धूप के अंधेरे
धूप के अंधेरे
साल 2290 आते आते पृथ्वी का तापमान इतना बढ़ चुका था की पर्वतों की ग्लेशियर, अंटार्कटिका और नार्थ पोल - सब जगह की बर्फ पिघल चुकी थी। ज्यादातर जमीन या तो सागर के बढे जलस्तर के कारण डूब चुकी थी या सूख कर बाजार हो चुकी थी। भोजन इतना महंगा हो गया था कि संसार की आधी आबादी कुछ भी खरीद कर खाने में असमर्थ थी। लोग चींटी, कॉकरोच, कीट पतंगे, केंचुए और घास तक खाने को बाध्य थे और इसके बाद भी अपनी भूख मिटाने में असमर्थ थे। पानी तक सब को खरीदना पड़ रहा था। हाँ गरीब जनता को पानी राशन में कुछ सस्ते दाम पर दे दिया जाता था। करोड़ों लोग हर साल भूख, प्यास और गरीबी से मर रहे थे।
जो अमीर और समृद्ध थे वे अभी भी मजे से जी रहे थे। लेकिन वे भी उग्र गर्मी के कारण न तो बाहर घूम फिर पाते थे न ही चैन से रह पाते थे। गरीब लोगों द्वारा अमीर लोगों के घर में आक्रमण और खाना-पानी लूट ले जाने के मामले बढ़ते जा रहे थे। अब तो ये अफवाहें भी फैलने लगी थी की गरीब लोग धीरे धीरे आदमखोर भी होने लगे हैं।
भूख- प्यास मिटाने में तो विज्ञान कामयाब नहीं हुआ था लेकिन दूसरे ग्रहों और तारामंडलों तक की अंतरिक्ष यात्रा सुगम हो गयी थी। इसलिए चुने हुए अंतरिक्ष यात्रियों को धरती के समान जलवायु वाले ग्रहों में जीवन की संभावना ढूंढने हेतु वर्षों पहले ही भेजा जा चुका था। अब अमीर लोगों को यही उम्मीद थी कि किसी ऐसे ग्रह का पता चल जाए ताकि वो गरीबों से दूर नए ग्रह में जा कर चैन और सुकून की सांस लें।
अनुष्का भी भेजे गए अंतरिक्ष यात्रियों में से एक थी। उसे भी एक ग्रह में जीवन की सम्भावना ढूंढने हेतु भेजा गया था। अन्ततः वह उस ग्रह में पहुँची। अंतरिक्ष यान से बाहर आ कर एक पल को उसे ऐसा लगा की वो सपना देख रही है। सामने विशाल पर्वत थे जो बर्फ से ढके थे। पेड़ -पौधे जहाँ नजर डालो वहां हवा से अठखेलियां कर रहे थे। इससे पहले उसने ऐसा नजारा सिर्फ पुराने ज़माने की रिकॉर्डिंग में देखा था। उसका अभियान सफल हो गया है ये सोच उसके अधरों पर मुस्कान आ गयी।
वो कुछ कदम ही आगे बढ़ी की अचानक बहुत से प्राचीन काल के आदिमानव सरीखे स्त्री पुरुष और बच्चों ने उसे घेर लिया। वो सब उसे कौतूहल से घूर रहे थे। अंतरिक्ष यात्री की भरी भरकम पोषक पहने हुए अनुष्का उन्हें किसी सफ़ेद दानव सी लग रही थी। बच्चे अपनी माँ के पाँव से लिपटने लगे। जवान स्त्री पुरुष मशालें ले कर इस अजूबे को पास से देखने लगे।
अनुष्का की पोशाक ने जब उसे ग्रीन सिग्नल दिया तो अनुष्का ने अंतरिक्ष सूट उतार दिया। टी-शर्ट और जींस पहने हुए वो अब भी खाल से बने कपडे पहने उस ग्रह के वासियों को अजूबा ही लग रही थी। यूँ तो मिले निर्देशों के अनुसार अनुष्का को तुरंत इस ग्रह के अमीर पृथ्वी वासियों के निवास के लिए उपयुक्त होने की सूचना अपनी कंपनी को दे देनी चाहिए थी पर न जाने क्यों उसने उन निर्देशों का पालन नहीं किया।
अनुष्का की मुस्कान देख और उसकी आँखों की चमक देख धीरे -धीरे उस ग्रह के बच्चे अनुष्का के पास आये और उसे छु कर देखने लगे। व्यस्क लोग भी उसके पास आने लगे। अनुष्का ने सब को इशारा किया की वह अभी आती है। फिर अंतरिक्ष यान से कुछ टाफियां और बिस्कुट ला कर उसने बच्चों में बाँट दिए। उसके यान को भी सभी उत्सुकता से देख रहे थे पर इशारों से अनुष्का ने उन्हें समझा दिया की वो यान पर न जाएँ।
अगले कुछ दिन तक अनुष्का वहीं रही और धीरे धीरे उनकी बोली सीखने लगी। उसने यान के कम्युनिकेशन सिस्टम को जान बूझ कर कुछ ख़राब कर दिया ताकि कंपनी को यहाँ जो कुछ भी हो रहा था उसकी कोई भनक न हो।
इस ग्रह की कुल आबादी लाखों में है ये वो जान गयी थी। वे सब यहाँ खुशी से जी रहे थे। पर अगर अमीर पृथ्वी वासी यहाँ आ जाएंगे तो इन सब को अपना गुलाम बना कर इन्हें रात दिन काम में लगा कर ही रखेंगे ये वो जान चुकी थी।
बहुत सोचविचार कर अनुष्का ने फैसला ले लिया। उसने कम्युनिकेशन सिस्टम ठीक किया और कंपनी को सन्देश भेजा।
"ये ग्रह रहने के लिए उपयुक्त नहीं है। मेरा यान यहाँ ख़राब हो गया है। कृपया मुझे इस ग्रह से निकल वापस पृथ्वी लाने के लिए यान भेजें।"
फिर वही हो गया जो उसे पहले से पता था। कंपनी ने उसे बचाने की कोई कोशिश न की। उसके यान से खुद ही वार्तालाप बंद कर दिया। बेचारे कंपनी के अमीर मालिक उन्हें पता भी नहीं चला की कितनी सफाई से अनुष्का ने उस ग्रह के वासियों को उनके चंगुल से बचा लिया है।
अब अनुष्का ने निश्चय किया की वह यान में उपलब्ध ज्ञान के भण्डार को उस ग्रह के वासियों में बांटेगी ताकि वह अच्छा खाएं, अच्छा पहनें और बीमारियों से खुद को बचाएं। पर ऐसा करने से पहले उसने सबसे जरूरी काम यह किया की गोली बारूद, बम, मिसाइल जैसी विनाशकारी चीजों के ज्ञान को नष्ट कर दिया। साथ ही डिलीट कर दीं प्रदूषण बढ़ाने वाली प्रक्रियाओं की जानकारी।
जब उसने वहां के लोगों को शिक्षित करना प्रारम्भ किया तो सबसे पहले जो सिखाया वो था पर्यावरण की रक्षा करना। संसाधनों और आय का सामूहिक उपयोग करने की सोच भी उसने वहां के लोगों के विचारों में बो दी।
आज वो ग्रह समृद्ध है और वहां के लोग सुखी और संपन्न। वहां कोई भी गरीब नहीं है क्योंकि------------ कोई भी अमीर नहीं है !
वहां सब तरफ समृद्धि की धूप ही धूप फ़ैली है। विपन्नता के अंधेरे कहीं भी नहीं हैं।