती। मेरे पास पैसे नहीं हैं।”
“पैसे के बारे में कौन पूछ रहा है ? मैं एक बाप हूँ और बच्चों से प्यार करता हूँ, तुम्हें वहाँ ले जाने में मुझे ख़ुशी होगी। प्लीज़ अन्दर आ जाओ।”
उसने गाड़ी में बैठने में उस औरत की मदद की। वह रो रही थी, और इसने उसकी बाँह थपथपाई। फिर वह उठा और उसने लगाम थामी। “चलो, जैक,” उसने कहा, “चलें !”
अस्पताल पहुँच कर जैरी ने उस जवान औरत को सामने वाले बड़े गेट से अन्दर जाने में मदद की।
“थैंक्य, थैंक्यू!” वह बोली, “तुम एक अच्छे, दयालु आदमी हो।”
एक महिला अस्पताल से बाहर आ रही थी। उसने इन शब्दों को सुना और “अच्छे, दयालु” आदमी की ओर देखा।
“जैरी बार्कर !” वह बोली।