Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

अनकहा सफर

अनकहा सफर

5 mins
7.7K


आज सुबह से बहुत नाराज हूँ, पापा से। मैंने लंबी लिस्ट दी थी मगर वह नहीं लाए। उन्हें बहुत काम था। बस घर को मैंने सिर पर उठा लिया और नाश्ता भी नहीं किया। 2 घंटे बाद मुझे रायपुर अपने कॉलेज के प्रोग्राम के लिए जाना था। मैं हमेशा ईश्वर से एक बात पर नाराज रहती हूँ कि मुझे इतनी सावली क्यों बनाया ? मैं सुंदर हूँ, अमीर हूँ, पढ़ी-लिखी हूँ मगर गोरी नहीं, इसलिए हमेशा लंबे कॉस्मेटिक लिस्ट देती हूँ, ब्रांडेड चीजें बाहर से पापा से मँगाती हूँ। लाडली बेटी कहते हैं सब इसलिए मुझे डाँटा नहीं जाता, हर बात मानी जाती है और महंगी चीजें शायद नहीं लेनी चाहिए, मुझे खुश करने के लिए मम्मी-पापा लाकर देते हैं।

लेकिन आज का सफर इस सफर के बाद ही मुझे अपनी वास्तविक स्थिति का पता चला। यूंँकहें कि मैं शर्मिंदा हूँ कि ईश्वर ने मुझे सब कुछ दिया है फिर भी मैं नाराज रहती हूँ। खैर, इस 2 घंटे के सफर में मुझे अपनी जिंदगी बदलने का एक मौका दे दिया। सामने बैठी महिला, उन्हें मैंने कुछ साल पहले बिलासपुर के एक राष्ट्रीय स्तर के सिंधी प्रोग्राम में देखा था। वैसे मुझे किसी का नाम चेहरा याद नहीं होता, मेरी उनसे बात भी नहीं हुई। पड़ोस में रहने वाली आंटी को उस प्रोग्राम में छोड़ने गई थी, कुछ लोग उनका स्वागत कर रहे थे। उनकी शारीरिक बनावट तो मुझे याद आ गया।

आज दुबारा हम ट्रेन में मिले बातों-बातों में मैंने उन्हें अपना नाम, व कॉलेज के बारे में बताने लगी और मैं बहुत बड़बड़ी हूँ। मेरे सामने वही थी और मैं उनसे बातें करने लगी। मुझे लगा उनके दोनों हाथ बचपन से नहीं होंगे लेकिन उन्होंने बताया एक दिन कूलर के सामने गिर गई और करंट से दोनों हाथ खराब हो गए। बहुत कुछ किया मगर कुछ नहीं हुआ।

परिवार में एक दुःख का माहौल सा हो गया। मेरे माँ-बाप को मेरे जीवन की चिंता सताने लगी। मैं बहुत छोटी थी। मेरा हर काम उन्हें करना पड़ता था जिसके कारण दुःखी और परेशान रहने लगे। मन से मगर कभी मेरे सामने कुछ नहीं कहा। और एक दिन मेरी पेंसिल नीचे गिर गई। मैंने उठाने की कोशिश की, माँ को आवाज देने की कोशिश की, मगर वह आस-पास नहीं थी। मैंने पैर से उठाने की कोशिश की और उठा ली। मैं बहुत खुश हो गई। वह दिन मेरे लिए खास बन गया। उसके बाद मैंने दिन में कई बार यही काम किया। मेरा विश्वास बढ़ने लगा। धीरे-धीरे मैं सामान उठाने लगी।

फिर कुछ छोटे छोटे काम करने लगी। लिखने की कोशिश करने लगी। मैं हर काम पैर से करने लगी। मेरी कोशिश सफल हो गई। मैंने पूरी पढ़ाई भी पैरों से लिख लिखकर की। स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई में अच्छे नंबर लाई। मेरी लिखावट औरों की तरह साफ-सुथरी है। कॉलेज के बाद नौकरी के लिए अप्लाई किया और बड़ी मेहनत के बाद धक्के खा खा कर मेरी एक सरकारी नौकरी स्कूल में लग गई। बहुत बच्चों को पढ़ाती हूँ,अब मैं खुश हूँ कि मैं किसी की आगे बढ़ने में मदद कर रही हूँ।

