ज्योति
ज्योति
उसकी रचना को सब कचरे में फेक देंगे। कौन सी बड़ी नामचीन लेखिका है वो। दिग्गज लोग होंगे वहाँ तो...
जयोति बोली कोई बात नहीं यार लिख तू, कुछ भी हो।
फिर से उसकी ज्योति जल गई जब का जब मंच से नाम पुकारा गया, तो अवाक-सी रह गयी।
क्या सच ! मेरा ही नाम, कँही कोई और तो नहीं है मेरे नाम की।
उसने आसपास नजरें दौड़ाई, कोई नहीं था, तब तक दुबारा उसका नाम अनाउंस किया गया।
पुरस्कार के लिए मंच पर आते आते आँसू निकल पड़े थे उसके...शायद खुशी के जो अंदर समाहित नहीं हो पा रहे थे।
आज भी याद करके ना जाने कितनी दुआएँ ज्योति को दे जाती हैं, जो अब तक उसके अन्तर्मन को रोशन करती रहती है।