हौसलों की उड़ान
हौसलों की उड़ान
छाया ने अपने आँसू पोछ डाले, दर्द सीने में जज़्ब कर लिया, दिल में उमड़ते दुःख के बादलों को समेट कर आसमान में उड़ने की तैयारी कर ली, जहां कभी उसका हम सफर उड़ान भरता था। वह बंद दरवाज़े खोलकर पति की यादों के सहारे चल पड़ी हौसलों की उड़ान भरने।