मेरी प्यारी दादी
मेरी प्यारी दादी
तेरे होठों की मुस्कुराहट भी बड़ा अजीब थी ना.. कुछ कहे बिना ही सारी बातें कह दिया करती थी। हां मुझे याद है वह पल जब तू मुझ पर गुस्सा किया करती थी और मैं चुपके से दरवाज़े के पीछे छिप जाया करता था । और जब तू मेरे सामने आती थी पता नहीं क्यों हँस दिया करती थी और मुझे गोद में उठाकर बहुत प्यार से कहानियां सुनाया करती थी और गर्मियों की छुट्टियों में जब मैं घर पर होता था तो दबे पाँव से आकर सबकी नज़रों से छिपाकर आम के फल बड़ा प्रेम से खिलाया करती थी। और मुझे यह भी याद है कि जब मैं ज़िद किया करता था दुकान जाने का और तेरे पास पैसे नहीं हुआ करते थे तो चावल की पोटली चुपके से मुझे देती थी, ताकि उसे बेचकर मैं दुकान से कुछ ख़रीद सकूँ।
वह मेरी सबसे यादगार पलों में से एक था मुझे यह भी याद है कि जब मैं रात को गर्मियों में परेशान होता था तो तू अपने आंचल को ही पंखे बनाकर हाका करती थी और बहुत ही सादगी के साथ अपने हाथों से मेरे माथे को सहला कर सुला दिया करती थी। मेरे जीवन के वह यादगार पल शायद ही कभी वापस आए लेकिन जब भी मैं विगत वर्षों को याद करता हूं तो तू ही बस याद आती हैं। वह प्यार जो तू दिया करती थी शायद ही इस दुनिया में मुझे किसी और से मिले। मेरी माता तुल्य दादी आज तू इस दुनिया में नहीं है लेकिन जब भी तुझे स्मरण करता हूं तो साक्षात तू ऐसे ही रोज़ मेरे सपनों में आकर मुझे प्यार किया करती है शायद वह प्यार जो यह दुनिया चकाचौंध में तलाश रही है तब भी इससे वंचित है..!!
मेरी दादी तू आज इस दुनिया में नहीं है लेकिन पता नहीं क्यों जब भी मैं खुले आसमान को देखता हूं तो अनगिनत तारों के झुंड से एक सबसे चमकीला खूबसूरत तारा मेरी नज़रों को मंत्रमुग्ध कर अपने में ही खो जाने को आकर्षित करता हैं ! हो ना हो वह चमकीला तारा तू ही है ..
मेरी प्यारी दादी !!!