बच्चे जो देश का भविष्य है, कल को उनमें से कोई कलेक्टर या डॉक्टर बनेगा तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा। मैं रोज भाटापारा से रायपुर अप डाउन करती हूँ। इस सफर में हजारों लोग मिलते हैं, कुछ मजाक उड़ाते हैं कुछ कमजोर समझते हैं, लेकिन मैं कमजोर नहीं हूँ। ईश्वर ने मुझे बुद्धि दी, हौसला दिया, प्यारा सा दिल दिया है। क्या ये कम है ?

आपकी माँ,"माँ " जो मुझे एक लंबे समय से छोड़कर चली गई और पापा जिनकी छोटी सी दुकान है जहाँ हर चीज मिल जाती है और भाई नहीं है।

मैं खुद ही अपने काम करती हूँ और कमाती हूँ इतना कि मैं कभी-कभी दूसरों की मदद करती हूँ। पापा की कमाई सामान्य है। पापा पैसों से ज्यादा इंसान के व्यवहार को महत्व देते हैं। आपकी शादी.. मेरे पापा अकेले हो जायेंगे और मुझे कोई ऐसा हमसफ़र भी नहीं मिला। शादी के पहले भी संघर्ष और बाद में भी।

हँसते हुए...... मुझे घूमने का शौक है घूमती हूँ ना रोज ट्रेन में रायपुर से भाटापारा।

मुझ कई कार्यक्रम में सम्मान के लिए बुलाया जाता है। बिलासपुर मैं मुझे उम्मीद कार्यक्रम में बुलाया गया था। हाँ दीदी, मैंने आपको देखा था। कई बार में एक वार्डन की तरह सेवा देती हूँ। निःस्वार्थ भाव से। आप कितना कुछ करती हैं। वैसे मैं लदाख गई थी। हाँ मेरी पड़ोस वाली आंटी भी गई थी। आंटी ने मुझे बताया था।

मुझे ईश्वर से कोई शिकायत नहीं है। सब कुछ पाने की ताकत व विश्वास दे दिया है। शिकायतें कमजोर लोग करते हैं।

बातों-बातों में हमारा सफर निकल गया और मैंने सबसे पहले पापा को फोन लगाया। फोन उठाते ही पापा ने कहा पूरा सामान ले आया हूँ। अब नाराज तो नहीं। मैंने जब मम्मी को फोन लगाया तो वो मेरे रूम की सफाई कर रही थी। सुनकर लगा कितना प्यार करते हैं और मैं सारा दिन बस आईने के सामने खुद को सँवारने में समय खराब करती हूँ।

अगर सँवारना ही है तो किसी के जीवन को सँवारना चाहिए। आज से मैं सच में अपना हर काम खुद करूँगी। सबकी मदद भी करूँगी और कभी भी ईश्वर से कोई शिकायत नहीं करूँगी। ईश्वर ने मुझे सब कुछ दे दिया है इसका तो एहसास मुझे नहीं था। ऐसे ज्यादातर लोग के साथ यही दिक्कत है एक आभासी दुनिया में जीते हैं। जैसे मैं जी रही थी "हम ये भी नहीं जानते कि आधी दुनिया कैसे जीती हैं।" हमारे सपने मैं और मेरे परिवार तक सीमित है। सिर्फ खाना, घूमना, सजना ये जीवन का उद्देश्य तो नही होता।

गवर्नमेंट ने बहुत सारी सुविधाएँ लोगों को दी है। जिसकी जानकारी के अभाव के चलते लोग उसका फायदा नहीं ले पाते। ऐसे लोगों की मदद करूँगी। अगर मैं किसी के काम आ पाई तो मेरा दिन, मेरा जीवन साकार हो जायेगा।

उम्मीद करती हूँ आप मुझे मिलेंगे अगले सफर में.....


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama