महानायक
महानायक
विख्यात अभिनेता साहिल कुमार को शाम तक किसी भी तरह से दिल्ली पँहुचना था। उनकी नयी फ़िल्म 'सुरक्षा' ने वाह वाहीयो के साथ कई करोड़ भी बटोरे थे। सुरक्षा मे अपने अभिनय के लिए उन्हे सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार लेने दिल्ली जाना था। किन्तु उनका दुर्भाग्य था कि सभी विमानो मे बिसनस क्लास पहले से ही आरक्षित थे। बड़ी मुश्किल से इक्नाॅमी क्लास मे सीट मिल पायी। इसके अतिरिक्त सभी मार्ग उनके लिए बन्द थे। किन्तु वह यात्रा उन्हे बिल्कुल रास नही आ रही थी।
"कितनी घुटन है यहाँ, पाँव फैलाने की भी जगह नही है !" साहिल क्रोध में बड़बड़ाए।"
"किन्तु 'सुरक्षा' मे तो आपने इससे भी छोटी सुरंग से होकर शत्रु के ड़ेरे पर पँहुच कर उनका संहार किया था।" उनकी बगल मे बैठा एक फौजी बोला।
"मैने केवल 2 मिनट का शूट दिया था बाकि काम तो मेरे ड्यूपलिकेट ने किया था।"
"मैने तो अपनी ज़िदगी के पंद्रह साल ऐसी सुरंगो मे बिताए है।" फौजी मुसकुराते हुए बोला।
सुनकर साहिल दंग रह गए। उस सुरंग के अंदर 2 मिनट में हि उनका दम घुटने लगा था।
इतने में विमान में एक घोषणा हुई।
"खराब मौसम के कारण यात्रियो को जलपान के लिए प्रतीक्षा करनी होगी।"
भूख के मारे साहिल का बुरा हाल था। फौजी ने उसे कुछ बेर दिए।
"छी ...मैं ये सब नही खाता।"
"हमें तो पूरे दस दिन सिर्फ बेर खा कर गुज़ारने पड़े थे।"
"क्या !"
"एक मिशन के दौरान जो ट्रक हमारे लिए जल और भोजन ला रहा था, उसे दुश्मनों ने उड़ा दिया। फ़िर हमारे पास और कोई चारा न था।"
साहिल को याद आया उनकी फ़िल्म भी इसी घटना पर आधारित थी। कुछ देर बाद साहिल को पसीना आने लगा। उन्होने एयर हाॅस्टस से ए.सी. का तापमान कम करने को कहा।
"मुझसे गर्मी बिल्कुल बर्दाशत नही होती।"
"तो फ़िर 'सुरक्षा' में आपने मरूस्थल की तपती धूप में कैसे नागरिको को आतंकवादियो से बचाया था ?"
"मैंने तो शूटिंग वातानुकूलित स्टूडियो में ही की थी। रेत पर तो...."
" ड्यूपलिकेट !" फौजी हँसते हुए बोला, "कितनी अजीब बात है न कि मैं पिछले कई सालों से देश की सुरक्षा के लिए रेत पर अपनी हड्डियाँ गला रहा हूँ। पर हमें तो कोई पूछता तक नही। किन्तु आपने हमारे किरदार को पर्दे पर उतार कर महानायक होने का श्रेय प्राप्त कर लिया।"
तभी विमान की हवाई अड्डे पर उतरने की घोषणा हुई। साहिल ने फौजी से अपने साथ चलने को कहा। हवाई अड्डे से बाहर निकलते हि संवाददाताओ ने साहिल कुमार को घेर लिया और 'सुरक्षा' की सफलता पर बधाई दी। हज़ारों केमरे और सैकड़ो आँखे टकटकी बाँधे महानायक साहिल कुमार को देख रहे थे। उनके समक्ष उन्होने उस फौजी को सलामी दी। यह देखते ही संवाददाताओ ने उन पर प्रश्नवृष्टि शुरू कर दी।
"आखिर क्यूँ एक सूपरस्टार होकर आपने एक आम फौजी को सलामी दी ?"
"वे आम नहीं हैं।" साहिल भाव विभोर होकर बोले, "वे ही सच्चे अर्थो में देश के महानायक हैं। जिनकी कठोर तपस्या और अदम्य साहस के कारण देश आज भी सुरक्षित है। मै तो केवल एक कलाकार हूँ जिसने इन्हे रंगमंच पर सजीव किया है।"